सुनील सोनी
हमारा फार्मूला चल गया तो सारी व्यवस्था बदल जाएगी
Posted on 31 Aug, 2011 10:03 AMयोगेश अनेजा से साक्षात्कार
हमने तरक्की की नई राह ढूंढ ली है....
Posted on 31 Aug, 2011 09:30 AMकेशव डम्भारे से साक्षात्कार
केशव डम्भारे अभी 54-55 के हैं। 24 साल पहले जब नौसेना की नौकरी छोड़कर वे अपने गाँव पहुंचे तो पानी की विकराल समस्या से उनका आमना-सामना हुआ। तबसे वे लगातार अपने साथियों के साथ मिलकर ग्राम-जल के पुनर्जीवन के लिये लड़ रहे हैं। वे विज्ञान में किसी कारण डिग्री पूरी नहीं कर पाए, पर ग्रामजीवन का विज्ञान उन्हें खूब आता है। उन्हें मालूम है कि किस रसायन में किस तत्त्व के मिलन से ऊर्जा निकलेगी और किस तत्त्व को मिलाने से विस्फोट होगा। वे फ़िलहाल वलनी गाँव के उपसरपंच हैं और राजनितिक-समाजकर्मी ही उनकी जिंदगी का प्रमुख उद्देश्य है।
एक माह में बन गए 120 शौचालय
Posted on 30 Aug, 2011 04:30 PMबीडीओ और अन्य अफसर आए तो अचरज से भर गए। लेकिन, योगेश और केशव निर्मल ग्राम पुरस्कार लेने नहीं गए। उस सरपंच को भेजा, जो राजनीतिक रंजिश में सारे कामों में पलीता लगाए हुए था। वह लौटा तो इस टीम का फैन बन गया। वह दिन था और आज का दिन है, गाँव में कोई गुट नहीं बचा।
किसी भी गाँव की साफ-सफाई में शौचालय का होना बेहद महत्त्वपूर्ण है। अगर गाँव वाले खुले में शौच करें तो गंदगी घर, शरीर और दिमाग में कब्ज़ा कर लेती है। वलनी तो आदर्श गाँव योजना में शामिल था। लेकिन, उसकी हालत भी दूसरे गाँव की तरह थी। लोग खुले में शौच करते। हमेशा बदबू आना गाँव का अभिशाप था। लेकिन, क्या हो सकता था? सब चाहते थे कि घर में ही शौचालय हो, पर सबसे बड़ी समस्या थी पानी का अभाव।
बरास्ता गाँधी, जीवन बदलता एक पानीदार गाँव
Posted on 30 Aug, 2011 02:52 PMरहिमन कह गए हैं, बिन पानी सब सून...., नागपुर से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव ने पानी की महत्ता को कैसे समझा और स्वीकारा बता रहे हैं ….। इस बार वलनी के ग्राम तालाब की पार पर खड़ा हुआ तो दिल भर आया। हरे, मटमैले पानी पर हवा लहरें बनाती और इस किनारे से उस किनारे तक ले जाती। लगता दिल में भी हिलोरें उठ रही है। कहाँ था ऐसा तालाब ? जो था, वो सपनो में हीं था। सपने अगर सच हो जाएं तो दुनिया, दुनिया ना रह जाए।