जयपुर जिला

Term Path Alias

/regions/jaipur-district

पंचायत समिति बैराठ की भूजल स्थिति
Posted on 03 Nov, 2015 01:23 PM
पंचायत समिति, बैराठ (जिला जयपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2004 में भूजल की मात्रा जयपुर जिले में 8890 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 5586 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति आमेर की भूजल स्थिति
Posted on 03 Nov, 2015 12:39 PM
पंचायत समिति, आमेर (जिला जयपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2004 में भूजल की मात्रा जयपुर जिले में 8890 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 5586 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
लालच, अनियमितता और एक नदी की लूट
Posted on 19 Apr, 2015 04:45 PM जयपुर। 1727 में बसा यह शहर बनावट की दृष्टि से दुनिया के सुनियोजित शहरों में अहम स्थान रखता था। यह शहर पारिस्थितिकी विज्ञान के अनुरूप बहुत बढ़िया ढंग से बसाया गया था। शहर के उत्तरी तरफ नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर कभी घने जंगल होने से मिट्टी का कटाव नहीं होता था। इन्हीं पहाड़ियों की तलहटी में आथुनी कुण्ड से एक नदी बहा करती थी, जिसकी धारा दक्षिण की ओर मोड़ खाती हुई ढूढ़ नदी और ढूढ़ नदी राजस्थान की मुख्य नदी बनास में मिल जाती थी।

इसी जलधारा को इतिहासकारों ने द्रव्यवती नदी कहा है। यह 50 किलोमीटर लम्बी नदी थी, जो कालान्तर में पहाड़ियों के नंगे होने के चलते छोटी होती गई। बाद में इसके किनारे अमानीशाह नाम के फकीर की मजार बनी तो द्रव्यवती नदी अमानीशाह नाला कहलाने लगी। द्रव्यवती उर्फ अमानीशाह का यही नाला जयपुर के पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत रहा है।
कम खर्च में अधिक लोगों की प्यास बुझाने वाले कार्य
Posted on 12 Apr, 2015 03:33 PM

जयपुर व अजमेर जिलों से रिपोर्ट


जल-संकट से त्रस्त गाँवों में वर्षा के जल को सावधानी से संरक्षित किया जाए और इस कार्य को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से गाँववासियों की नज़दीकी भागीदारी से किया जाए तो जल-संकट दूर होते देर नहीं लगती है। इस उपलब्धि का जीता-जागता उदाहरण है अजमेर जिले की बढ़कोचरा पंचायत जिसमें बेयरफुट कालेज के जवाजा फील्ड सेंटर के आठ जल-संरक्षण कार्यों ने जल-संकट को जल-प्रचुरता में बदल दिया है। इसके साथ यहाँ की पंचायत ने भी कुछ सराहनीय जल-संरक्षण कार्य विशेषकर मनरेगा के अन्तर्गत किए हैं।

कोरसीना पंचायत व आसपास के कुछ गाँव पेयजल के संकट से इतने त्रस्त हो गए थे कि कुछ वर्षों में इन गाँवों के अस्तित्व का संकट उत्पन्न होने वाला था। दरअसल राजस्थान के जयपुर जिले (दुधू ब्लाक) में स्थित यह गाँव सांभर झील के पास स्थित होने के कारण खारे व लवणयुक्त पानी के असर से बहुत प्रभावित हो रहे थे। सांभर झील में नमक बनता है पर इसका प्रतिकूल असर आसपास के गाँवों में खारे पानी की बढ़ती समस्या के रूप में सामने आता रहा है।

गाँववासियों व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण ने खोजबीन कर पता लगाया कि पंचायत के पास के पहाड़ों के ऊपरी क्षेत्र में एक जगह बहुत पहले किसी राजा-रजवाड़े के समय एक जल-संग्रहण प्रयास किया गया था। इस ऊँचे पहाड़ी स्थान पर जल-ग्रहण क्षेत्र काफी अच्छा है व कम स्थान में काफी पानी एकत्र हो जाता है। अधिक ऊँचाई के कारण यहाँ सांभर झील के नमक का असर भी नहीं पहुँचता है।
निगम ने बना दी द्रव्यवती नदी के बीच सड़क
Posted on 06 Apr, 2015 03:31 PM भू-माफिया सक्रिय, बहाव क्षेत्र में अवैध बस्तियाँ
झील संरक्षण प्राधिकरण विधेयक पारित
Posted on 22 Mar, 2015 01:14 PM

आमजन की राय लेने का सुझाव और विपक्ष की आपत्तियाँ दरकिनार
प्रवर समिति को भेजकर खामियाँ दूर करने और कानून लागू करने से पहले आमजन से राय लिए जाने की विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार कर राज्य विधानसभा ने शनिवार को राजस्थान झील (संरक्षण और विकास) प्राधिकरण विधेयक 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

मरूभूमि की प्यास को झुठलाते पारम्परिक जल साधन
Posted on 18 Jan, 2015 11:32 AM

‘राजस्थान’ देश का सबसे बड़ा दूसरा राज्य है परन्तु जल के फल में इसका स्थान अन्तिम है। यहाँ औसत वर्षा 60 सेण्टीमीटर है जबकि देश के लिए यह आँकड़ा 110 सेमी है। लेकिन इन आँकड़ों से राज्य की जल कुण्डली नहीं बाची जा सकती। राज्य के एक छोर से दूसरे तक बारिश असमान रहती है, कहीं 100 सेमी तो कहीं 25 सेमी तो कहीं 10 सेमी तक भी।

यदि कुछ सालों की अतिवृष्टि को छोड़ दें तो चुरू, बीकानेर, जैलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर आदि में साल में 10 सेमी से भी कम पानी बरसता है। दिल्ली में 150 सेमी से ज्यादा पानी गिरता है, यहाँ यमुना बहती है, सत्ता का केन्द्र है और यहाँ पूरे साल पानी की मारा-मारी रहती है, वहीं रेतीले राजस्थान में पानी की जगह सूरज की तपन बरसती है।

book cover
सुंदरता के नाम पर कुर्बान पानी सहेजने की योजना
Posted on 20 Nov, 2014 12:01 PM

मेट्रो ट्रैक के नीचे वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाएं कुछ स्थानों तक सिमटी


मेट्रो ट्रैक पर जमा होने वाले बरसात के पानी को जमीन से पहुंचाने की योजना को जेडीए सौंदर्य के नाम पर दफन करने जा रहा है। जिस स्थानों पर बरसात के पानी को जमीन में पहुंचाने के करीब 210 ढांचे बनाए जाने है, वहां जेडीए पेड़-पौधे लगा रहा है।
जूलीफ्लोरा के सवंर्धित उत्पाद बन सकते हैं वरदान
Posted on 26 Aug, 2014 03:06 PM देश के शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्र में पाए जाने वाले जूलीफ्लोरा/व
ग्रामसभा सशक्तिकरण की राह पर
Posted on 25 Aug, 2014 02:55 PM निसंदेह रूप से, विकास प्रक्रिया में ग्रामीणजनों की भागीदारी सुनिश्च
×