जयपुर जिला

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धरती मांगे और बारिश
Posted on 28 Jul, 2010 08:39 AM

माना इस बार अच्छे मानसून की उम्मीद है लेकिन भूमिगत जल स्तर बढने की फिलहाल कोई सूरत नजर नहीं आती। एक मानसून क्या कई मानसूनों की अच्छी बारिशें धरती की सूखी कोख को तर करने के लिए चाहिए। इंसानी करतूतों ने इस जमीं के जल को इतना निचोड लिया है कि धरती पूरी तरह रीत चुकी है। आज जरूरत है बारिश की एक-एक बूंद को सहेजने की। ऎसे में धरती मांग रही है और बारिश। भूजल संकट पर गजेंद्र गौतम की खास रपट-
मैं सुनीता को तब से जानता हूं जब उसने आठवीं बोर्ड की परीक्षा में 80 फीसदी अंक लाकर पूरे गांव को चौंकाया था। बेहद सीमित संसाधनों के जरिए अपनी पढाई करने वाली सुनीता को उम्मीद थी कि दसवीं में इस रिकॉर्ड को कायम रखते हुए वह डॉक्टर बनने के अपने लक्ष्य की तरफ बढेगी। लेकिन पिछले दो साल में हालात बदल गए हैं। सुनीता जिस गांव की रहने वाली है, वह पानी की भीषण किल्लत का सामना कर रहा है। उसके घर के नजदीक लगा हैंडपंप नाकारा हो चुका है। पूरा गांव अब महज एक हैंडपंप पर निर्भर है, जो सुनीता के घर से खासी दूरी पर स्थित है। जब पूरा गांव पेयजल के लिए इसी हैंडपंप पर निर्भर हो तो जाहिर है कि पानी के लिए जद्दोजहद भी बढेगी और लगने वाला समय भी। सुनीता पर भी यह जिम्मेदारी है कि वह परिवार की जरूरतों के लिए पानी इस हैंडपंप से लेकर आए।

बिन पानी सब सून
Posted on 26 Jul, 2010 05:05 PM
पानी की यही राम कहानी, बिन पानी आंखों में पानी। राजस्थान, जहां पानी की मोल घी से भी ज्यादा माना जाता है, एक बार फिर से पानी के लिए तरस रहा है। दूरदराज के गांवों की बात तो दूर इस बार राजधानी जयपुर के बाशिंदे तक पानी के लिए तरसने को मजबूर हो गए हैं। गुलाबी नगरी में ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि यहां के लोग पानी के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहे हैं और सरकार को पुलिस के पहरे में पानी बांटने को विवश होना पड़ रहा है।

यह सब हो रहा है अब तक की मानसून की बेरुखी के चलते। यह पहला साल नहीं है जब मानसून राजस्थान से रूठा हो। आजादी के बाद के कुछ सालों को छोड़ दें तो ज्यादातर समय राजस्थान को अकाल से मुकाबला करने को विवश होना पड़ा है।
विदेशी धन पर 'जंगलराज'
Posted on 05 Jul, 2010 09:18 AM
जंगलों की सुरक्षा और विकास के लिए जापान सरकार की ओर से दी गई सहायता राशि पर वन विभाग के अफसर जमकर मनमानी कर रहे हैं। विभाग के लगभग सभी डिवीजन में इस बजट से पौधरोपण, एनीकट आदि के काम किए जा रहे हैं। कई जगहों पर एनीकट बनाने का यह काम कागजों में ही पूरा करके बिल फाइनल हो रहे हैं और चेक भी काट दिए गए हैं।
सिंधु नदी-प्रणाली और राजस्थान
Posted on 15 Jun, 2010 10:13 AM थार के विशाल मरुस्थल में स्थित सिंधु नदी-प्रणाली (इन्डस रीवर सिस्टम) विश्व की एक महानतम नदी प्रणाली है। इस प्रणाली में सिंध नदी के अलावा उसकी प्रमुख सहायक नदियां , झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज और लुप्त प्राय सरस्वती शामिल है। भारत के इतिहास में युग में प्रवेश करने के पूर्व भी पंजाब, सिंधु और राजस्थान के उत्तरी-पश्चिमी भाग सिंधु नदी प्रणाली से लाभान्वित होते रहे थे। गत कुछ दशकों मे की गई पुरातत्व सम्बन्धी खोज के फलस्वरूप यह सिद्ध हो गया है कि ईसा के 2300 वर्ष पूर्व गंगानगर जिले में स्थित कालीबंगा सभ्यता का केंद्र था, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा संस्कृति कहा जाता है। कालीबंगा महानदी सरस्वती के किनारे पर स्थित थी।

यद्यपि सिंधु घाटी में बारह महीनों बहने वाली नदियां विद्यमान थी, तथापि इस क्षेत्र में सिंचाई उक्त नदियों के किनारे-किनारे
डगमगाई डगवेल योजना!...
Posted on 14 Dec, 2009 09:18 AM

जयपुर, 10 दिसम्बर09। भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए शुरू की गई कृत्रिम जल पुनर्भरण योजना लालफीताशाही की चट्टानों में अटक गई है। राज्य में 317.15 करोड़ के बजट से एक लाख 65 हजार 51 डगवेल पानी को भूजल तक ले जाने के लिए खोदे गए कुएं के लिए शुरू हुई योजना केवल 21 डगवेल तक ही सिमट गई है।

Borewell
राजभवन में जल संरक्षण के उपायों पर हुई चर्चा
Posted on 17 Nov, 2009 10:37 PM

जयपुर। जल के संग्रहण, संरक्षण और कुशलतम उपयोग के लिए लोगों द्वारा प्रयोग में लिए जाने वाले उपायों पर राजभवन में बुधवार, चार नवम्बर को चर्चा हुई। यह कार्यशाला राज्यपाल श्री एस.के.सिंह की परिकल्पना एवं पहल पर आयोजित हुई थी। राज्य की प्रथम महिला श्रीमती मंजू सिंह, पूर्व विधायक श्री खुशवीर सिंह, राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति डॉ.

water conservation
जल संरक्षण उपाय
Posted on 17 Nov, 2009 07:12 AM

सुरक्षित पानी : जीवन मूल का आधार

स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुजीं है। गंदा व प्रदूष्रित जल बीमारियों फैला सकता है। सभी प्रकार की घरेलु आवश्यकताओं के आधार पर सामान्यता प्रतिदिन एक आदमी को 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है किन्तु अकाल जैसी स्थिति में दैनिक उपयोग के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

जल अच्छे स्वास्थ्य की कुजीं
चाँद - विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी
Posted on 01 Sep, 2009 08:54 AM

राजस्थान में जयपुर से 95 किमी दूरी पर स्थित आभानेरी गाँव में विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी (सीढ़ियों वाला गहरा कुँआ) स्थित है, जिसका नाम है 'चाँद बावड़ी'। चाँद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में राजा चाँद ने किया था। इस विशालतम बावड़ी के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं -

1) यह बावड़ी चारों तरफ़ से 35 मीटर चौड़ी है।

लिख रहे हैं लेखनी अकाल के कपाल पर
Posted on 20 Aug, 2009 03:16 PM
लापोड़िया गांव, जयपुर से 80 किलोमीटर दूर है। ‘ग्राम विकास नवयुवक मंडल’ के लक्ष्मणसिंह और उनके साथियों ने चौका व्यवस्था को यही तैयार किया था। इसके बाद इन्होंने जयपुर से दिल्ली तक बहुत से सम्मान पाए। लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इस इलाके में सैकड़ों गांवों के अनगिनत समूह आज यहां से बनाए रास्ते से गुजरकर सालभर का चारा-पानी बचाना चाहते हैं।
राह में 238 \"रोड़े\"
Posted on 27 Jul, 2009 04:29 PM
जयपुर। रामगढ़ बांध को जीवन देने वाली बाण गंगा की राह में 238 एनिकट व छोटे तालाब रोड़ा बने हुए हैं। इन अवरोधकों की संख्या घटने के बजाय हर साल बढ़ती जा रही है। पहले मामूली बरसात में ही बाण गंगा व ताला नदी उफान मारने लगती थी, जबकि इन दिनों हुई बरसात से नदी के पास बने एनीकटों के गले भी तर नहीं हुए। बाणगंगा नदी के बहाव क्षेत्र के पहाड़ों व गांवों के पास 151 एनीकट बनाए गए हैं। गांवों में कुओं का जल स्तर
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