मेट्रो ट्रैक के नीचे वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाएं कुछ स्थानों तक सिमटी
मेट्रो ट्रैक पर जमा होने वाले बरसात के पानी को जमीन से पहुंचाने की योजना को जेडीए सौंदर्य के नाम पर दफन करने जा रहा है। जिस स्थानों पर बरसात के पानी को जमीन में पहुंचाने के करीब 210 ढांचे बनाए जाने है, वहां जेडीए पेड़-पौधे लगा रहा है।
वर्षा जल को सहजने के लिए मेट्रो ट्रैक पर अल्टरनेट संरचनाएं बनाकर नीचे तक पाइप भी लाए गए। लेकिन जेडीए ने इन स्थानों पर कुई खोदकर पाइपों को जोड़ने के बजाय प्लांटेशन का काम शुरू कर दिया है। सिर्फ सोढाला के आगे कुछ जगहों पर ढांचे जोड़े गए हैं। हालांकि, मेट्रो अधिकारी अभी भी ढांचे बनाने की बात कह रहे हैं, अगर ये ढांचे बनाए जाते हैं तो करीब सवा करोड़ की लागत से लगाए जा रहे पेड़-पौधे व लोहे की फेसिंग को फिर से तोड़ना पड़ेगा।
मानसरोवर स्टेशन के नीचे से काम शुरू
जयपुर मेट्रो ने वैसे तो वर्षा जल पुनर्भरण के लिए हर दो-तीन पिलरों के बीच ट्रेक पर संरचनाएं बनाने के साथ ही नीचे तक पाइप भी उतारे गए हैं, लेकिन उन्हें ट्रैक के नीचे कुई बनाकर जोड़ने का काम नहीं किया है। अजमेर पुलिस से सोढाला की तरफ कुछ जगहों पर नीचे कुई बनाकर पाइप जरूर जोड़े गए हैं, जबकि अन्य जगहों पर ये पाइप अभी भी खुले हुए हैं। इस बीच जेडीए ने मानसरोवर की तरफ से वृक्षारोपण का काम शुरू करवा दिया है। मानसरोवर से गुर्जर की थड़ी के आगे तक ये काम हो चुका है। ऐसे में शेष जगहों पर वर्षा जल पुनर्भरण संरचना बनाने का काम खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।
1. 210 कुल प्रस्तावित वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाएं
2. 55-60 मेट्रो ने अब तक बनाई संरचनाएं
सौंदर्यन पर 1.40 करोड़ होंगे खर्च
जेडीए ने मेट्रो ट्रैक के नीचे सौंदर्यन व रख-रखाव का काम 1.40 करोड़ रुपए में ठेके पर दिया है। इसमें फाइकस पांडा, फरकेरिया, खजूर, चमरस पाम, चांदनी, क्रोटन, फोनिक्स पाम समेत कई तरह के पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं। जेडीए ने इसके लिए सड़क भी खोदी है, ताकि पौधे के जीवित रहने में कोई दिक्कत न हो। अगर इस दौरान ही संरचनाएं भी बना दी जाती, तो फिर से पेड़-पौधे व फेसिंग के काम में तोड़-फोड़ की नौबत नहीं आती।
अभी काम रोक दिया है
हमने अजमेर रोड पर कुछ जहों पर वर्षाजल पुनर्भरण संरचना बनाई हैं। जेडीए ने मानसरोवर की तरफ से प्लांटेशन का काम शुरू करा दिया है, जिसके चलते अभी हमने काम रोका है। जल्द ही ढांचे बनाने का काम शुरू किया जाएगा।
(अतुल गाडगिल, चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर, डीएमआरसी)
वर्षा जल पुनर्भरण संरचना के लिए कुछ जगह छोड़ी गई है। मेट्रो को जब भी काम करना होगा, तो वहां किया जा सकता है। भूमिगत संरचनाएं बनाने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।
(अक्षय सिंह, वन संरक्षक, जेडीए)
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Post By: Shivendra