रजवाहों में पानी नहीं, खेतों में दरारें

मानसून की देरी से रजवाहे जहां सूखे पड़े हैं, वहीं किसानों के खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है। चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व कृषि विभाग ने मानसून के धोखा देने की सूरत में प्लान-बी तैयार किया है, जो कम बारिश की स्थिति में किसानों को बड़े नुकसान से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा। कृषि विभाग के निदेशक ए.के. सिंह बताते हैं कि प्लान बी के तहत 3-5 हफ्ते की देरी को आधार मानकर बासमती व कम अवधि के किस्मों की रोपाई पर जोर देने की योजना है।

मानसून किसानों को लगातार दगा दे रहा है। कृषि-प्रधान हरियाणा में कम बारिश से सूखे की स्थिति पैदा होने के हालात ने प्रदेश सरकार की चिंता बढ़ा दी है। ऊपर से बिजली की किल्लत ने स्थिति विकट कर दी है। खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। मानसून की देरी से फसल एक माह लेट हो चुकी है, ऊपर से कम बारिश की आशंका ने किसानों व कृषि विभाग की चिंता बढ़ा दी है। धान की रोपाई में देरी होने से किसान बढ़ने वाले खर्च तथा कम मुनाफे को लेकर चिंतित हैं। कृषि विभाग ने मानसून के धोखा देने की सूरत में प्लान बी तैयार किया है। प्रगतिशील किसान रमेश डागर बताते हैं कि मानसून ने जहां दगा दी है, वहीं नहरी पानी न पहुंचने से रजवाहे सूखे पड़े हैं, उनमें पानी ही नहीं छोड़ा जा रहा है।

केंद्रीय पूल में खाद्यान्न आपूर्ति में अग्रणी रहे हरियाणा में सूखे की आहट ने सरकार के साथ किसानों व कृषि विभाग की नींद उड़ा दी है। खरीफ सीजन में 19.55 लाख हेक्टेयर में करीब 52.81 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य था, जिसमें 12.50 लाख हेक्टेयर में धान, सवा लाख हेक्टेयर में गन्ना, 6 लाख हेक्टेयर में कपास, 10 हजार हेक्टेयर में तिलहन का लक्ष्य था, लेकिन मानसून व बिजली के हालात के चलते कृषि विभाग को यह लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा। किसानों को लागत बढ़ने से मुनाफा कम होने की चिंता सता रही है। धान में किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 90 हजार रुपए का मुनाफा होता है। हालात यूं ही रहे तो यह घटकर 35 हजार रह जाने की आशंका जताई जा रही है। साथ ही उत्पादन व गुणवत्ता को लेकर भी किसान चिंतित हैं। प्रदेश में अभी तक औसत 72 फीसदी बारिश कम हुई है।

धान का कटोरा कहे जाने वाले जिलों करनाल में 91 फीसदी, कुरुक्षेत्र में 88, अंबाला में 85, यमुनानगर में 75, जींद में 96, पानीपत व सोनीपत में 80, रोहतक में 77 फीसदी तक बारिश कम हुई है। दूसरे जिलों हिसार में 88, फरीदाबाद व गुड़गांव में 68-70 मेवात में 80 फीसदी तक बारिश कम हुई है। रजवाहे जहां सूखे पड़े हैं, वहीं किसानों के खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है। चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व कृषि विभाग ने मानसून के धोखा देने की सूरत में प्लान-बी तैयार किया है, जो कम बारिश की स्थिति में किसानों को बड़े नुकसान से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।

कृषि विभाग के निदेशक ए.के. सिंह बताते हैं कि प्लान बी के तहत 3-5 हफ्ते की देरी को आधार मानकर बासमती व कम अवधि के किस्मों की रोपाई पर जोर देने की योजना है। पौधे रोपने के बाद पूरे खेत में मेड़ तक पानी भरने की बजाय मिट्टी को नम रखने पर जोर दिया जाएगा ताकि जमीन में दरार न आए। नाइट्रोजन व जिंक सल्फेट का केवल पत्तियों पर छिड़काव किया जाए ताकि बढ़वार हो सके। फास्फोटिक फर्टीलाइजर के तौर पर डीएपी जरूरत के आधार पर ही डालें। 55 दिन पुरानी पौध की बिजाई की जा सकती है, वहीं किसान प्रयास करें कि पौधों के बीच में दूरी कम रहे, जिससे पौधे जल्दी बढ़ सकें। इसके बाद भी अगर 6-8 हफ्ते तक बेहतर मानसून न मिले तो धान रोपाई का रकबा कम करते हुए खाली क्षेत्र में मूंग, उड़द, चारा, आलू आदि लगाएं। इससे किसान बड़े नुकसान से बच सकते हैं।

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