हिमाचल प्रदेश

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सीढ़ीदार खेत (Terracing)
Posted on 04 Sep, 2008 09:52 AM

सीढ़ीदार खेत (Terracing)यह पहाड़ी ढ़लानों पर खेती करने की पीढ़ियों से चली आ रही सामान्य विधि है। इस विधि द्वारा ढाल की लम्बाई को तोड़कर / छोटाकर एवं ढ़ाल की तीब्रता को कम करके मृदा एंव मृदा नमी (Soil and Soil Moisture) का संरक्षण किया जाता है। सीढ़ीदार खेत सिंचाई जल का प्रभावी उपयोग हेतु भी आवश्

हमें ही चुकानी होगी बर्बादी की कीमत
Posted on 06 May, 2019 05:05 PM

पानी की बर्बादी जल संकट का एक बड़ा कारण है। और हमें इसका एहसास भी नहीं होता कि जिस पानी को हम बर्बाद कर रहे हैं उ

भारत का खुबसूरत हिल स्टेशन पानी से बेहाल
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
पहाड़ की आत्मकथा : हाँ, मैं हूं हिमालय का पहाड़ बहुत उदास, नित दरकता, सूखता।
Posted on 02 May, 2019 03:55 PM

बड़ी-बड़ी मशीनें मेरी रूह पर निरंतर और घंटों चल रही हैं। मुझे खोदा जा रहा है ताकि उनका सफर आसान हो। मुझसे मिट्टी और पत्थर खरोंचे जा रहे हैं। जब मानव का दिल चाहता है वो एक विस्फोट करता है और मुझसे मरे शरीर का एक हिस्सा ले लेता है। जो काम का नहीं, उसे फिर मेरे शरीर पर ही डाल देता है और वृक्ष रूपी मेरे शरीर के बाल भी इस मलबे में दफन हो जाते हैं। वो जब मुझे विकास के नाम पर बलि चढ़ाते हैं, मेरे प्रवाह

खतरे में गंगा का मायका मुखबा
Posted on 02 May, 2019 01:04 PM

तापमान बढ़ने के साथ ही 30 मार्च को मुखबा गांव के समीप ही एक बर्फीला तूफान यानि एवलांच आया और उसने गंगा-भागीरथी की राह कुछ देर रोक ली। इसके चलते वहां झील बन गयी और स्थिति खतरनाक हो गई। हालांकि यह स्थिति कुछ मिनटों तक ही रही लेकिन इस दौरान भागीरथी ने विकराल रूप ले लिया था। इसके बाद जिला आपदा प्रबंधन ने मुखबा के ग्रामीणों और पर्यटकों को सतर्क रहने के लिए कहा है। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन यहां का त

हर्षिल घाटी में दरक रहे हैं पहाड़
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