हिमाचल प्रदेश

Term Path Alias

/regionsmachal-pradesh-0

बरठीं का नौण (Barthin Naun)
Posted on 20 Sep, 2010 10:57 AM

जिला बिलासपुर के बरठीं कस्बे में स्थित बरठीं नौण लगभग 300 वर्ष पुराना है। उत्तर मुखी यह नौण किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। कहते है उत्तर मुखी जल धारा उत्तरायणी कहलाती है तथा यहां प्रत्येक पर्व पर किए स्नान का फल अति दुर्लभ होता है। उत्तर मुखी यह जलाद्गाय धरती की गोद में समा रहा है जरूरत है इसे सवांरने की ताकि भविष्य मे भी इसके जुडी संस्कृति व महत्व को बचाया जा सके।

हिमाचल प्रदेशः पहाड़ी नदियों का दोहन
Posted on 28 Aug, 2010 09:06 AM पिघली बर्फ से पानी पाने वाली नदियां हिमाचल प्रदेश को सदानीरा जल स्रोत उपलब्ध कराती हैं। निचली पहाड़ियों में कुछ मौसमी बहाव वाली बरसाती पानी वाली नदियां भी हैं। काफी जल स्रोतों के बावजूद पहाड़ी पृष्ठभूमि सिंचाई सुविधाएं विकसित करने में परेशानियां खड़ी करती है। ऐतिहासिक रूप से स्थानीय राजाओं, प्रधानों और ग्राम समुदायों ने यहां कुहलों- प्राकृतिक रूप से बहने वाली धाराओं का पानी मोड़ने के लिए बनाई गई सतह की नालियों- की पारंपरिक सिंचाई प्रणाली विकसित की।

स्वतंत्रता के बाद राज्य के सिंचाई व जन-स्वास्थ्य विभाग ने भी कुहलों के जरिए काफी बहाव सिंचाई स्रोत विकसित किए हैं। हाल के वर्षों में इसकी जरूरत के मुताबिक सामुदायिक कुहलों के अधिग्रहण, उनकी नई रूपरेखा बनाने, उनकी देखरेख और प्रबंधन करने का जिम्मा अपने हाथ में लेना शुरू किया है। कोई भी आम सामुदायिक कुहल छः से
रेणुका बांध से दिल्ली द्वारा पानी की मांग कितनी जायज?
Posted on 02 Jul, 2010 08:04 PM
दिल्ली सरकार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे विवादास्पद बांध को बढ़ावा दे रही है एवं वित्तपोषण कर रही है। यमुना नदी की सहायक गिरी नदी पर यह बांध मूलतः दिल्ली में जल आपूर्ति के लिए बनने वाला है। रुपये 3900 करोड़ (सन 2006 के कीमत स्तर पर) की लागत से बनने वाले इस बांध के लिए 90 फीसदी वित्तपोषण केन्द्र सरकार द्वारा मिलने वाले रकम से किया जाना है। वास्तव में, दिल्ली सरकार रेणुका बा
सतलुज की कहानी
Posted on 07 Mar, 2010 03:49 PM

सतलुज का उद्गम राक्षस ताल से हुआ है। राक्षस ताल तिब्बत के पश्चिमी पठार में है। यह सुविख्यात मानसरोवर से कोई दो कि.मी. की दूरी पर है। सतलुज शिप्कीला से भारत के किन्नर लोक में प्रवेश करती है। किन्नर देश में सतलुज को लाने का श्रेय वाणासुर को दिया जाता है जैसे गंगा को लाने का श्रेय भगीरथ को है और इसी कारण गंगा का नाम भागीरथी भी है। किंतु सतलुज का नाम वाणशिवरी नहीं हैं। एक कथा के अनुसार पहले किन्नर दो राज्यों में विभक्त था। एक की राजधानी शोणितपुर (सराहन) थी और दूसरे की कामरू। इन राज्यों में बड़ा बैर था और अक्सर युद्द हुआ करते थे। वाणासुर शोणितपुर में तीन भाई राजकाज करते थे। वाणासुर और उसकी प्रजा को मार डालने के लिए उन तीनों भाइयों ने किन्नर देश में बहने वाली एक नदी में हज़ारों मन ज़हर घोल दिया। इससे हज़ारों लोग, पशु-पक्षी मर गए। भयंकर अकाल पड़ गया।

हिमाचल की तीन नदियों में खनन पर रोक
Posted on 03 Feb, 2010 12:27 AM
हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य से होकर बहने वाली तीन नदियों में खनन पर रोक लगा दी है। इन नदियों में कांगड़ा जिले की चक्की एवं न्यूगल नदियां एवं बिलासपुर जिले की सीयर नदी शामिल हैं। इस निर्णय के बाद इन नदियों पर रेत एवं पत्थरों का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। राज्य के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि का कहना है कि, इन नदियों में खनन पर इसलिए रो
पानी की गुफाएँ
Posted on 31 Dec, 2009 06:02 PM

हिमाचल प्रदेश स्थित हमीरपुर और इसके आसपास के जिलों के लोग पानी संकट से निपटने के लिए फिर से पारंपरिक वर्षा जल ढांचों को पुनर्जीवित करने और नए ढांचों के निर्माण में जुट गए हैं। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में ऐसे जल संग्रहण ढांचों को खत्री के नाम से पुकारा जाता है।

पारंपरिक जल साधनों के लिए मास्टर प्लान
Posted on 31 Dec, 2009 05:57 PM

केंद्रीय भूजल बोर्ड (केभूबो) ने हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक जल साधनों को उपयोग में लाने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है, जिससे हिमाचल प्रदेश में पानी की निरंतर बनी समस्या को दूर किया जा सके। “जम्मू स्थित केभूबो के क्षेत्रीय निदेशक एम मेहता, जिनका कार्य क्षेत्र हिमाचल प्रदेश तक फैला हुआ है, उनका कहना था कि झरने, तालाब को पुनर्जीविन करने और बंधाओं तथा डाइक का निर्माण करने के लिए 465.50 करोड़

थाती सेनुआ का प्रयास
Posted on 31 Dec, 2009 05:51 PM

सुजानपुर प्रखण्ड में एक थाती सेनुआ गांव है, जहां के गांववाले हिमाचल प्रदेश के हमरीरपुर जिले के पारंपरिक वर्षाजल संग्रहण के लिए आगे आए हैं, जिससे वे छत से वर्षाजल संग्रहण कर सकें। गांव वालों ने अपने प्रयास से अपने-अपने घरों के लए फेरोसीमेंट की टंकियों का निर्माण किया, जिसमें उनकी छत का पानी जमा होता है। छत से पाइप को नीचे टैंक के साथ जोड़ा जाता है। यह गांव पूरी तरह से खत्रियों पारंपरिक जल सुझाओं

बर्फ के कुएं
Posted on 31 Dec, 2009 05:36 PM

हिमाचल प्रदेश के ऊँचाई पर स्थित शिमला जैसे शहरों में बर्फ के कुएं होना एक आम बात थी, जिसमें लोग बर्फ को जमा करते थे। आज इन ढांचों का कोई उपयोग नहीं होता है, जैसे: शिमला मेडिकल कॉलेज के समीप एक बेकार पड़ा हुआ बर्फ का कुआँ है जो कलई की हुई शीट की एक छतरी से ढका हुआ है, जिससे इस कुएं को गर्मी से बचाया जाता था। इसे एक सकरे रास्ते से सड़क के साथ जोड़ा गया था। इसकी गहराई 15 फीट के करीब थी और व्यास कर

×