बाढ़ से सुरक्षा हेतु बने नालों से भी मिट्टी खोदकर ले गए खनन माफिया

सितारगंज में ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय में कैलाश नदी किनारे खनन रोकने पहुंचे
सितारगंज में ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय में कैलाश नदी किनारे खनन रोकने पहुंचे

सितारगंज। रसोइयापुर व सलमती के काश्तकारों ने एसडीएम कार्यालय में प्रदर्शन कर अवैध खनन रोकने की मांग की। रसोइयापुर के ग्रामीणों ने कहा कि कैलाश नदी गांव से 100 मीटर दूरी पर रह गई है। बरसात में गांव में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
ग्राम सलमती व रसोइयापुर के बीच में धड़ल्ले से खनन का कारोबार हो रहा है। उससे रसाइयापुर के काश्तकारों की कृषि भूमि व आबादी को खतरा है। ग्रामीणों के अनुसार अवैध खनन से नदी का रुख गांवों की ओर हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ सुरक्षा के लिए सिंचाई विभाग ने जो अस्थायी कट्टे लगाये और नाला खोदा, उनमें से भी माफिया मिट्टी ले गये। ग्रामीणों ने अवैध खनन रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की मांग की।

सिचाई विभाग बाढ़ सुरक्षा के कार्यों की शुरुआत नहीं कर सका 

“बरसात से पूर्व नदियों के चिन्हित हिस्सों से सिल्ट हटनी बेहद जरूरी है। ये हिस्से अतिसंवेदनशील है। ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है। विभाग के पास संसाधन नहीं है। उच्चाधिकारियों को इसके बारे में अवगत करा दिया गया है। - एससी रमोला, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग सितारगंज"

मानसून की शुरुआत का वक्त नजदीक आने के साथ ही सितारगंज के 16 गांवों पर बाढ़ का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। क्षेत्र की सभी प्रमुख नदियों में भारी सिल्ट जमा हो गयी है। दूसरी ओर, सिंचाई विभाग की ओर से अब तक सिल्ट हटाने और बाढ़ सुरक्षा के कार्यों की शुरुआत तक नहीं करायी जा सकी है। इसकी एक बड़ी वजह लंबे समय से भुगतान नहीं होने के कारण ठेकेदारों का काम करने से इनकार करना है।

बजट जारी नहीं होने से काम अटका

अधिकारियों ने इस संबंध में शासन स्तर तक जानकारी दी है, लेकिन बजट जारी नहीं होने से काम अटके हुये हैं। कैलाश, बैगुल और सूखी नदी में सिल्ट जमा होने से सितारगंज के 16 गांवों में बाढ़ आने के साथ ही बैगुल पुल के बहने का खतरा बढ़ गया है। नदियों में जमा सिल्ट को बाढ़ के लिहाज से अतिसंवेदनशील मानते हुये विभाग ने उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया है। ठेकेदारों की नाराजगी, संसाधानों के अभाव ने अफसरों के हाथ पांव फुला दिये है। बरसात से पहले बैगुल नदी को चैनलाइज कर पांच स्थानों से रीवर ट्रेनिंग के तहत सिल्ट हटाने की जरूरत है। अति संवेदनशील इन स्थानों के नजदीक में आबादी है। कैलाश नदी उफनाने से बाढ़ का दायरा अधिक बढ़ जाता है। 11 गांव नदी के मुहाने पर आ जाते हैं। देवहा, कॉमन नदी में भी सिल्ट जमा होने से उथली हो गई है। दोनों नदियों के 6 स्थानों से सिल्ट बरसात से पहले हटानी होगी।

100 करोड़ की बाढ़ सुरक्षा योजनायें अधर में

कैलाश, बैगुल, सूखी,नदियों से बाढ़ का खतरा रहता है। सिंचाई विभाग ने 100 करोड़ की योजनाएं प्रस्तावित की थी लेकिन अभी तक धनराशि आवंटित नहीं हुई है।

विभाग पर 1.97 करोड़ की देनदारी  

सिंचाई विभाग ने वर्ष 2016 से 2018 तक दैवीय आपदा, रीवर ट्रेनिंग के तहत नदियों में बाढ़ से सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपए के पिचिंग, नदियों के किनारे कट्टे लगाने के कार्य कराए। इनमें से ठेकेदारों का 1.97 करोड़ अब तक विभाग पर बकाया है। बकाया भुगतान न होने से ठेकेदारों ने आगामी बाढ़ सुरक्षा कार्य हाथ में लेने से इंकार कर दिया है।

सिंचाई विभाग सितारगंज के अधिशासी अभियंता एससी रमोला बताते हैं "बरसात से पूर्व नदियों के चिन्हित हिस्सों से सिल्ट हटनी बेहद जरूरी है। ये हिस्से अतिसंवेदनशील है। ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है। विभाग के पास संसाधन नहीं है। उच्चाधिकारियों को इसके बारे में अवगत करा दिया गया है।"

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