केंद्रीय भूजल बोर्ड (केभूबो) ने हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक जल साधनों को उपयोग में लाने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है, जिससे हिमाचल प्रदेश में पानी की निरंतर बनी समस्या को दूर किया जा सके। “जम्मू स्थित केभूबो के क्षेत्रीय निदेशक एम मेहता, जिनका कार्य क्षेत्र हिमाचल प्रदेश तक फैला हुआ है, उनका कहना था कि झरने, तालाब को पुनर्जीविन करने और बंधाओं तथा डाइक का निर्माण करने के लिए 465.50 करोड़ रुपए के मास्टर प्लान बनाया गया है। झरनें को पुनर्जीवित करने में 108 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बंधाओं और डाईक बांध के निर्माण पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। छत से वर्षा जल संग्रहण करने के लिए 7.50 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।“
इस राज्य के भूजल का प्रभावी ढंग से पुनर्भरण करने के लिए इसे घाटी क्षेत्र, छोटी पर्वत श्रृंखला या शिवालिक और ऊँची पर्वत श्रृंखला में विभाजित कर दिया गया है। कुल 1,000 डाइक प्रस्तावित हैं, जो 10 मीटर गहरे और एक मीटर चौड़े होंगे। घाटी क्षेत्र में 1,080 तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए 10 लाख रुपए का प्रस्ताव रखा गया है। मेहता का आगे कहना था कि “कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर जिले की निचली पर्वत श्रृंखलाओं में 500 बंधाओं का निर्माण किया जा सकता है, जहां जनसंख्या का घनत्व सबसे ज्यादा है।“ इस योजना में ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में बनावटी पुनर्भरण तकनीकी के उपयोग से करीब 500 झरनों को पुर्नजीवित करने की बात भी कही गई है।
/articles/paaranparaika-jala-saadhanaon-kae-laie-maasatara-palaana