हिमाचल प्रदेश के ऊँचाई पर स्थित शिमला जैसे शहरों में बर्फ के कुएं होना एक आम बात थी, जिसमें लोग बर्फ को जमा करते थे। आज इन ढांचों का कोई उपयोग नहीं होता है, जैसे: शिमला मेडिकल कॉलेज के समीप एक बेकार पड़ा हुआ बर्फ का कुआँ है जो कलई की हुई शीट की एक छतरी से ढका हुआ है, जिससे इस कुएं को गर्मी से बचाया जाता था। इसे एक सकरे रास्ते से सड़क के साथ जोड़ा गया था। इसकी गहराई 15 फीट के करीब थी और व्यास करीब 5 फीट। शिमला से द ट्रिब्यून के विशेष संवाददाता एस पी शर्मा ने बताया कि “सर्दियों में लोग इसमें बर्फ भरते रहते थे, जो गर्मियों तक सुरक्षित रहता है। इन ढांचों का संरक्षण करना महत्वपूर्ण है, जिससे आज गर्मियों के जल संकट की स्थिति से निपटा जा सके। ब्रिटिश काल के दौरान आग बुझाने में इनका काफी उपयोग होता था। सरकार ने इन बर्फ के कुओं को बचाकर रखने का निर्णय लिया, लेकिन फिर भी इन प्राचीन ढांचों के संरक्षण के बारे में कोई ज्यादा नहीं सोचा गया है। यहां तक कि शिमला के एक प्रसिद्ध जाखू मंदिर के समीप निर्मित ढांचा भी तहस-नहस हो गया है। उन्होंने आगे बताया कि “अब आपको काम करने वाले बर्फ के कुंए देखने को नहीं मिलेंगे।“
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