हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य से होकर बहने वाली तीन नदियों में खनन पर रोक लगा दी है। इन नदियों में कांगड़ा जिले की चक्की एवं न्यूगल नदियां एवं बिलासपुर जिले की सीयर नदी शामिल हैं। इस निर्णय के बाद इन नदियों पर रेत एवं पत्थरों का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। राज्य के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि का कहना है कि, इन नदियों में खनन पर इसलिए रोक लगाई गई है क्योंकि अनियंत्रित उत्खनन की वजह से नदियों में लगी कई पेयजल योजनाएं जबरदस्त रूप से प्रभावित हो रही हैं। न्यूगल नदी पर करीब 100 पेयजल योजनाएं कार्यरत हैं, जो कि पालमपुर एवं उसके आस पास के इलाकों को पेयजल उपलब्ध कराती हैं। जबकि अवैध उत्खनन से ये पेयजल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। कांगड़ा जिले में बनने वाली फेना सिंह नहर एवं शाह नहर को चक्की नदी से पानी की आपूर्ति की जाएगी। चक्की नदी के किनारे सैकड़ो वैध एवं अवैध क्रशर लगे हुए हैं। नदियों में अंधाधुंध खनन की वजह से पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की सीमा पर नदी के तल का कम से कम 30 से 40 फुट तक क्षरण हो चुका है। इससे नदी के तल में लगे हुए कई पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इन अवैध उत्खननों की वजह से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं पर निवेश किए गए करोड़ो रुपये व्यर्थ हो सकते हैं।
मंत्री ने यह भी स्वीकार किया है कि चक्की नदी पर करीब 35 अवैध क्रशर चल रहे हैं। हिमाचल के क्रशर के अलावा राज्य की सीमा से लगे पंजाब के इलाके में लगे करीब 200 अवैध क्रशरों ने नदी की पारिस्थितिकी को काफी ज्यादा प्रभावित किया है। चक्की नदी पर लगे इन अवैध क्रशरों के बारे में भारतीय वायु सेना एवं नागरिक उड्डयन विभागों ने संबंधित प्राधिकारों को पत्र लिखा है, इसके बावजूद भी नदी पर अवैध क्रशर बेरोक-टोक चल रहे हैं। अवैध क्रशरों की वजह से पठानकोट में संगठन के प्रतिष्ठानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। मंत्री का कहना है कि एक बार जब हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लग जाएगी तो चक्की नदी पर हो रहे अवैध खनन के मामले पर पंजाब सरकार के साथ बात की जाएगी। प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए राज्य में बिजली विभाग और सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवैध उत्खननों पर चालान करने का भी अधिकार दिया जा रहा है। इन विभागों के कनिष्ठ अभियंता स्तर के अधिकारियों को भी यह अधिकार दिया जाएगा कि वे अवैध खनन करने वालों का चालान करें। इस तरह के प्रयास शुरूआत में तीन नदियों के लिए किए जा रहे हैं जबकि सरकार का विचार है कि बहुत जल्द ही राज्य के उन सभी नदियों में भी खनन पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे जिन पर पेयजल योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। राज्य सरकार का मानना है कि इस प्रयास से न सिर्फ पेयजल योजनाएं सुरक्षित हो जाएंगी बल्कि राज्य का पारिस्थितिकी संतुलन भी कायम रह पाएगा।
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