Posted on 19 Feb, 2015 05:08 PMमशहूर अंग्रेज कवि जॉन कीट्स ने एक बार कहा था ‘‘धरती की कविता कभी खत्म नहीं होगी।’’ कीट्स एकदम सही थे। धरती अपने रूप बदलती रही है। धरती के विभिन्न रूपों के निशान धरती के ही इतिहास के पन्नों में दफन हैं। हिमालय की ऊँची चट्टानों की सतहों के बीच समुद्री जीवाश्म की प्रचुर मात्रा मौजूद हैं, जो बताते हैं कि उत्तुंग पर्वत श्रृंखला की जगह एक समय वहाँ लहराता समुद्र हुआ करता था।
Posted on 12 Feb, 2015 07:24 PMदेश की खाद्य सुरक्षा के लिए अन्य क्षेत्रों की ही तरह पहाड़ों में भी सिंचित खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना होगा। पहाड़ों में सिंचित खेती का प्रतिशत बहुत कम, औसतन बीस प्रतिशत के लगभग ही है। पहाड़ों में सिंचित खेती का प्रसार अन्य कारणों से भी प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए।
Posted on 12 Feb, 2015 07:11 PMमिट्टी का क्षरण रोकने और उपजाऊपन बहाल करने के अगर प्रभावी उपाय न किए गए तो हरित क्रान्ति से हुए लाभों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके लिए एक सफल परियोजना तैयार की गई जिसके सुखद परिणाम किसानों को महसूस होने लगे हैं।