केरल के कोट्टायम जिले के कलाकेट्टी में निवास करने वाले मैथ्यूज के. मैथ्यू ने मच्छर पकड़ने और उनको नष्ट करने के लिए एक रोचक सौर उपकरण विकसित किया है। इस उपकरण में मच्छरों को आकर्षित करने के लिए सेप्टिक टैंक की दुर्गंध का इस्तेमाल किया गया है। एक बार जब मच्छर उपकरण में फंस जाता है, तो सूर्य के प्रकाश के उस मशीन पर पड़ने से जो ताप पैदा होता है, उसके कारण फंसा हुआ मच्छर मर जाता है।केरल के कोट्टायम जिले के कलाकेट्टी में निवास करने वाले मैथ्यूज के. मैथ्यू ने मच्छर पकड़ने और उनको नष्ट करने के लिए एक रोचक सौर उपकरण विकसित किया है। इस उपकरण में मच्छरों को आकर्षित करने के लिए सेप्टिक टैंक की दुर्गंध का इस्तेमाल किया गया है। एक बार जब मच्छर उपकरण में फंस जाता है, तो सूर्य के प्रकाश के उस मशीन पर पड़ने से जो ताप पैदा होता है, उसके कारण फंसा हुआ मच्छर मर जाता है।
वर्तमान में मैथ्यूश के. मैथ्यू कोट्टायम में कंजीरापल्ली स्थित किने टेक्नोलॉजी एण्ड रिसर्च इण्डिया के प्रबन्ध-भागीदार हैं। इस फर्म में उनके दो और भागीदार हैं। उनकी फर्म सौर मच्छर नाशक उपकरण के अभिकल्पन, उत्पादन और विक्रय का कार्य करती है।
यह उचित ही है कि यह आविष्कार कोट्टायम में हुआ है। यह देश का पहला शहर है जिसे पर्यावरण और वन मन्त्रालय ने ‘ईको सिटी’ में परिवर्तित करने के लिए चुना है।
मैथ्यू ने इस बात पर गौर किया कि मच्छर प्रायः उसके कमरे की खिड़की में लगे पारदर्शी शीशे को खुला स्थान समझकर उसमें से बाहर निकलने की कोशिश किया करते थे। उन्होंने इस बात पर भी गौर किया कि मच्छर गौशाला के पास की गीली और उमसभरी टंकी में उसके ऊपर कंक्रीट के स्लैब में पड़ी दरारों में घुसने की कोशिश किया करते थे। इन तथ्यों के आधार पर उन्होंने टंकी के भीतर मच्छरों को आकर्षित कर पकड़ने के बारे में प्रयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने कंक्रीट के ढक्कन की दरारों को अपारदर्शी रंग से पोतकर शीशे की एक चादर से ढंक दिया और उसमें सूर्य के प्रकाश के प्रवेश के लिए विषम चतुर्भुज आकार का एक छोटा-सा छेद बनाकर छोड़ दिया। उस चतुर्भुजी छेद को उन्होंने एक पारदर्शी शीशे की लम्बवत नली से ढंक दिया और उसके मुँह को लकड़ी के एक टुकड़े से बन्द कर दिया। मच्छरों के प्रवेश के लिए सिर्फ एक इंच का छेदभर का स्थान खुला छोड़ा। टंकी से निकलने वाली दुर्गंध से आकर्षित होकर मच्छर नली में चले आते थे और जब चतुर्भुजी शीशे के टुकड़े पर पड़ने वाले प्रकाश और ताप से उनका सामना होता तो वे परेशान होकर वापस उसी नली से निकल भागने की कोशिश करते। मैथ्यू ने जब इस निकास द्वार को पॉलीथीन बैग से बन्द कर दिया, तो उसमें अनेक मच्छर फंसकर मर गए।
तदनन्तर, उन्होंने इसका पोर्टेबल नमूना तैयार कर एक रबड़ प्रसंस्करण कारखाने की टंकी पर लगा दिया। इस उपकरण में भी लकड़ी के तख्ते पर बने उसी तरह का और चतुर्भुजी पारदर्शी आकार का छेद बनाया गया था। छह इंच चौड़ा और 40 इंच लम्बा यह छेद बड़ी तादाद में मच्छरों को अपनी ओर खींचने में समर्थ था। अब उन्होंने सेप्टिक टैंक पर ध्यान देना शुरू किया, क्योंकि उनके विचार में सबसे ज्यादा मच्छर वहीं पैदा होते थे। इसके लिए उन्हें अपने उपकरण की डिजाइन में कुछ संशोधन करना पड़ा और उन्होंने कई छेद वाले 25 लीटर के अपारदर्शी रंगीन जार को काम में लिया। उपकरण की कार्यक्षमता और कुशलता में सुधार के लिए समय-समय पर इसकी डिजाइन में छोटे-मोटे कई सुधार किए गए। उनके आविष्कार की ख्याति धीरे-धीरे फैलने लगी और तब उन्होंने उसके पेटेण्ट के लिए आवेदन भेजा। वर्ष 2005 में बने इस उपकरण को व्यावसायिक सफलता मिलने के बाद मैथ्यू ने इसका एक घरेलू संस्करण तैयार किया है और दोनों प्रकार के उपकरणों के पेटेण्ट के लिए आवेदन किया।
यह उपकरण घर के बाहर लगाने के लिए बनाया गया है। 25 सेमी × 20 सेमी × 25 सेमी आकार के इस उपकरण का भार 1.5 किलोग्राम है। इसे सेप्टिक टैंकों के पास लगाया जाता है और घर से दूर स्रोत पर ही मच्छरों का शिकार कर उन्हें खत्म कर देता है। यह उपकरण ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ सीधे सूर्य का प्रकाश पड़ सके।
इस उपकरण के प्रमुख अंग हैं— पॉलीमर के आधार वाला बाड़ा, गुम्बद के आकार की पारदर्शी सौर भट्ठी, जिसकी तलहटी में मच्छरों को आकर्षित करने और मरे मच्छरों को इकट्ठा करने के लिए बगल में दो खांचे बने होते हैं, बारीक जाली की अन्दरुनी परतें, शंकुकार एक केन्द्रीय नलिका, जिसमें मच्छर फांसने के लिए एक छेद होता है, बायोगैस की नली लगाने के लिए एक एडैप्टर, बायोगैस की निकासी को नियन्त्रित करने के लिए वाल्व और ट्यूब।
घरों में उपयोग किए जाने वाले तमाम उपकरणों में घातक रसायनों का इस्तेमाल होता है और वे खर्चीले भी होते हैं। मच्छरदानियाँ भी केवल मच्छरों को काटने से रोकती हैं, उन्हें मार नहीं पातीं। सौर मच्छर नाशक इन सबका एक बेहतर विकल्प है और इसे कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह मच्छरों को उनके प्रजनन के स्रोत पर ही समाप्त कर देता है।सेप्टिक टैंक से बायोगैस पाइप के जरिये एक ओर से डिब्बे के निचले हिस्से में गुजरती है। इसकी गन्ध मच्छरों को अपनी ओर खींचती है, जो डिब्बे के निचले हिस्से में बनाए एक वृत्ताकार छेद के जरिये उसमें प्रवेश कर जाते हैं। वे उपकरण के ऊपरी सिरे से प्रकाश आता हुआ देखते हैं और उस स्रोत को ढूँढने के लिए ऊपर की ओर भागते हैं। इस प्रयास में मच्छर उनको पकड़ने के लिए बने छेद में से शंकुकार नलिका में घुस जाते हैं। गुम्बद के आकार का यह ऊपरी हिस्सा वस्तुतः सौर नहीं होती है। सूर्य का प्रकाश तेज किरणों के रूप में आता है जिससे गुम्बद की हवा गर्म हो जाती है। वहाँ पहुँचने पर मच्छर बाहर निकलने का रास्ता नहीं पाकर वापस नीचे आकर बगल में बने खांचों की ओर पहुँच जाते हैं। चैम्बर का ग्रीनहाउस प्रभाव नमी सोख लेता है जिससे अन्ततः मच्छर मर जाते हैं। सौर भट्ठी के भीतर जो दो खांचे बने होते हैं उनकी डिजाइन इस प्रकार से की गई है कि उसमें मरे हुए मच्छर इकट्ठा होते जाते हैं। उपकरण के इस पूरे हिस्से को बाहर निकाल कर उसकी सफाई की जा सकती है।
अनूठी विशेषताओं वाला यह उपकरण किफायती और उच्च गुणवत्ता वाला है और इसे कहीं भी रखा या लगाया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें किसी प्रकार के रसायन अथवा कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। मच्छर भगाने की पारम्परिक मशीनों की तरह इसमें कोई लागत खर्च नहीं आता क्योंकि इसमें खपाने योग्य किसी वस्तु का उपयोग नहीं होता। दिन में 11 बजे से दोपहर बाद 4 बजे के बीच न्यूनतम आधे घण्टे के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इस सदाबहार उपकरण की देख-रेख पर भी कोई व्यय नहीं होता।
लाखों घरों में मच्छर और मक्खियों को भगाने के लिए तमाम उपाय किए जाते हैं जो अधिकतर बेअसर साबित होते हैं। मच्छर नालियों, सीवेज टंकियों और पोखर-तालाबों के पास पनपते रहते हैं। लाखों-करोड़ों की संख्या में मौजूद इन मच्छरों को घर के बाहर ही पकड़ कर मार देना श्रेयस्कर है।
घरों में उपयोग किए जाने वाले तमाम उपकरणों में घातक रसायनों का इस्तेमाल होता है और वे खर्चीले भी होते हैं। मच्छरदानियाँ भी केवल मच्छरों को काटने से रोकती हैं, उन्हें मार नहीं पातीं। सौर मच्छर नाशक इन सबका एक बेहतर विकल्प है और इसे कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह मच्छरों को उनके प्रजनन के स्रोत पर ही समाप्त कर देता है। रु. 1,400 की लागत का यह उपकरण सभी सेप्टिक टैंकों की निकासी नाली पर लगाया जा सकता है।
अपने एक निकट सम्बन्धी की साझेदारी में काम कर रहे मैथ्यू ने अपने आविष्कार के व्यावसायिक उत्पादन के लिए ऋण लिया है। उन्होंने 2005 से उत्पादन शुरू कर दिया है। वे इसकी बिक्री बढ़ाकर उपकरण की लागत घटाकर रु. 1,000 से नीचे लाना चाहते हैं।
मैथ्यू को इस उपकरण का पेटेण्ट वर्ष 2000 में ही मिल गया था। उन्होंने व्यापारिक नाम ‘हॉकर’ के तहत 250 से अधिक उपकरण व्यक्तियों, संस्थाओं, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को बेचे हैं।
मैथ्यू ने इस उपकरण का एक घरेलू संस्करण भी तैयार किया है, जिसके पेटेण्ट के लिए 2007 में आवेदन किया जा चुका है। यह मच्छरों को अपनी ओर खींचकर उन्हें पकड़ने की एक प्रणाली है जिसके इस्तेमाल के बाद उपभोक्ता आराम से सो सकता है। इस प्रणाली में उपभोक्ता के शरीर की ऊष्मा को मच्छरों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ताप के लिए सूर्य के प्रकाश के स्थान पर फ्लोर सेण्ट बल्ब का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में मैथ्यूश के. मैथ्यू कोट्टायम में कंजीरापल्ली स्थित किने टेक्नोलॉजी एण्ड रिसर्च इण्डिया के प्रबन्ध-भागीदार हैं। इस फर्म में उनके दो और भागीदार हैं। उनकी फर्म सौर मच्छर नाशक उपकरण के अभिकल्पन, उत्पादन और विक्रय का कार्य करती है।
यह उचित ही है कि यह आविष्कार कोट्टायम में हुआ है। यह देश का पहला शहर है जिसे पर्यावरण और वन मन्त्रालय ने ‘ईको सिटी’ में परिवर्तित करने के लिए चुना है।
आविष्कार की उत्पत्ति
मैथ्यू ने इस बात पर गौर किया कि मच्छर प्रायः उसके कमरे की खिड़की में लगे पारदर्शी शीशे को खुला स्थान समझकर उसमें से बाहर निकलने की कोशिश किया करते थे। उन्होंने इस बात पर भी गौर किया कि मच्छर गौशाला के पास की गीली और उमसभरी टंकी में उसके ऊपर कंक्रीट के स्लैब में पड़ी दरारों में घुसने की कोशिश किया करते थे। इन तथ्यों के आधार पर उन्होंने टंकी के भीतर मच्छरों को आकर्षित कर पकड़ने के बारे में प्रयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने कंक्रीट के ढक्कन की दरारों को अपारदर्शी रंग से पोतकर शीशे की एक चादर से ढंक दिया और उसमें सूर्य के प्रकाश के प्रवेश के लिए विषम चतुर्भुज आकार का एक छोटा-सा छेद बनाकर छोड़ दिया। उस चतुर्भुजी छेद को उन्होंने एक पारदर्शी शीशे की लम्बवत नली से ढंक दिया और उसके मुँह को लकड़ी के एक टुकड़े से बन्द कर दिया। मच्छरों के प्रवेश के लिए सिर्फ एक इंच का छेदभर का स्थान खुला छोड़ा। टंकी से निकलने वाली दुर्गंध से आकर्षित होकर मच्छर नली में चले आते थे और जब चतुर्भुजी शीशे के टुकड़े पर पड़ने वाले प्रकाश और ताप से उनका सामना होता तो वे परेशान होकर वापस उसी नली से निकल भागने की कोशिश करते। मैथ्यू ने जब इस निकास द्वार को पॉलीथीन बैग से बन्द कर दिया, तो उसमें अनेक मच्छर फंसकर मर गए।
तदनन्तर, उन्होंने इसका पोर्टेबल नमूना तैयार कर एक रबड़ प्रसंस्करण कारखाने की टंकी पर लगा दिया। इस उपकरण में भी लकड़ी के तख्ते पर बने उसी तरह का और चतुर्भुजी पारदर्शी आकार का छेद बनाया गया था। छह इंच चौड़ा और 40 इंच लम्बा यह छेद बड़ी तादाद में मच्छरों को अपनी ओर खींचने में समर्थ था। अब उन्होंने सेप्टिक टैंक पर ध्यान देना शुरू किया, क्योंकि उनके विचार में सबसे ज्यादा मच्छर वहीं पैदा होते थे। इसके लिए उन्हें अपने उपकरण की डिजाइन में कुछ संशोधन करना पड़ा और उन्होंने कई छेद वाले 25 लीटर के अपारदर्शी रंगीन जार को काम में लिया। उपकरण की कार्यक्षमता और कुशलता में सुधार के लिए समय-समय पर इसकी डिजाइन में छोटे-मोटे कई सुधार किए गए। उनके आविष्कार की ख्याति धीरे-धीरे फैलने लगी और तब उन्होंने उसके पेटेण्ट के लिए आवेदन भेजा। वर्ष 2005 में बने इस उपकरण को व्यावसायिक सफलता मिलने के बाद मैथ्यू ने इसका एक घरेलू संस्करण तैयार किया है और दोनों प्रकार के उपकरणों के पेटेण्ट के लिए आवेदन किया।
सौर मच्छर नाशक
यह उपकरण घर के बाहर लगाने के लिए बनाया गया है। 25 सेमी × 20 सेमी × 25 सेमी आकार के इस उपकरण का भार 1.5 किलोग्राम है। इसे सेप्टिक टैंकों के पास लगाया जाता है और घर से दूर स्रोत पर ही मच्छरों का शिकार कर उन्हें खत्म कर देता है। यह उपकरण ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ सीधे सूर्य का प्रकाश पड़ सके।
इस उपकरण के प्रमुख अंग हैं— पॉलीमर के आधार वाला बाड़ा, गुम्बद के आकार की पारदर्शी सौर भट्ठी, जिसकी तलहटी में मच्छरों को आकर्षित करने और मरे मच्छरों को इकट्ठा करने के लिए बगल में दो खांचे बने होते हैं, बारीक जाली की अन्दरुनी परतें, शंकुकार एक केन्द्रीय नलिका, जिसमें मच्छर फांसने के लिए एक छेद होता है, बायोगैस की नली लगाने के लिए एक एडैप्टर, बायोगैस की निकासी को नियन्त्रित करने के लिए वाल्व और ट्यूब।
घरों में उपयोग किए जाने वाले तमाम उपकरणों में घातक रसायनों का इस्तेमाल होता है और वे खर्चीले भी होते हैं। मच्छरदानियाँ भी केवल मच्छरों को काटने से रोकती हैं, उन्हें मार नहीं पातीं। सौर मच्छर नाशक इन सबका एक बेहतर विकल्प है और इसे कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह मच्छरों को उनके प्रजनन के स्रोत पर ही समाप्त कर देता है।सेप्टिक टैंक से बायोगैस पाइप के जरिये एक ओर से डिब्बे के निचले हिस्से में गुजरती है। इसकी गन्ध मच्छरों को अपनी ओर खींचती है, जो डिब्बे के निचले हिस्से में बनाए एक वृत्ताकार छेद के जरिये उसमें प्रवेश कर जाते हैं। वे उपकरण के ऊपरी सिरे से प्रकाश आता हुआ देखते हैं और उस स्रोत को ढूँढने के लिए ऊपर की ओर भागते हैं। इस प्रयास में मच्छर उनको पकड़ने के लिए बने छेद में से शंकुकार नलिका में घुस जाते हैं। गुम्बद के आकार का यह ऊपरी हिस्सा वस्तुतः सौर नहीं होती है। सूर्य का प्रकाश तेज किरणों के रूप में आता है जिससे गुम्बद की हवा गर्म हो जाती है। वहाँ पहुँचने पर मच्छर बाहर निकलने का रास्ता नहीं पाकर वापस नीचे आकर बगल में बने खांचों की ओर पहुँच जाते हैं। चैम्बर का ग्रीनहाउस प्रभाव नमी सोख लेता है जिससे अन्ततः मच्छर मर जाते हैं। सौर भट्ठी के भीतर जो दो खांचे बने होते हैं उनकी डिजाइन इस प्रकार से की गई है कि उसमें मरे हुए मच्छर इकट्ठा होते जाते हैं। उपकरण के इस पूरे हिस्से को बाहर निकाल कर उसकी सफाई की जा सकती है।
अनूठी विशेषताओं वाला यह उपकरण किफायती और उच्च गुणवत्ता वाला है और इसे कहीं भी रखा या लगाया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें किसी प्रकार के रसायन अथवा कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। मच्छर भगाने की पारम्परिक मशीनों की तरह इसमें कोई लागत खर्च नहीं आता क्योंकि इसमें खपाने योग्य किसी वस्तु का उपयोग नहीं होता। दिन में 11 बजे से दोपहर बाद 4 बजे के बीच न्यूनतम आधे घण्टे के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इस सदाबहार उपकरण की देख-रेख पर भी कोई व्यय नहीं होता।
उपयोग
लाखों घरों में मच्छर और मक्खियों को भगाने के लिए तमाम उपाय किए जाते हैं जो अधिकतर बेअसर साबित होते हैं। मच्छर नालियों, सीवेज टंकियों और पोखर-तालाबों के पास पनपते रहते हैं। लाखों-करोड़ों की संख्या में मौजूद इन मच्छरों को घर के बाहर ही पकड़ कर मार देना श्रेयस्कर है।
घरों में उपयोग किए जाने वाले तमाम उपकरणों में घातक रसायनों का इस्तेमाल होता है और वे खर्चीले भी होते हैं। मच्छरदानियाँ भी केवल मच्छरों को काटने से रोकती हैं, उन्हें मार नहीं पातीं। सौर मच्छर नाशक इन सबका एक बेहतर विकल्प है और इसे कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह मच्छरों को उनके प्रजनन के स्रोत पर ही समाप्त कर देता है। रु. 1,400 की लागत का यह उपकरण सभी सेप्टिक टैंकों की निकासी नाली पर लगाया जा सकता है।
अपने एक निकट सम्बन्धी की साझेदारी में काम कर रहे मैथ्यू ने अपने आविष्कार के व्यावसायिक उत्पादन के लिए ऋण लिया है। उन्होंने 2005 से उत्पादन शुरू कर दिया है। वे इसकी बिक्री बढ़ाकर उपकरण की लागत घटाकर रु. 1,000 से नीचे लाना चाहते हैं।
मैथ्यू को इस उपकरण का पेटेण्ट वर्ष 2000 में ही मिल गया था। उन्होंने व्यापारिक नाम ‘हॉकर’ के तहत 250 से अधिक उपकरण व्यक्तियों, संस्थाओं, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को बेचे हैं।
मैथ्यू ने इस उपकरण का एक घरेलू संस्करण भी तैयार किया है, जिसके पेटेण्ट के लिए 2007 में आवेदन किया जा चुका है। यह मच्छरों को अपनी ओर खींचकर उन्हें पकड़ने की एक प्रणाली है जिसके इस्तेमाल के बाद उपभोक्ता आराम से सो सकता है। इस प्रणाली में उपभोक्ता के शरीर की ऊष्मा को मच्छरों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ताप के लिए सूर्य के प्रकाश के स्थान पर फ्लोर सेण्ट बल्ब का उपयोग किया जाता है।
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