वी.के. जोशी

वी.के. जोशी
हिमालय की नजाकत
Posted on 19 Feb, 2015 05:08 PM
मशहूर अंग्रेज कवि जॉन कीट्स ने एक बार कहा था ‘‘धरती की कविता कभी खत्म नहीं होगी।’’ कीट्स एकदम सही थे। धरती अपने रूप बदलती रही है। धरती के विभिन्न रूपों के निशान धरती के ही इतिहास के पन्नों में दफन हैं। हिमालय की ऊँची चट्टानों की सतहों के बीच समुद्री जीवाश्म की प्रचुर मात्रा मौजूद हैं, जो बताते हैं कि उत्तुंग पर्वत श्रृंखला की जगह एक समय वहाँ लहराता समुद्र हुआ करता था।
..और नदियों के किनारे घर बसे हैं
Posted on 23 Sep, 2010 01:02 PM
मानव सभ्यता और बाढ़ का रिश्ता आदिकाल से चला आ रहा है। अनेक सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी और बाढ़ से नेस्तनाबूद हो गई। आज भी बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसके नाम से ही देश के अनेक गांवों एवं नगरों के लोग थर्रा उठते हैं। एक शोध के अनुसार 1980 से 2008 के दौरान भारत में चार अरब से भी अधिक लोग बाढ़ प्रभावित हुए। प्रति वर्ष बाढ़ से करोड़ों रुपयों के घर-बार, खेती और मवेशी नष्ट हो जाते हैं।
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