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जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य को खतरा
Posted on 10 Mar, 2015 07:28 AM धरती संकट में है। इंसान ने अपने कर्म से अपने और अपनी भावी पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में डाल लिया है। दुनियाभर में चिन्ता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। एक सवाल हम सब के समक्ष है कि क्या हम खुद और अपनी आने वाली पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? जवाब स्पष्ट है— अगर हम अब भी नहीं सम्भले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती जा रही है।
सिंचाई : अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा
Posted on 10 Mar, 2015 07:16 AM जितनी सिंचाई क्षमता का उपयोग किया जा सकता था, उसके करीब 73.5 प्रति
आपदा प्रबन्धन : जरूरी है इच्छाशक्ति
Posted on 09 Mar, 2015 12:42 PM आपदा प्रबन्धन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि सरकार की ओर से इच्छ
आपदा प्रबन्धन की कमजोरियाँ
Posted on 09 Mar, 2015 12:38 PM आपदाओं में अक्सर मानवता खण्डित होती दिखती है लेकिन हमें धीरज और वि
भूकम्परोधी भवन : समस्याएँ और सुझाव
Posted on 08 Mar, 2015 12:50 PM भूकम्पीय समस्या के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम इस तथ्य को स्
पानी पर वैश्विक टकराव की आहट
Posted on 08 Mar, 2015 07:03 AM सभी देशों को पारदर्शिता अपनानी होगी। पानी से सम्बन्धित आँकड़े साझा
समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन
Posted on 07 Mar, 2015 07:04 AM प्राकृतिक आपदाएँ जहाँ दशकों तक चलाए गए विकास प्रयासों के लाभों को
नहीं करने देंगे जल-जंगल-जमीन पर कब्जा
Posted on 07 Mar, 2015 06:53 AM पीवी राजगोपाल एक ऐसा नाम है जिन्हें भूमिहीनों को उनकी जमीन के हक के लिए जाना जाता है। वह कई सालों से गरीबों की लड़ाई लड़ रहे हैं। राजगोपाल के नेतृत्व में यूपीए सरकार के समय भूमिहीनों के हित के लिए आन्दोलन शुरू हुआ था। तब सरकार ने उनकी माँगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन वायदा पूरा नहीं किया। उन्हीं माँगों को लेकर एक बार फिर से अब आन्दोलन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर उनसे रमेश ठाकुर ने बातची
विकास से जोखिम रहित विकास तक
Posted on 05 Mar, 2015 08:38 AM आपदाओं का असर कम करने के राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय और स्थानीय स्तर
आपदा प्रबन्धन प्रयासों में आमूल परिवर्तन
Posted on 04 Mar, 2015 09:03 AM प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रति वर्ष हजारों लोग अकाल मृत्यु के शिका
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