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गंगा सफाई अभियान पर ‘सुप्रीम’ सख्ती
Posted on 20 Jan, 2015 11:20 AM गंगागंगा सफाई अभियान को चलते हुए 30 साल का एक लम्बा समय व्यतीत हो चुका है लेकिन आज भी गंगा की स्थिति जस-की-तस बनी हुई है। प्रदूषण के स्तर पर तो गंगा की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही ह
मैं गंगा क्यों मैली हूँ
Posted on 20 Jan, 2015 10:03 AM हूँ पतित पावनी,जीवन दायी
मैं गंगा क्यों मैली हूँ
तट मेरे सजते कालजयी पर्वोत्सव से
स्वयं क्यों क्षीणा हूँ
कल मैं अपनी लहरों के संग
खूब किल्लोलें करती थी
अमृत सा था ये जल
सबके परलोक सुधारा करती थी
जन गण की प्यास बुझाती
मैं फिर क्यों प्यासी रहती हूँ
महा गरल से त्रस्त हो रही
मरती जाती हूँ
साक्षी रही इतिहास बदलते
जूलॉजी ग्रेजुएट्स के लिए ढेरों हैं नौकरियां
Posted on 19 Jan, 2015 12:40 PM

जूलॉजी एक ऐसा विषय है, जो न केवल बेहतरीन कॅरिअर के अवसर उपलब्ध करवाता है, बल्कि प्रकृति से जुड़

बांध, आपदा प्रबंधन और विस्थापन
Posted on 19 Jan, 2015 09:41 AM

प्रदेश सरकार को उत्तराखंड की आपदा से सबक लेना होगा और विद्युत परियोजना के संदर्भ में अपनी आपदा

गंगा नदी की हत्या करने की अनुमति नहीं : उमा
Posted on 19 Jan, 2015 09:35 AM

2015-16 जल क्रान्ति वर्ष के रूप में मनाया जाएगा

Uma Bharti
मत रोको, गंगा को बहने दो…
Posted on 18 Jan, 2015 04:01 PM हमारी सभ्यता का उद्भव और विकास नदियों के किनारों से जुड़ा रहा है। नदियों से शुरू हुआ हमारा विकास क्रम आज नदियों के विनाश तक जा पहुंचा है। गंगा और यमुना हमारे जीवन का आज भी आधार-भूत तत्व हैं। स्वांतः सुखाय विकास की आधुनिक अवधारणा आज नदी रूपी हमारी जीवनदायी स्रोत के लिए अभिशाप बन गई है। पतित् पावनी गंगा पिछले तीन दशकों से मुक्ति की बाट जोह रही है। गंगा मुक्ति की चिंता सरकार से ज्यादा देश की सर्वोच्च अदालत को है और वह हर बार सरकार से यक्ष प्रश्न करती है कि गंगा की सफाई कब तक होगी? इसी सवाल की पड़ताल करती सामयिकी।

.देश की पावन नदी गंगा दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। उत्तर भारत की यमुना, पश्चिम की साबरमती, दक्षिण की पम्बा की भी हालत बहुत ही खराब है। देश की कई नदियां जैविक लिहाज से मर चुकी हैं। इसका असर पर्यावरण के साथ लोगों पर भी पड़ रहा है।

वर्ल्ड रिसोर्सेज रिपोर्ट के मुताबिक 70 फीसदी भारतीय गंदा पानी पीते हैं। पीलिया, हैजा, टायफाइड और मलेरिया जैसी कई बीमारियां गंदे पानी की वजह से होती हैं। रासायनिक खाद भी भू-जल को दूषित कर रहे हैं। कारखानों और उद्योगों की वजह से हालत और बुरी हो गई है।
पर्यावरण पर्यटन : सामुदायिक विकास का प्रभावी साधन
Posted on 17 Jan, 2015 12:48 PM पर्यावरण पर्यटन को पर्यावरण उद्योग में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने व
आत्मज्ञान की ओर ले जाता विज्ञान
Posted on 17 Jan, 2015 12:37 PM कोई पूछ बैठे कि आज के इस युग को किस बात से जानेंगे हम?
कोहनी का पाठ
Posted on 16 Jan, 2015 04:52 PM क्या बिना पढ़े, बिना स्कूल गए कोई इंजीनियर बन सकता है? आज तो यही जवाब मिलेगा कि ऐसा नहीं हो सकता।

इंजीनियर बनना हो तो स्कूल जाना होगा। वहां भी सिर्फ अपनी मेहनत, अपनी योग्यता काम नहीं आएगी। ट्यूशन तो पुराना पड़ गया शब्द है, उससे काम नहीं चलेगा। सब तो यही बताएंगे कि इंजीनियर बनाना है तो कोचिंग का इंतजाम भी करना पड़ेगा। इस सबमें जो खर्च आएगा, वह भी हर घर तो जुटा नहीं पाता। तो कुछ बच्चे चाह कर भी, योग्य होते हुए भी इस दौड़ में पीछे रह जाते हैं।

जो इस मोड़ से आगे बढ़ गए, उन्हें अभी पांच साल और बिताने हैं। तब वे इंजीनियर बन पाएंगे। तो जरा जोड़कर तो देखो भला कितने साल हो गए?
Talab
कोपेनहेगन के आगे वैश्विक तपन
Posted on 16 Jan, 2015 03:43 PM कोपेनहेगन समझौते के प्रारूप के लिए उत्तरदायी बेसिक नेतृत्व के कुछ स
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