विवेक दत्त मथुरिया

विवेक दत्त मथुरिया
मत रोको, गंगा को बहने दो…
Posted on 18 Jan, 2015 04:01 PM
हमारी सभ्यता का उद्भव और विकास नदियों के किनारों से जुड़ा रहा है। नदियों से शुरू हुआ हमारा विकास क्रम आज नदियों के विनाश तक जा पहुंचा है। गंगा और यमुना हमारे जीवन का आज भी आधार-भूत तत्व हैं। स्वांतः सुखाय विकास की आधुनिक अवधारणा आज नदी रूपी हमारी जीवनदायी स्रोत के लिए अभिशाप बन गई है। पतित् पावनी गंगा पिछले तीन दशकों से मुक्ति की बाट जोह रही है। गंगा मुक्ति की चिंता सरकार से ज्यादा देश की सर्वोच्च अदालत को है और वह हर बार सरकार से यक्ष प्रश्न करती है कि गंगा की सफाई कब तक होगी? इसी सवाल की पड़ताल करती सामयिकी।

.देश की पावन नदी गंगा दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। उत्तर भारत की यमुना, पश्चिम की साबरमती, दक्षिण की पम्बा की भी हालत बहुत ही खराब है। देश की कई नदियां जैविक लिहाज से मर चुकी हैं। इसका असर पर्यावरण के साथ लोगों पर भी पड़ रहा है।

वर्ल्ड रिसोर्सेज रिपोर्ट के मुताबिक 70 फीसदी भारतीय गंदा पानी पीते हैं। पीलिया, हैजा, टायफाइड और मलेरिया जैसी कई बीमारियां गंदे पानी की वजह से होती हैं। रासायनिक खाद भी भू-जल को दूषित कर रहे हैं। कारखानों और उद्योगों की वजह से हालत और बुरी हो गई है।
पर्यावरण की चिंताएं
Posted on 30 Jul, 2014 09:39 AM

वन संपदा की सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व निर्वहन करने वाला वन विभाग पूरी तरह अपाहिज दिखाई देता

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