दिल्ली

Term Path Alias

/regions/delhi

कहीं पानी भी हाथ न जला दे
Posted on 09 Mar, 2015 02:34 PM हमारे लिए इन सबसे सबक लेना जरूरी है। इन्दौर हो या बंगलौर, हमें निजी
मनरेगा का मखौल तो न उड़ाइए श्रीमान
Posted on 08 Mar, 2015 01:09 PM

खामियाँ कई : कानून सही

NREGA
पानी को मत बेचिए
Posted on 05 Mar, 2015 02:45 PM

रेलगाड़ी का आविष्कार इंग्लैंड में ज़रूर हुआ था, लेकिन भारत में रेलों का विस्तार होने के बाद उसी की कमाई से ब्रिटेन में रेलों का विकास और विस्तार हुआ। शुरू में अंग्रेज रेलगाड़ी से अपनी फौज़ और सैनिक साज-सामान ढ़ोते थे। बाद में रुई तथा अन्य प्रकार के कच्चे माल को बन्दरगाहों तक पहुँचाने तथा ब्रिटिश मिलों में बने सूती कपड़ों तथा अन्य प्रकार के पक्के माल को भा

क्या हमें सचमुच गुजरात का साबरमती मॉडल चाहिए
Posted on 05 Mar, 2015 01:20 PM जब नदी का पुनर्जीवन महज उसके रिवरफ्रंट डेवलपमेंट ऊपरी सौन्दर्यीकरण बन कर रह जाता है तो उसका फायदा नदी की व्यापक पारिस्थितिकी की कीमत पर सिर्फ रीयल एस्टेट और शहरी अभिजात को होता है। यहाँ अमृता प्रधान साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और अन्य परियोजनाओं पर चर्चा कर रही हैं ताकि इस मॉडल में अन्तर्निहित खतरों को उद्घाटित किया जा सके।
धरती के रंग बचाने हैं
Posted on 04 Mar, 2015 03:01 PM मैंने प्रकृति के प्रति अपने लगाव के चलते भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की थी। शुरुआत में ही मुझे सिखाया गया था कि भौतिकी, प्रकृति को समझने का एक जरिया है। इसलिए भौतिकी में मेरा सफर पारिस्थितिकी में सफर की तरह ही है। इनमें कोई खास अन्तर नहीं है, सिवाय इसके कि पर्यावरणीय तबाही के पहलू में हम देखते हैं कि जीवन के लिए जरूरी तन्त्रों का विनाश हो रहा है। इस बात ने मुझे ब
वंदना शिवा
मनरेगा का मखौल क्यों
Posted on 04 Mar, 2015 11:44 AM लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना यानी मनरेगा का मखौल उड़ाया, उससे उनकी मजदूर-किसान विरोधी मानसिकता ही उजागर हुई है। प्रधानमन्त्री को लगता है कि यह योजना गड्ढे खोदने और गड्ढे भरने से ज्यादा और कुछ नहीं है। योजना से देश और देश के लोगों को कोई फायदा नह
किसानों की शंकाओं का समाधान करे सरकार
Posted on 04 Mar, 2015 09:53 AM

अफसोस तो इस बात का है कि किसानों के नाम से जारी सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुँच पाया है।

आस्था और विकास की एक त्रासद कहानी ' दर दर गंगे'
Posted on 03 Mar, 2015 11:52 AM

भारतीय संस्कृति में नदी माँ है। नदियों के साथ हम अपनी माँ जैसा ही व्यवहार तो करते थे। बचपन में माँ दूध पिलाकर पोषण करती है। वैसे ही नदी भी जल पिलाकर जीवनभर पोषण करती थी। आज सब भूल गए हैं कि पीने का पानी नदी से आता है। इस अज्ञान ने नदी से दूर कर दिया है। 21वीं सदी के दूसरे दशक में नदियों को पूर्णत: प्रदूषित कर दिया है। उद्योगों ने नदियों को मैला ढोनेवाली मालगाड़ी बना दिया है। अब पानी पीकर या स्

Dar Dar Gange
भू-अधिकार आयोजनों का हासिल
Posted on 03 Mar, 2015 11:09 AM भू-अधिकार के मसले पर सरकार को चेतावनी देने के आयोजनों का एक दौर सम्पन्न हो चुका है। वाया अन्ना, आयोजन का अगला दौर नौ मार्च को वर्धा (महाराष्ट्र) स्थित सेवाग्राम से शुरू होगा। इन आयोजनों का जनता को हुआ हासिल अभी सिर्फ इतना ही है कि वह जान चुकी है कि कोई ऐसा कानून बना था, जिसमें उनकी राय के बगैर खेती-किसानी की ज़मीन नहीं ली जा सकती थी।
Justice for farmers
गोवा, दिल्ली की भूख और प्यास
Posted on 02 Mar, 2015 04:59 PM पोथी पढ़-पढ़ पंक्ति जिस पण्डित की ओर संकेत करती है, उसे सब जानते ही हैं। जग मुआ पर पण्डित नहीं बन पाए। प्रेम का ढाई आखर बना देता है पण्डित। इस बार ढाई आखर प्रेम का नहीं फ्रेम का है। तेजी से अपण्डित होते जा रहे संसार में वृत्त-चित्र के ढाई फ्रेम भी नए पण्डित बना सकते हैं- इस विश्वास के साथ इस बार पोथी के इस काॅलम में वृत्त-चित्र की चर्चा की जा रही है।
×