रवीन्द्र त्रिपाठी
रवीन्द्र त्रिपाठी
गोवा, दिल्ली की भूख और प्यास
Posted on 02 Mar, 2015 04:59 PMपोथी पढ़-पढ़ पंक्ति जिस पण्डित की ओर संकेत करती है, उसे सब जानते ही हैं। जग मुआ पर पण्डित नहीं बन पाए। प्रेम का ढाई आखर बना देता है पण्डित। इस बार ढाई आखर प्रेम का नहीं फ्रेम का है। तेजी से अपण्डित होते जा रहे संसार में वृत्त-चित्र के ढाई फ्रेम भी नए पण्डित बना सकते हैं- इस विश्वास के साथ इस बार पोथी के इस काॅलम में वृत्त-चित्र की चर्चा की जा रही है।‘पानी’ एक भविष्योन्मुखी फिल्म है: शेखर कपूर
Posted on 23 Nov, 2014 09:09 AMगोवा का मेरियट होटल मांडवी नदी के किनारे है और यहां की लॉबी में खड़े होकर लगता है कि आप समुद्र के सामने हैं। एक विशाल जल-राशि के सामने अगर ‘पानी’ फिल्म बना रहे शेखर कपूर से बातचीत हो ये सुखद संयोग ही है। शेखर बहुत ही आत्मीय ढंग से बात करते हैं। होटल की लॉबी में मिलते ही कहते हैं अरे ‘मैं अपना मोबाइल अपनी कार में ही भूल गया। लेकर आता हूं’।