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प्रदूषित यमुना
Posted on 17 Feb, 2015 02:17 PM भारत की सबसे बड़ी नदी तो गंगा है, लेकिन यमुना का जो वैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है, वह किसी भी बड़ी और जीवन्त नदी से कम नहीं है। यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री ग्लेशियर से हुआ है। इलाहाबाद में इसका गंगा से संगम होता है, जिससे इसका पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ गया है। इसकी कुल लम्बाई 1376 किलोमीटर है।

यह भारत के सात राज्यों से गुजरती है। इसकी बारह सहायक नदियाँ हैं- बेतवा, गिरि, टोंस, असान, सोम, छोटी यमुना, हिण्डन, चम्बल, काली, सिन्ध, केन और बेतवा। इस नदी से छब्बीस नाले निकाले गए हैं और सात नहरें भी इसी से निकली हैं। इस पर छह बैराज और बाँध भी बनाए गए हैं।
हमारा जल प्रबन्धन, दृष्टिकोण
Posted on 17 Feb, 2015 01:41 PM

जल प्रबन्धन को लेकर नदियों को जोड़ना और मोक्षदायिनी गंगा की सफाई मोदी सरकार अपने साथ चुनाव प्रचार से ही लेती आई है। इसे लेकर चाहे केन्द्र सरकार और कुछ राजनैतिक दलों में उत्साह हो, लेकिन कई मानते हैं कि यह न तो व्यवहारिक और न ही सम्भव- दोनों नदियों को जोड़ना और गंगा की सफाई! इन दोनों ही मुद्दों पर प्रख्यात जल विशेषज्ञ अनुपम मिश्र से नीतिश द्वारा बातचीत पर आधारित लेख।

.वर्तमान में भारत को किस प्रकार के जल प्रबन्धन की जरूरत आप महसूस कर रहे हैं?
हम सभी लोग जानते हैं कि हमारे देश में एक तरह की जलवायु नहीं है। हर साल मौसम बदलता रहता है, जिससे बारिश कहीं ज्यादा तो कहीं कम होती है। हमारे यहाँ मोटे तौर पर जैसलमेर में न्यूनतम वार्षिक औसत 15 सेमी से लेकर मेघालय, जिसका नाम ही मेघों पर है, वहाँ पानी मीटरों में गिरता है। सेंटीमीटर में नहीं! इसमें छत्तीसगढ़ भी आता है, जहाँ 200 से 400 सेमी तक बरसात होती है। ऐसी जगहों पर जल-प्रबन्धन न कोई एक दिन में बन सकने वाली व्यवस्था नहीं है।

Anupam Mishra
जनपद का वृक्ष
Posted on 17 Feb, 2015 01:40 PM नहीं सुखा पाओगे मुझको
ओ सप्त अश्वधारी भगवान भास्कर
सजल स्रोत जीवन से
गुंथी हुई है
धरती में
जड़ मेरी

झेल चुका हूं
घोर अकाल
वर्षा का अभाव
पूरे जनपद पर मेरे
ग्रीष्म ताप
तेज जलाती किरणें पैनी

तुमने जाना अपने को
रश्मिरथी सम्राट
प्रभु सता का

संकेतों पर चलने वाले
धनपतियों के रक्षक
तैलचित्र का स्रोत
Posted on 17 Feb, 2015 01:28 PM उसके मटमैले गालों पर
ऊपर से नीचे उतरतीं
मोटी-मोटी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं
देख रहे हैं आप
वह नहीं हैं वाटर पेंटिंग
और न हैं वे भित्तिचित्र
उसकी खुशहाली के
नहीं हैं निशान वे
किसी उत्सव के
समाज के आखिरी आदमी का सच
बतातीं वे रेखाएं
बनी हैं उसकी आंखों से
ढलकते आंसुओं से

उसके नंगे धुरियाये पेट पर
देख रहे हैं आप जो चकत्ते
कैसे मुमकिन है
Posted on 17 Feb, 2015 01:08 PM कैसे मुमकिन है कि
मेघ इकबारगी छट जाएं
या इकदम से
टूट कर बरस जाएं
मूसलाधार बारिश का पानी
सैलाब में
तब्दील हो जाये

और थोड़े-से
पुख्ता मकानों को छोड़कर
गाँव के बेशतर
कमजोर नीव के ढाँचे
जमींदोज हो जाएं
फसलें मुर्झा जाएं

और
रेतीली जमीन पर
पसरी आबादियां
मौत की नींद सो जाएं
शहर ग्रीन करो, इट्स अवर टर्न टू लीड
Posted on 17 Feb, 2015 11:47 AM 22 अप्रैल, 2015 को 45वां पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष का अन्तरराष्ट्रीय नारा है- शहर ग्रीन करो, ये हमारी जिम्मेदारी है।

भारत में पृथ्वी दिवस के अवसर पर देश के 45 शहरों में प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता का शीर्षक होगा शहर ग्रीन करो, इट्य अवर टर्न टू लीड।

प्रतियोगिता के अन्तर्गत देशभर में हर व्यक्ति अपने शहर को ‘स्वच्छ’ और ‘हरा’ बनाने का प्रयास कर सकता है। सभी श्रेष्ठ प्रयासों को अर्थ डे नेटवर्क द्वारा सम्मानित किया जाएगा। हमारे द्वारा पर्यावरण के लिए किया गया एक छोटा सा प्रयास भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
पानी पर हो समाज का मालिकाना हक, पर्यावरणविदों ने कहा
Posted on 16 Feb, 2015 03:24 PM इसे बुनियादी अधिकार बनाने की माँग
ब्रह्मपुत्र के अस्तित्व पर खतरा हैं चीन के बांध
Posted on 16 Feb, 2015 09:58 AM

बकले ने ‘मेल्टडाउन इन तिब्बत : चाइनाज रेकलेस डिस्ट्रक्शन ऑफ इकोसिस्टम्स फ्रॉम हाईलैंड ऑफ तिब्बत

ख़तरे में पक्षी
Posted on 15 Feb, 2015 03:39 PM

हाथी के पाँव के नीचे सबका पाँव, बाघ की छत्रछाया के नीचे अन्य पशु-पक्षी भी सहज रूप से जी सकेंगे।

प्रकृति से लिया, उसे लौटाना होगा
Posted on 13 Feb, 2015 04:09 PM आज के हालात में यह न केवल जरूरी है, बल्कि हम सभी के लिए बेहद फायदे
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