अभिषेक कुमार सिंह
नदियाँ जोड़िए, जरा सम्भल कर
Posted on 05 May, 2016 01:36 PMखेती को सूखे से बचाने व देश को बाढ़ की आपदा से कुछ हद तक सुर
चक्रव्यूह में किसान
Posted on 21 Apr, 2015 12:49 PMबेवक्त की बारिश और ओलावृष्टि ने देश की दूसरी सबसे बड़ी कही जाने वाली रबी की फसल को काफी-कुछ तबाह कर दिया है। कई राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कोढ़ में खाज यह है कि सरकारें किसानों को ऊँट के मुँह में जीरे की तरह मुआवजा बाँट रही है। खेती-किसानी के इस दुखद पहलू का जायजा ले रहे हैं अभिषेक कुमार सिंह।पाबंदी के मायने
Posted on 30 Jun, 2014 11:03 AMभूमंडलीकरण के समर्थकों ने क्या सोचा था कि आगे चलकर वह फायदे के बजाय घाटे में बदल जाएगा। अपनी चीजों को दुनिया में कहीं बेचना तो दूर, घरेलू बाजारों में भी उनकी वाजिब कीमतेंमहाविषाणु या महाषड्यंत्र
Posted on 02 Apr, 2014 03:02 PMभारत में सुपरबग्स के जो दावे किए जा रहे हैं, उन पर बाजार का दबाव हैजब सजा में बदल जाता है मौसम का मजा
Posted on 19 Jan, 2013 03:51 PMदुनिया के अनेक देशों में हिमस्खलन संबंधी अलर्ट जारी करने की परंपरा है। पर इस चेतावनियों के बावजूद बर्फ कई बार जा
एंटीबायोटिक के अंधाधुंध इस्तेमाल के खतरे
Posted on 26 Oct, 2012 03:48 PMवैज्ञानिकों का सुझाव यह है कि हाईजीन यानी स्वच्छता को एक हथियार के रूप में अपनाया जाए। लोग संक्रमणों को लेकर जाग
क्लाइमेट इमरजेंसी हंगामा है क्यों बरपा
Posted on 29 Jun, 2024 03:45 PMप्राकृतिक (क्लाइमेट) इमरजेंसी या आपातकाल की बात कोई कपोल कल्पना नहीं है। बल्कि नवंबर, 2019 में विज्ञान के एक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल-बायोसाइंस द्वारा भारत समेत दुनिया के 153 देशों के 11,258 वैज्ञानिकों के बीच एक शोध अध्ययन कराया, जिसका नतीजा यह है कि पिछले 40 वर्षों में ग्रीनहाउस गैसों के अबाध उत्सर्जन और आबादी बढ़ने के साथ-साथ पृथ्वी के संसाधनों के अतिशय दोहन, जंगलों के कटने की रफ्तार बढ़ने, ग्ले
क्लाइमेट इमरजेंसी हंगामा है क्यों बरपा
Posted on 12 Apr, 2023 01:58 PMहवाएं अपना अपना रुख बदल रही हैं। पूरी दुनिया में मौसमों की चाल ने ऐसी कयामत बरपाई है कि हर कोई हैरान-परेशान है। धरती पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं से लेकर इंसान भी इस गफलत में पड़ गये हैं कि वह आखिर तेज गर्मी सर्दी से कैसे बचें। विज्ञान के तमाम आविष्कारों के बल पर हर परिस्थिति से लड़ने में सक्षम इंसान अब खुद को बचाए रखने की जद्दोजहद से जूझने लगा है। ऐसा लग रहा है मानो पृथ्वी पर कोई प्राकृतिक या