भोपाल जिला

Term Path Alias

/regions/bhopal-district

रोजगार गारंटी में सोशल ऑडिट सहजकर्ता की भूमिका
Posted on 31 Aug, 2012 11:33 AM

सामाजिक अंकेक्षण का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद कुछ युवाओं ने संमर्थन के सहयोग से मध्यप्रदेश में ग्रामीण विकास

ओलम्पिक मशाल बनाम भोपाल का बुझता चिराग
Posted on 13 Jul, 2012 04:29 PM

सैंकड़ों करोड़ रुपए खर्च होने बाद भी सरकारी व ट्रस्टों का चिकित्सा तंत्र सही इलाज नहीं कर पा रहा है। प्रायः लक्षण

Bhopal gas tragedy
यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर लापरवाही
Posted on 04 Jun, 2012 01:11 PM 28 साल पहले यूनियन कार्बाइड संयंत्र से गैस का रिसाव होने से हजारों लोगों की जानें चली गई थीं। तभी से यह संयंत्र बंद पड़ा है। तीन वर्ष पूर्व 2005 में परिसर में मौजूद रासायनिक कचरे को इकट्ठा कर सुरक्षित शेड में रखा गया था। मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में स्थित यूनियन कार्बाइड परिसर में लगभग चार सौ मैट्रिक टन रासायनिक कचरा है। इस कचरे में से साढ़े तीन सौ मैट्रिक टन कचरे को गुजरात में भस्म किया जाना है
Union Carbide's trash
भोपाल गैस त्रासदी के लूट पर एक किताब
Posted on 25 May, 2012 11:48 AM भोपाल गैस त्रासदी के पच्चीस साल पूरे होने के बाद मीडिया के लिए भी अब भोपाल गैस त्रासदी कोई मुद्दा नहीं है। सब कुछ शांत हो चुका है। लेकिन शांत दिखते माहौल के बीच भोपाल गैस त्रासदी पर किताब आई है- इंपीचमेन्ट। यह किताब भोपाल त्रासदी के लिए संघर्ष करने वाली नामी पत्रकार अंजली देशपांडे ने लिखा है। यह किताब बताती है कि कैसे भोपाल गैस त्रासदी को पिछले पच्चीस सालों में हमारी व्यवस्था और एनजीओ वालों ने
विरासत में मिलता है मैला ढोने का काम
Posted on 05 May, 2012 02:18 PM असभ्य समाज में भी मैला ढोने की प्रथा का प्रचलन नहीं था पर विकसित होते समाज में बदस्तूर ऐसी प्रथा का पालन किया जा रहा है जिसमें इंसान का इंसान से ही मल साफ करवाया जा रहा है। सरकार मानती है कि मैला ढोने का काम बंद करते ही उन्हें दूसरे अच्छे काम मिल जाते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि ऐसा करने से उनके दूसरे विकल्प भी छिन जाते हैं। समाज का मैला ढोना जैसे उनको विरासत में मिली हो। इसी सभ्य समाज के इन क
वाल्मिकी-हेला समुदाय के सामाजिक बहिष्कार एवं भेदभाव पर अध्ययन
Posted on 05 May, 2012 09:43 AM

हेला समाज के बारे में ऐसी लोकमान्यता है कि प्राचीन समय में किसी राजा ने अपने आदेश की अवहेलना पर एक बिरादरी को मै

विकास संवाद मीडिया लेखन एवं शोध फेलोशिप 2012
Posted on 30 Jan, 2012 04:07 PM भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका नीति निर्धारकों को दिशा दिखाने की है, ताकि समाज के सबसे निचले व्यक्ति को उसका संवैधानिक हक दिलाया जा सके। इसके लिए मुद्दों के प्रति गहरी समझ और जमीनी स्तर पर शोध की जरूरत पड़ती है, क्योंकि तभी दृष्टिकोण को व्यापक किया जा सकता है। विकास संवाद पिछले सात साल से मध्यप्रदेश के पत्रकारों को इन बुनियादी मुद्दों से वाकिफ कराने के लिए फेलोशिप प्रदान कर रहा है। हमारा मकसद है कि इससे पत्रकारों की मुद्दों के प्रति समझ बड़े और जमीनी शोध से उनका वैचारिक स्तर और मजबूत हो। फेलोशिप का मकसद मुख्यधारा मीडिया में सामाजिक मुद्दों का दायरा व्यापक बनाना है। फेलोशिप फील्ड रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने और पत्रकारीय दृष्टिकोण के साथ संबंधित विषय पर शोध कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

तस्वीर ही नहीं, बदल गई तकदीर भी
Posted on 30 Jan, 2012 01:01 PM

कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. अब्बास कहते हैं, ‘‘इन चारों गांवों में सौ फीसदी किसानों के खेतों में तालाब हैं चारों गांव में बने 400 से ज्यादा तालाबों के बनने से गांव में सबसे बड़ा बदलाव जैव विविधता में आया। तालाबों ने किसानों की तकदीर एवं गांव की तस्वीर बदल दी। उत्कृष्ट जैव विविधता, इतनी सुविधा एवं संपन्नता वाले गांव शायद ही कहीं दूसरी जगह हो।’’

जोश एवं जुनून के बेजोड़ संगम ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि देवास जिले के एक नहीं, कई गांवों की तस्वीर एवं हजारों किसानों की तकदीर बदल गई। किसी गांव में सभी के पक्के मकान हो, आधे से ज्यादा के पास ट्रैक्टर हो, दर्जन भर से ज्यादा के पास टाटा सफारी सहित महंगी चार पहिया गाड़ी हो, दो पहिया गाड़ियों की संख्या घरों से ज्यादा हो, पानी की कोई समस्या नहीं हो और कुछ घरों में एसी भी लगी हो, तो यह विश्वास करना कठिन हो जाता है कि सचमुच में यह गांव ही है। पर इन सुविधाओं एवं संपन्नता वाला यह क्षेत्र टोंकखुर्द विकासखंड के धतूरिया, गोरवा, हरनावदा एवं निपानिया जैसे गांव ही हैं। इनके विकास से देश-दुनिया प्रभावित हुआ है। देश-विदेश की कई नामी संस्थाएं इनके विकास का अध्ययन कर रही हैं।

नदियां मैली, जंगल छोटे धरती छलनी
Posted on 07 Dec, 2011 02:31 PM

सूत्रों के अनुसार नदियों में बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड अर्थात बीओडी की मात्रा का आकलन किया गय

वन हमारी धरोहर
Posted on 22 Sep, 2011 03:57 PM

वनक्षेत्रों में गरीबी की समस्या के कारण निरक्षरता पनप रही है तथा वन क्षेत्रों में अतिक्रमण बढ़

×