सामाजिक अंकेक्षण का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद कुछ युवाओं ने संमर्थन के सहयोग से मध्यप्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के बड़े अधिकारियों से मुलाकात भी की है। अधिकारियों द्वारा दिए गए सकारात्मक जवाब से प्रशिक्षित युवा उत्साहित हैं एवं वे सामाजिक अंकेक्षण में अपना योगदान देने के लिए तैयार है। वर्तमान में शासन को निर्णय लेकर ऐसे प्रशिक्षित युवाओं का सहयोग लेते हुए सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से रोजगार गारंटी में व्याप्त विसंगतियों एवं भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में पहल करने की जरूरत है।
सोशल ऑडिट को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाता है। यह एक ऐसी योजना है, जिसमें कानूनी रूप से यह प्रावधान किया गया है कि स्थानीय स्तर पर योजना के तहत किए जा रहे कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराया जाए। किसी भी योजना या विभाग के लेखा अंकेक्षण करना भी टेढ़ी खीर साबित होता है, पर इससे आगे जाकर रोजगार गारंटी योजना में सामाजिक अंकेक्षण की बात की गई है। कानूनी प्रावधानों के बावजूद देश में लगभग सभी जगहों पर सामाजिक अंकेक्षण के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है। सामाजिक अंकेक्षण एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसे सही तरीके से किया जाए, तो योजना में हो रहे भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। कानून के अनुसार साल में कम से कम दो बार सामाजिक अंकेक्षण किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी दिक्कत इस बात को लेकर है कि रोजगार गारंटी योजना से जुड़े मैदानी अमले एवं पंचायत प्रतिनिधियों को सामाजिक अंकेक्षण की सही समझ नहीं है। कई बार तो स्थिति यह बन जाती है कि जन सुनवाई की प्रक्रिया को ही सामाजिक अंकेक्षण मान लिया जाता है।मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिससे कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। पंचायतें सामाजिक अंकेक्षण से बचना चाहती हैं, क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार के मामले को उजागर हो जाने का भय सताता है। मध्यप्रदेश में मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर पंचायत सचिव, सरपंच से लेकर कलेक्टर तक पर आरोप लगे हैं एवं कई को निलंबित भी किया गया है। सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने एवं उसमें आए तथ्यों पर तत्काल कार्रवाई करके मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में पारदर्शिता लाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। सवाल यह है कि जब तक सरकार सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को स्थानीय स्तर पर बताने का प्रयास नहीं करे, तब तक क्या हमें इंतजार करना चाहिए?
इस सवाल का जवाब तलाशने की प्रक्रिया में ही एक बेहतर राह निकालने का प्रयास पंचायतों पर लंबे समय से कार्यरत स्वयंसेवी संस्था समर्थन ने किया है। समर्थन ने ग्राम सभा में सामाजिक अंकेक्षण को सहज एवं प्रभावी बनाने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विविद्यालय के सहयोग से सामाजिक अंकेक्षण पर हिंदी भाषा में ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है। अब तक इसके माध्यम से लगभग सौ युवा प्रशिक्षित हो चुके हैं। इग्नु, भोपाल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. के।एस। तिवारी के अनुसार यह पाठ्यक्रम सामजिक उतरदायित्वों से भरा है। इस पाठ्यक्रम में सरकारी, गैर सरकारी लोग एवं महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी शामिल हैं। पाठ्यक्रम के बाद आगे इसकी प्रक्रिया, संसाधन की उपलब्धता, समयबद्धता, उत्तरदायित्व, विश्वसनीयता, शासन एवं ग्रामीण के साथ संबंध आदि को लेकर हमें विचार करने की जरूरत है।
समय के साथ ही प्रशिक्षित लोग सामाजिक अंकेक्षण में सहजकर्ता के रूप में काम करते हुए समाज में सम्मान पाने के साथ-साथ अच्छी आय भी अर्जित कर सकते हैं। समर्थन के निदेशक डॉ. योगेश कुमार भी मानते हैं कि प्रशिक्षित लोग ग्राम सभा में एक बेहतर सामाजिक अंकेक्षण के लिए सहजकर्ता की भूमिका में होंगे। इनकी सेवाओं को लेने के लिए इनके नाम की सूची मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को दी गई है। निश्चय ही रोजगार गारंटी में सामाजिक अंकेक्षण सहजकर्ताओं की भूमिका में विस्तार की संभावनाएं हैं। पाठ्यक्रम में 45 दिनों तक एक-एक घंटे की ऑनलाइन हिंदी में पढ़ाई की जाती है। इसमें सामाजिक अंकेक्षण, लोकतांत्रिक स्वशासन एवं सामाजिक अंकेक्षण, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के प्रावधान, महात्मा गांधी नरेगा के प्रमुख दस्तावेज, सामाजिक अंकेक्षण की तैयारी एवं चरण, जमीन अभ्यास एवं क्षेत्रीय बैठक, सामाजिक अंकेक्षण का प्रतिवेदन और सामाजिक अंकेक्षण के अन्य संदर्भों के बारे में बताया जाता है।
इसे ई-लर्निंग से जोड़ने के पीछे तर्क यह है कि परंपरागत तरीके से प्रशिक्षण देने पर लागत एवं समय बहुत ज्यादा लग जाएगा, इसलिए ऑनलाइन के माध्यम से इस पाठ्यक्रम को जोड़ा गया है। बहुत ही कम राशि पर दिए जा रहे इस प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षित युवाओं को सामाजिक अंकेक्षण सहजकर्ता के रूप में शासन को मान्यता देना चाहिए और इनके अंकेक्षण को भी मान्य किए जाने के नियमों को बनाया जा सकता है। इनके सहयोग से ग्राम स्तर पर सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकता है। जनपद या कलस्टर पर इन सहजकर्ताओं की सेवा लेकर बदले में मानदेय दिया जा सकता है। सामाजिक अंकेक्षण का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद कुछ युवाओं ने संमर्थन के सहयोग से मध्यप्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के बड़े अधिकारियों से मुलाकात भी की है। अधिकारियों द्वारा दिए गए सकारात्मक जवाब से प्रशिक्षित युवा उत्साहित हैं एवं वे सामाजिक अंकेक्षण में अपना योगदान देने के लिए तैयार है। वर्तमान में शासन को निर्णय लेकर ऐसे प्रशिक्षित युवाओं का सहयोग लेते हुए सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से रोजगार गारंटी में व्याप्त विसंगतियों एवं भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में पहल करने की जरूरत है।
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