भोपाल जिला

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भोपाल गैस त्रासदी: तीन दशकों का जहरीला सफर
Posted on 21 Sep, 2013 02:58 PM अभी केवल 350 टन कचरे के निपटान को लेकर प्रक्रिया चल रही है, किंतु उससे कही अधिक न दिखने वाला कचरा कारख
रंग-रेखाओं में बसा लोक
Posted on 09 Sep, 2013 01:16 PM अमृतलाल वेगड़ की नर्मदा परिक्रमा एक तरह से उनकी कलायात्रा भी है। नदी-संस्कृति के तमाम रूप उनके चित्रों और रेखांकनों में मुखरित हुए हैं। साथ में लोकजीवन की दूसरी बहुतेरी छवियां भी उनके रचना संसार में रची-बसी हैं। उनके कलारूपों को कलमबद्ध कर रहे हैं राजेश कुमार व्यास।

अमृतलाल वेगड़ ने नर्मदा की चार हजार से अधिक किलोमीटर की पदयात्रा की है। इस पदयात्रा में निर्जन वन, पहाड़, नदी के संगम गुफाओं, चट्टानों, आदिवासियों, ग्रामीणों की संस्कृति को उन्होंने गहरे से छुआ। अनुभूत किया नर्मदाव्रती चित्रकार के रूप में तात्कालिक स्तर पर रेखाओं के जो जीवनानुभव उन्होंने उकेरे बाद में उनके आधार पर ही रंगीन पेपर कोलाजों में उन्हें अनूठे रूपाकर दिए। इन्हीं में उन्होंने नर्मदा की अपनी की पदयात्रा को फिर से एक प्रकार से जिया भी है। नर्मदा, अमृतलाल वेगड़ के लिए नदी नहीं, पूरी एक संस्कृति है। रेखाओं की सांगीतिक लय में वह नदी और उससे जुड़े संस्कारों,सभ्यता और जीवन से जुड़े तमाम दूसरे सरोकारों से हमारा अपनापा कराते हैं। उनके रेखाचित्रों और पेपर कोलाज में नदी मधुर गान करती हमें लुभाती है तो कभी चीखती-चिल्लाती अपनी पीड़ा भी बताती है। कभी नदी के मोड़ हमसे बतियाते अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित करते हैं तो कभी तट के गांव और आदिवासी सभ्यता से जुड़े सरोकार औचक ही हममें बसने लगते हैं। उनके चित्र देखने के हमारे संस्कारों को एक तरह से संपन्न करते हैं। उनके चित्रों में नर्मदा नदी रूप में नहीं, संस्कृति के रूप में हममें जैसे प्रवेश करती है। चित्र देखते लगता है, नर्मदा नदी का अनथक यात्री हमें भी अपने साथ पद परिक्रमा करा रहा है। सम् और कृति के योग से बना है संस्कृति शब्द। संस्कृति इस अर्थ में सम्गति की द्योतक ही तो है।
‘मीडिया चौपाल - 2013’ “जन-जन के लिए विज्ञान, जन-जन के लिए मीडिया”
Posted on 06 Sep, 2013 12:47 PM दिनांक : 14-15 सितंबर 2013
स्थान : विज्ञान भवन, नेहरू नगर, भोपाल


महोदय/महोदया,
आपको स्मरण होगा कि पिछले वर्ष 12 अगस्त 2012 को ‘विकास की बात विज्ञान के साथ – नए मीडिया की भूमिका’ विषय को आधार बनाकर एक दिवसीय ‘मीडिया चौपाल - 2012’ का आयोजन किया गया था। इस वर्ष भी यह आयोजन किया जा रहा है। कोशिश है कि ‘मीडिया चौपाल को सलाना आयोजन का रूप दिया जाए। गत आयोजन की निरंतरता में इस वर्ष भी यह आयोजन14-15 सितंबर 2013 (शनिवार-रविवार) को किया जा रहा है। यह आयोजन मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) द्वारा संयुक्त रूप से हो रहा है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विज्ञान के माध्यम से विकास में मीडिया की सकारात्मक भूमिका को बढ़ावा देना है। ‘मीडिया चौपाल – 2013’ हेतु “जन-जन के लिए विज्ञान, जन-जन के लिए मीडिया” थीम निर्धारित किया गया है। इसी संदर्भ में विभिन्न चर्चा-सत्रों के लिए विषयों का निर्धारण इस प्रकार किया गया है
ग्रामीण विकास के लिए जागरूक समूह
Posted on 19 Aug, 2013 08:57 AM गाँवों के विकास के लिए सरकार, स्वैच्छिक संस्थाएं एवं जन संगठन अलग-अलग तरीके से कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण विकास को लेकर भारत सरकार पिछले कुछ सालों से ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रही है। गाँवों में योजनाओं एवं संसाधनों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद जिस तेजी से विकास होना चाहिए था, उस तेजी से संभव नहीं हो पा रहा है। गांव के अंदर से ऐसा कोई सहयोगी समूह या निगरानी तंत्र नहीं दिखाई पड़ रहा है, जो गांव
मनरेगा में अब मजदूरी से स्थाई रोज़गार की ओर
Posted on 13 Aug, 2013 11:16 AM मनरेगामहात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना में अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की शिकायत, मजदूरी की मांग नहीं होना, मजदूरी के भुगतान में देरी, मुआवजा नहीं मिलना, बेरोज़गारी भत्ता
नहर प्रभावित किसानों द्वारा दाखिल याचिका में मध्य प्रदेश शासन को जुर्माना
Posted on 27 Jul, 2013 03:06 PM नर्मदा आंदोलन की ओर से इंदिरा सागर एवं ओंकारेश्वर नहर परियोजनाओं में पर्यावरणीय सुरक्षा, पुनर्वास एवं सर्वोच्च अदालत के फैसले के संपूर्ण अमल न होने के कारण तथा सिंचित, उपजाऊ जमीन की बर्बादी रोकने हेतु, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई कल न्या. श्री केमकर और न्या.
भोपाल में 18 जून से 22 जून तक नर्मदा जीवन अधिकार सत्याग्रह एवं उपवास
Posted on 11 Jun, 2013 03:28 PM तारीख : 18-22 जून 2013
स्थान : भोपाल


इंदौर (सप्रेस)। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी विज्ञप्ति में चित्तरूपा पालित, आलोक अग्रवाल, कलाबाई, रामविलास राठौर, कैलाश पाटीदार एवं गोविंद रावत ने बताया कि नर्मदा घाटी में बन रहे विशालकाय ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों से विस्थापित होने वाले हजारों लाखों प्रभावितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है। इस अन्याय के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले इकट्ठे होकर विस्थापित किसान मजदूर, महिला-पुरुष पिछले कई सालों से लम्बा संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष के कारण हाल ही में ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है पर ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों के हजारों परिवारों को उनके पुनर्वास के अधिकार मिलना बाकी है। इसलिए इन बांधों के हजारों प्रभावित आगामी 18 जून से 22 जून तक पांच दिन भोपाल में डेरा डालेंगे और कुछ प्रभावित पांच दिन का उपवास करेंगे।

ज्ञातव्य है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक भी किसान को जमीन नहीं दी और अपना एक भी कर्तव्य पूरा नहीं किया है।
संवैधानिक तंत्र का बदलता चेहरा और मीडिया के विषय पर सातवाँ मीडिया सम्मेलन
Posted on 02 Jun, 2013 11:31 AM सुखतवा , केसला (इटारसी)
29-30 जून, 1 जुलाई 2013
साथियों
ज़िन्दाबाद !


विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है | हालाँकि इस बार हम अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे | तो इसबार सोचा थोड़ा लेट चलें, ताकि सभी लोग एक साथ मिल सकें |

आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ | बांधवगढ़, चित्रकूट, महेश्वर, छतरपुर, फिर पचमढ़ी के बाद इस बार हम केसला में यह आयोजन करने जा रहे हैं | इस बार कई दौर की बैठकों के बाद केसला संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है |

संवैधानिक तंत्र का बदलता चेहरा और मीडिया


कृपया विषय व स्थान चयन के लिए अपनी-अपनी राय दर्ज कराएँ..और आखिर में इस निवेदन के साथ कि आपकी उपस्थिति इन विषयों पर सार्थक हस्तक्षेप के साथ सम्मेलन को सफल बनाएगी|

कृषि नीति और खाद्य सुरक्षा से जुड़े विषयों के जाने माने विशेषज्ञ डा.देविंदर शर्मा के साथ संवाद
Posted on 02 Jun, 2013 10:38 AM

06 जून 2013 को जरूर आईये/ भोपाल


विकास संवाद समय-समय पर विभिन्न मसलों के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में मीडिया-कर्मियों के साथ संवाद का आयोजन करता रहा है। यह हम सभी का अपना फोरम है। इसमें हमने देश और समाज के सामने मौजूद मुद्दों पर अपनी राय रखी है, साथ ही इन्‍हें गहराई से समझा भी है।

आगामी छह जून 2013 को कृषि और विश्‍व व्‍यापार मामलों के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा भोपाल में होंगे। उनकी मौजूदगी पर विकास संवाद ने आप सभी मीडिया के साथियों के साथ ‘कृषि की मौजूदा बदहाली और खाद्य सुरक्षा – उपज के बाजार मूल्‍यों को प्रभावित करती नीतियां (सरकारी हस्‍तक्षेप के बरक्‍स)’ विषय पर एक अनौपचारिक संवाद का आयोजन किया है।

जैसा कि हम जानते हैं कि सरकारी समर्थन से देश में गेहूं-चावल की पैदावार तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन दाल, तिलहन, ज्‍वार-बाजरा और बारीक अनाजों को सरकार की ओर से कोई प्रोत्‍साहन नहीं मिल रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों को लगातार बढ़ावा मिलते रहने से खेती की लागत भी बढ़ रही है। सरकार ने संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश कर दिया है। इसमें नकद राशिके हस्‍तांतरण की बात है।
मध्य प्रदेश में शुरू हुआ जलाभियान
Posted on 26 Mar, 2013 09:52 AM देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। वाटर एड की ममता दास की यह टिप्पणी है कि अभियान की अगुवाई प्रभावित लोगों को ही करना है, जिसमें सिविल सोसायटी के लोग सहयोग करेंगे।जल अधिकार को लेकर मध्य प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा स्वैच्छिक संस्थाओं ने हाथ मिला लिया है और उन्होंने प्रदेश में जलाभियान शुरू कर दिया है। कई जिलों के सुदूर अंचलों से आए वंचित तबक़ों की उपस्थिति में भोपाल में आयोजित एक रैली के बाद अभियान की शुरुआत की गई। प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर अभियान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से पानी ज्यादा प्रदूषित हुआ है। लोगों को अपनी आदतों में सुधार लाना होगा एवं पानी के दोहन को रोकना होगा, तभी हम जल बचा पाएंगे। सरकार ने पानी बचने के लिए कई योजनाएं बनाई है। जरूरत है कि हम सबको आरोप-प्रत्यारोप से परे होकर मिलजुलकर काम करने की।
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