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औआ बौआ चलै बतास
Posted on 17 Mar, 2010 03:17 PM
औआ बौआ चलै बतास।
तब होवे वर्षा के आस।।


भावार्थ – यदि वर्षा ऋतु में हवा कभी इधर, कभी उधर, कभी तेज कभी मन्द अर्थात् अनिश्चित हवा बहे तो वर्षा होने की आशा करनी चाहिए।

एक मास ऋतु आगे धावै
Posted on 17 Mar, 2010 03:11 PM
एक मास ऋतु आगे धावै।
आधा जेठ असाढ़ कहावै।।


भावार्थ – ऋतु या मौसम एक महीने पहले ही अपना प्रभाव व्यक्त करने लगता है। आधे जेठ को ही आषाढ़ कहा जाता है क्योंकि उस समय तक आसमान में बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। अर्थात् वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाएगी, इसका पता चल जाता है।

एक पानी जो बरसै स्वाती
Posted on 17 Mar, 2010 03:00 PM
एक पानी जो बरसै स्वाती।
कुनबिन पहिरै सोने के पाती।।


भावार्थ – यदि स्वाती नक्षत्र में एक बार वर्षा हो जाये तो निःसंदेह किसान की स्त्री सोने का पत्तर अर्थात् हाथ में पहनने का जहाँगीरी नामक गहने पहनेगी क्योंकि फसल अच्छी होगी।

एक बूँद जो चैत में परै
Posted on 17 Mar, 2010 02:43 PM
एक बूँद जो चैत में परै।
सहस बूँद सावन में हरै।।


भावार्थ – चैत मास में यदि एक बूँद भी जल बरस गया तो वह सावन की हजार बूँदों का हरण कर लेता है।

उलटे गिरगिट ऊँचे चढ़ै
Posted on 17 Mar, 2010 02:21 PM
उलटे गिरगिट ऊँचे चढ़ै।
बरखा होई भूइँ जल बुड़ै।।


भावार्थ – यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।

उतरे जेठ जो बोलै दादुर
Posted on 17 Mar, 2010 02:02 PM
उतरे जेठ जो बोलै दादुर।
कहै भड्डरी बरसै बादर।।


भावार्थ – यदि जेठ महीने के अंत में मेढक बोलने लगें तो अनुमान लगा लेना चाहिए कि वर्षा होने वाली है। ऐसा भड्डरी का मानना है।

उत्तर चमकै बीजली
Posted on 17 Mar, 2010 01:57 PM
उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव।
घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।


भावार्थ – यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अन्दर बाँध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है।

उलटा बादर जो चढ़ै
Posted on 17 Mar, 2010 01:52 PM
उलटा बादर जो चढ़ै, विधवा खड़ी नहाय।

घाघ कहै सुन भड्डरी, वह बरसै वह जाय।।


भावार्थ – यदि बादल हवा की दिशा के विपरीत चढ़ते हुए दिखाई पड़े और विधवा स्त्री खड़ी होकर स्नान करे तो घाघ कवि कहते हैं कि भड्डरी! सुनो, वह बादल अवश्य बरसेगा और वह विधवा भी किसी न किसी पुरुष के साथ भाग जायेगी।

आगे मघा पीछे भान
Posted on 17 Mar, 2010 01:46 PM
आगे मघा पीछे भान।
बरषा होवै ओस समान।।


भावार्थ – यदि मघा नक्षत्र हो और पीछे सूर्य हो तो वर्षा ओस के बराबर अर्थात नगण्य होगी।

आगे मंगल पीछे भान
Posted on 17 Mar, 2010 01:34 PM
आगे मंगल पीछे भान।
बरसा होवै ओस समान।।


भावार्थ – यदि मंगल ग्रह के पीछ सूर्य लगा है तो वर्षा ओस जैसी अर्थात् नगण्य होगी।

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