Posted on 18 Mar, 2010 09:03 AM जब पुरवा पुरवाई पावै। झूरी नदिया नाव चलावै।।
भावार्थ- पूर्वा नक्षत्र में यदि पुरवैया हवा चले तो सूखी नदी भी नाव चलाने की स्थिति में पहुँच जाती है अर्थात् वर्षा खूब होती है और नदी में इतना अधिक पानी भर जाता है कि उस में नाव चलाई जा सकती है।
Posted on 17 Mar, 2010 04:31 PM चैत अमावस मूल को, सरसै चारो बाय। निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।।
शब्दार्थ- सरसै – बहना।
भावार्थ- यदि चैत्र मास की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा बहने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की सम्भावना है।