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चित्रा बरसे तीन जायँ
Posted on 17 Mar, 2010 04:00 PM

चित्रा बरसे तीन जायँ,
मोथी मास उखार।


भावार्थ- चित्रा नक्षत्र की वर्षा मोथी (मूँग की तरह का एक अन्न) उड़द और ऊख के लिए नुकसानदायक होती है।

चढ़त जो बरसै चित्रा
Posted on 17 Mar, 2010 03:54 PM
चढ़त जो बरसै चित्रा, उतरत बरसै हस्त।
कितनौ राजा डाँड़ ले, हारे नाहिं गृहस्त।।


शब्दार्थ- डाँड़-दण्ड, कर।

भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र के लगने पर और हस्त नक्षत्र के उतरने पर वर्षा होती है तो फसल इतनी अच्छी होती है कि राजा चाहे जितना कर (मालगुजारी) लें, किसान को देने में कष्ट नहीं होता है।

चैत के पछिवाँ भादौ जला
Posted on 17 Mar, 2010 03:47 PM
चैत के पछिवाँ भादौ जला। भादौ पछिवाँ माघ के पला।।

भावार्थ- यदि चैत के महीने में पछुवा हवा चले तो समझ लो कि भादों महीने में अच्छी वर्षा होगी और यदि भादों के महीने में पश्चिमी वायु बहे तो समझो कि माध में पाला पड़ने वाला है।

कातिक सुदि पूनो दिवस
Posted on 17 Mar, 2010 03:34 PM
कातिक सुदि पूनो दिवस, जो कृतिका रिख होई।
तामें बादर बीजुरी, जो संजोग सो होई।।

चार मास तब बरखा होखी,

भली-भाँति यह भाखे जोसी।।


शब्दार्थ – रिख-नक्षत्र।
कातिक सुदी एकादसी
Posted on 17 Mar, 2010 03:26 PM
कातिक सुदी एकादसी, बादल बिजुली होय।
तो असाढ़ में भड्डरी, बरखा चोखी होय।।


शब्दार्थ – चोखी-तेज, अधिक।

भावार्थ – यदि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को बादलों में बिजली चमके तो भड्डरी के कथनानुसार आषाढ़ में वर्षा अधिक होगी।

करिया बादर जीउ डरवावै
Posted on 17 Mar, 2010 03:21 PM
करिया बादर जीउ डरवावै।
भूरा बादर पानी लावै।।


भावार्था – आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाये हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे, परन्तु यदि बादल भूरे हैं तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।

औआ बौआ चलै बतास
Posted on 17 Mar, 2010 03:17 PM
औआ बौआ चलै बतास।
तब होवे वर्षा के आस।।


भावार्थ – यदि वर्षा ऋतु में हवा कभी इधर, कभी उधर, कभी तेज कभी मन्द अर्थात् अनिश्चित हवा बहे तो वर्षा होने की आशा करनी चाहिए।

एक मास ऋतु आगे धावै
Posted on 17 Mar, 2010 03:11 PM
एक मास ऋतु आगे धावै।
आधा जेठ असाढ़ कहावै।।


भावार्थ – ऋतु या मौसम एक महीने पहले ही अपना प्रभाव व्यक्त करने लगता है। आधे जेठ को ही आषाढ़ कहा जाता है क्योंकि उस समय तक आसमान में बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। अर्थात् वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाएगी, इसका पता चल जाता है।

एक पानी जो बरसै स्वाती
Posted on 17 Mar, 2010 03:00 PM
एक पानी जो बरसै स्वाती।
कुनबिन पहिरै सोने के पाती।।


भावार्थ – यदि स्वाती नक्षत्र में एक बार वर्षा हो जाये तो निःसंदेह किसान की स्त्री सोने का पत्तर अर्थात् हाथ में पहनने का जहाँगीरी नामक गहने पहनेगी क्योंकि फसल अच्छी होगी।

एक बूँद जो चैत में परै
Posted on 17 Mar, 2010 02:43 PM
एक बूँद जो चैत में परै।
सहस बूँद सावन में हरै।।


भावार्थ – चैत मास में यदि एक बूँद भी जल बरस गया तो वह सावन की हजार बूँदों का हरण कर लेता है।

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