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तपै मृगसिरा जोय
Posted on 18 Mar, 2010 12:57 PM
तपै मृगसिरा जोय, तो बरखा पूरन होय।

भावार्थ- यदि मृगशिरा नक्षत्र में गर्मी खूब पड़े तो समझो उस वर्ष वर्षा अच्छी होगी।

तीतर बरनी बादरी
Posted on 18 Mar, 2010 12:52 PM
तीतर बरनी बादरी, बिधवा काजर रेख।

वह बरसै वह घर करे, कहै भड्डरी देख।


भावार्थ- भड्डरी कहते हैं कि यदि आकाश में तीतर के रंग की अर्थात् भूरी बदरी उठे और विधवा आँखों में काजल लगाये तो समझो कि बादल बिना बरसे नहीं जायेगा और स्त्री दूसरे पुरुष के साथ घर कर लेगी।

तीतिर बरनीं बादरी
Posted on 18 Mar, 2010 12:44 PM
तीतिर बरनीं बादरी, रहै गगन पर छाय।
कहै घाघ सुनु भड्डरी, बिन बरसे ना जाय।।


भावार्थ- यदि तीतर पक्षी के रंग के अर्थात् भूरे बादल आकाश में छायें तो घाघ कहते हैं कि हे भड्डरी! बिना बरसे वे नहीं जायेंगे।

ढेला ऊपर चील जो बोलै
Posted on 18 Mar, 2010 12:39 PM
ढेला ऊपर चील जो बोलै,
गली-गली में पानी डोलै।


शब्दार्थ- ढेल-मिट्टी का टुकड़ा। चील-एक पक्षी।

भावार्थ- यदि ढेले के ऊपर बैठकर चील बोले तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा इतनी अधिक होगी कि गली-गली में पानी भर जायेगा।

जो रोहिनि बरसा करै
Posted on 18 Mar, 2010 12:14 PM
जो रोहिनि बरसा करै, बचै जेठ नित मूर।
एक बूँद कृतिका पड़ै, नासै तीनों तूर।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में वर्षा हो तो जेठ मास में न होने से कोई लाभ-हानि नहीं है, लेकिन यदि कृतिका नक्षत्र में एक बूँद भी पानी बरस गया तो तीनों फसलें नष्ट हो जायेंगी।

जो कहुं हवा अकासे जाय
Posted on 18 Mar, 2010 12:07 PM
जो कहुं हवा अकासे जाय, परै न बूंद काल परि जाय।
दक्खिने पच्छिम आधे समयो, भड्डर जोसी ऐसो मनयो।।


भावार्थ- यदि आषाढ़-सावन में हवा ऊपर (आकाश) की ओर उठे तो यह समझना चाहिए की पानी नहीं बरसेगा और अकाल पड़ जाएगा। भड्डर ज्योतिषी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में दक्षिण-पश्चिम की दिशा में थोड़ी फसल पैदा होने की आशा है।

जो न बरसे पुनर्वसु स्वाती
Posted on 18 Mar, 2010 11:53 AM
जो न बरसे पुनर्वसु स्वाती।
चरखा चले न बोले ताँती।


भावार्थ- यदि पुनर्वसु और स्वाति नक्षत्र में वर्षा नहीं हुई तो न चरखा चल पायेगा और नही ताँत बजेगी अर्थात् रुई धुनी नहीं जाएगी क्योंकि कपास की फसल नष्ट हो जायेगी।

जो बदरी बादर मां खमसै
Posted on 18 Mar, 2010 11:49 AM
जो बदरी बादर मां खमसै
कहै भड्डरी पानी बरसै।


भावार्थ- भड्डरी का मानना है कि जब बादल दूसरे बादल में मिल जायें तो अधिक वर्षा होने के आसार होते हैं।

जो कहुँ मग्घा बरसै जल
Posted on 18 Mar, 2010 11:45 AM
जो कहुँ मग्घा बरसै जल।
सब नाजों में होगा फल।


भावार्थ- यदि मघा नक्षत्र में वर्षा हुई तो समझो सभी अनाजों में दाने लग जायेंगे।

जब बरसेगा उत्तरा
Posted on 18 Mar, 2010 11:37 AM
जब बरसेगा उत्तरा।
नाज न खावै कुत्तरा।।


भावार्थ- यदि उत्तरा नक्षत्र में वर्षा हो गई तो पैदावार इतनी अधिक होगी कि कुत्ते भी अनाज से ऊब जायेंगे।

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