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जै दिन भादौं बहैं पछार
Posted on 18 Mar, 2010 11:32 AM
जै दिन भादौं बहैं पछार।
तै दन पूस में पड़ै तुसार।


भावार्थ- भाद्र मास में जितने दिन पछिवाँ बहेगी पौष मास में उतने दिन पाला पड़ेगा।

जेठ उँजारे पच्छ में
Posted on 18 Mar, 2010 11:23 AM
जेठ उँजारे पच्छ में, आद्रादिक दस रिच्छ।
सजल होय निरजल कह्यो, निरजल सजल प्रतच्छ।।


भावार्थ- ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में यदि आर्द्रा आदि नक्षत्र में वर्षा हो जाये तो चौमासे में सूखा पड़ेगा किन्तु यदि वर्षा न हुई तो चौमासे में पानी बरसेगा।

जेठ मास जो तपै निरासा
Posted on 18 Mar, 2010 11:18 AM
जेठ मास जो तपै निरासा।
तो जानौ बरखा की आसा।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ मास में गर्मी खूब पड़े तो वर्षा निश्चित होगी।

जब बहै हड़हवा कोन
Posted on 18 Mar, 2010 11:12 AM
जब बहै हड़हवा कोन।
तब बनजारा लादै नोन।


शब्दार्थ- हड़हवा-नैऋत्य कोण (पश्चिम दक्षिण कोण)।

भावार्थ- यदि पश्चिम दक्षिण के कोने की हवा बहे तो बनजारों को नमक लादने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि पानी बरसने के आसार नहीं है और नमक गलने का भय नहीं रहेगा।

जब बरखा चित्रा में होय
Posted on 18 Mar, 2010 09:08 AM
जब बरखा चित्रा में होय।
सगरी खेती जावै खोय।


भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो सम्पूर्ण खेती नष्ट हो जाती है, इसलिए कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र की वर्षा ठीक नहीं होती।

जब पुरवा पुरवाई पावै
Posted on 18 Mar, 2010 09:03 AM
जब पुरवा पुरवाई पावै।
झूरी नदिया नाव चलावै।।


भावार्थ- पूर्वा नक्षत्र में यदि पुरवैया हवा चले तो सूखी नदी भी नाव चलाने की स्थिति में पहुँच जाती है अर्थात् वर्षा खूब होती है और नदी में इतना अधिक पानी भर जाता है कि उस में नाव चलाई जा सकती है।

छिन पुरवैया छिन पछियाँव
Posted on 18 Mar, 2010 08:57 AM
छिन पुरवैया छिन पछियाँव। छिन छिन बहै बबूला बाव।।
बादर ऊपर बादर धावै। तबै घाघ पानी बरसावै।।


शब्दार्थ- छिन-छिन – क्षण-क्षण। बबूला बाव – बंवडर, भँवर की तरह घूमती हवा

भावार्थ- यदि क्षण में पुरवा एवं क्षण में पछुवा हवा चले, बार-बार बंवडर उठे तथा बादल के ऊपर बादल दौड़ने लगें तो घाघ कहते हैं कि पानी अवश्य बरसेगा।
चैत मास दसमी खड़ा
Posted on 18 Mar, 2010 08:46 AM
चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुँ कोरा जाइ।
चौमासे भर बादला, भली भाँति बरसाई।।


भावार्थ- चैत मासे के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं हैं तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।

चौथ अन्हरिया सावन माहीं
Posted on 17 Mar, 2010 04:47 PM
चौथ अन्हरिया सावन माहीं, जौ महि पर मेघा बरसाहीं।
लै पैंतालिस दिन घन बरसै, साख सवाई हो मन हरसै।।


शब्दार्थ- महि-पृथ्वी। साख-बढ़न्त।

भावार्थ- यदि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को पृथ्वी पर बादल बरसते हैं तो पैतालिस दिनों तक बरसात होगी और प्रफुल्लित करने वाली सवाई फसल पैदा होगी।

चन्दा बैठो मातनो
Posted on 17 Mar, 2010 04:37 PM
चन्दा बैठो मातनो, सूरज बैठो कच्छ।
ऐसा बोले भड्डरी, बाँगर लोटे मच्छ।।


शब्दार्थ- मातनो-वर्षा ऋतु में चन्द्रमा के चारों ओर बनने वाला घेरा। कच्छ-सूर्य के चतुर्दिक् बनने वाला घेरा। मच्छ-मछली।
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