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बादर ऊपर बादर धावै
Posted on 19 Mar, 2010 08:52 AM
बादर ऊपर बादर धावै,
कह भड्डर जल आतुर आवै।।


शब्दार्थ- आतुर-जल्दी।

भावार्थ- यदि बादल के ऊपर बादल दौड़ने लगें तो भड्डरी का मानना है कि वर्षा जल्द ही होगी।

बायू में जब वायु समाय
Posted on 19 Mar, 2010 08:45 AM
बायू में जब वायु समाय।
कहैं घाघ जल कहाँ समाय।।


भावार्थ- यदि एक ही साथ आमने-सामने की दो दिशाओं की हवा चले तो घाघ कहते है कि वर्षा इतनी अधिक होगी कि पृथ्वी पर जल-ही-जल दिखेगा।

फागुन बदी सुदूज दिन
Posted on 19 Mar, 2010 08:38 AM
फागुन बदी सुदूज दिन, बादर होय न बीज।
बरसै सावन भादवा, साधौ खेलो तीज।।


शब्दार्थ- साधौ-सुहागिन स्त्री। बीज-बिजली।

भावार्थ- फागुन कृष्ण पक्ष की द्वितीया को यदि आकाश में बादल और बिजली न हो तो समझो सावन और भादों दोनों ही महीने में वर्षा होगी। इसलिए हे सुहागिनों! उल्लास के साथ तीज का त्योहार मनाओ।

रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है”
Posted on 19 Mar, 2010 08:37 AM


विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।

पूरब के घन पश्चिम चलै
Posted on 18 Mar, 2010 04:58 PM
पूरब के घन पश्चिम चलै। राँड़ बतकही हँसि हँसि करै।। ऊ बरसै ऊ करै भतार। भड्डर के मन यही विचार।।

भावार्थ- यदि पूर्व दिशा के बादल पश्चिम की ओर जा रहे हों और विधवा स्त्री पर-पुरुष से हँस-हँस कर बात कर रही हो तो भड्डरी का मानना है कि बादल बिना बरसे नहीं जायेगा औऱ विधवा स्त्री दूसरा पति कर लेगी।

पौष अँध्यारी तेरसै
Posted on 18 Mar, 2010 04:51 PM
पौष अँध्यारी तेरसै, चहुँदिसि बादर होय।
सावन पूनों मावसै, जलधर अतिहीं जोय।।


शब्दार्थ- मावसै – अमावस्या

भावार्थ- पौष कृष्ण पक्ष की तेरस को यदि आसमान में चारों तरफ बादल छाये हों तो सावन की पूर्णिमा और अमावस्या को वर्षा अधिक होगी।

पूरब के बादर पश्छिम जायँ
Posted on 18 Mar, 2010 04:46 PM
पूरब के बादर पश्छिम जायँ, वासे वृष्टि अधिक बरसाय।
जो पश्चिम से पूरब जाय, वर्षा बहुत न्यून हो जाय।।


भावार्थ- यदि पूरब के बादल पश्चिम जा रहे हों तो वर्षा अधिक होगी और यदि पश्चिम के बादल पूरब की ओर जा रहे हों तो समझ लेना चाहिए की वर्षा बहुत कम होगी।

पौष अँध्यारी सत्तमी
Posted on 18 Mar, 2010 04:42 PM
पौष अँध्यारी सत्तमी, बिन जल बादर जोय।
सावन सुदि पूनो दिवस, बरखा अवसिहिँ होय।।


शब्दार्थ- सुदि – शुक्ल पक्ष।

भावार्थ- पौष कृष्ण सप्तमी को यदि जलविहीन बादल हों और वर्षा न हो तो सावन की पूर्णिमा को पानी निश्चित रूप से बरसेगा।

पहिला पवन पुरुब से आवे
Posted on 18 Mar, 2010 04:38 PM
पहिला पवन पुरुब से आवे।
बरसे मेघ अन्न झरि लावे।


भावार्थ- आषाढ़ माह में यदि पहली हवा पूरब से बहे तो वर्षा अधिक होगी और फसल की पैदावार भी अच्छी होगी।

पूस उजेली सत्तमी
Posted on 18 Mar, 2010 04:34 PM
पूस उजेली सत्तमी, अष्टमी नौमी गाज।
मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होवै काज।।


भावार्थ- पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को यदि बादल गरजे और बिजली चमके तो सभी कार्य सिद्ध होंगे अर्थात् सुकाल होगा।

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