आगे मंगल पीठ रवि, जो असाढ़ के मास।
चौपट नासै चहुँ दिसा, बिरलै जीवन आस।
भावार्थ- यदि आषाढ़ मास में मंगल आगे और सूर्ये पीछे रहे तो वर्षा नहीं होगी, चारों ओर विनाश-लीला होगी और धरती पर त्राहि-त्राहि मच जायेगी।
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