कृतिका तो कोरी गई, अद्रा मेह न बूंद।
तो यों जानो भड्डरी, काल मचावे दुंद।।
शब्दार्थ- कोरी-खाली, दुंद – लड़ाई-झगड़ा, संघर्ष। काल-अकाल।
भावार्थ- भड्डरी का मानना है कि यदि आर्द्रा नक्षत्र में पानी न बरसा कृत्तिका नक्षत्र भी वर्षा से खाली गयी तो अकाल पड़ना तय है।
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