Posted on 09 Dec, 2010 02:47 PMआज देश का अधिकांश भाग-सूखा-अकाल की चपेट में है । देश का बड़ा भाग जहां एक ओर सूखाग्रस्त है, वहीं दूसरी ओर कुछ भाग में बाढ़ एवं तूफान ने तबाही मचाई हुई है । विशेषज्ञों का मत है कि किसी भी भू-भाग का पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कम से कम एक तिहाई भू-भाग पर वन होने चाहिए । पहाड़ी क्षेत्र में तो ६० प्रतिशत भू-भाग पर ही जंगल हैं । वैज्ञानिकों का मत है कि जिस क्षेत्र का वन क्षेत्र १० प्रतिशत से कम
Posted on 09 Dec, 2010 02:26 PMआज हर समझदार व्यक्ति प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूक है । सभी शिक्षित यह जानते हैं कि प्रदूषण क्या है और इस समस्या का निदान कैसे पाया जा सकता है । आमतौर पर हम लोगों को प्रदूषण के नाम पर दौड़ती मोटर गाड़ियाँ और बड़े- बड़े कारखानों से निकलते धुएँ और जहरीले रसायन की याद आती है परंतु यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि हमारे घरों से भी अनेक प्रकार का प्रदूषण पाया जाता है । घरों में स्नानागार और शौचालय की स
Posted on 09 Dec, 2010 02:02 PMपेड हमारे प्राण हैं क्योंकि पेड़ ही हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं । सघन वनों को हमारी धरती के फेंफड़े कहा जाता है । क्योंकि वन ही वायु के शोधक होते हैं । पेड़ ही तो है जो हमें जीवन देते हैं । फिर क्यों हम इन मूक परमार्थी पेड़ों को काट डालते हैं और विरोध भी नहीं करते । आखिर कब तक हम लोग अपने विनाश का कारण स्वयं बनते रहेंगे ?
Posted on 09 Dec, 2010 01:34 PM भूमि पर्यावरण की आधारभूत इकाई होती है । यह एक स्थिर इकाई होने के नाते इसकी वृद्धि में बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती हैं । बड़े पैमाने पर हुए औद्योगीकरण एंव नगरीकरण ने नगरों में बढ़ती जनसंख्या एवं निकलने वाले द्रव एंव ठोस अवशिष्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित कर रहें हैं । ठोस कचरे के कारण आज भूमि में प्रदूषण अधिक फैल रहा है । ठोस कचरा प्राय: घरों, मवेशी-गृहों, उद्योगों, कृषि एवं दूसरे स्थानों से
Posted on 09 Dec, 2010 12:59 PMभोपाल गैस त्रासदी के २५ साल बाद भी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले रसायन भोपाल की जमीन और पानी को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं । फैक्ट्री से तीन किमी दूर तक जमीन के अंदर पानी में जहरीले रसायनिक तत्त्व मौजूद हैं जिनका उत्पादन यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में होता था । इनकी मात्रा पानी में निर्धारित भारतीय मानकों से ४० गुना अधिक पाई गई है । फैक्ट्री परिसर में सतही जल के पानी में कीटनाशकों का मिश
Posted on 08 Dec, 2010 02:36 PMयह बात सौ फीसद सही है कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, एमपी थ्री प्लेयर और टीवी हमारी जिंदगी को अहम हिस्सा बन चुका है। महानगरों और छोटे शहरों की बात तो जाने दें, गांव-कस्बों तक में इनका चलन आम हो गया है। इलेक्ट्रानिक के ये सामान लोगों को न सिर्फ उनके कामकाज को आसान बनाते हैं बल्कि मनोरंजन का जरिया भी हैं। इन इलेक्ट्रानिक सामानों की खरीदारी करते वक्त हम में से शायद ही कोई सोचता होगा कि जिन उपकरणों
Posted on 08 Dec, 2010 02:23 PM दुनिया भर में इलेक्ट्रानिक और औद्योगिक कचरे के निपटान को लेकर बहस चल रही है। विकसित देश अपना कचरा विकासशील और अविकसित देशों के मत्थे मढ़ रहे हैं और उन देशों को बीमार और बदहाल बना रहे हैं। भारत में भी कई देश अपना कचरा डाल रहे हैं। इसका जायजा ले रहे हैं
Posted on 08 Dec, 2010 12:38 PMचीन ने तिब्बत से आने वाले भारत के प्रमुख नद ब्रह्मपुत्र को रोककर बिजली और सिंचाई के साधन बढ़ा लिए हैं। चूंकि तिब्बत को चीन अपना ही इलाका समझता है, इसलिए वह वहां की ऐसी नदियों के साथ भी मनमानी कर रहा है, जो लंबा सफर भारत में तय करती हैं। तिब्बत और चीन से आनेवाली नदियां भारत की परिस्थितियों और भूगोल को भी निर्धारित और प्रभावित करती हैं। अधिकांश भारतीय नदियों के उद्गम का स्रोत हिमालय में है और हिमालय
Posted on 08 Dec, 2010 10:44 AMमध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी में बना गांधीसागर बांध आजाद भारत के शुरुआती बड़े बांधों में से एक था। भाखड़ा-नांगल और हीराकुड के साथ गांधी सागर बांध उन बांधों में से एक था, जिन्हें प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। श्री नेहरू ने गांधी सागर का उद्घाटन 19 नवंबर 1960 में किया था। यह महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय चंबल नदी घाटी योजना का पहला व प्रमुख बांध है, जो