इंडिया डेवलपमेंट गेटवे

इंडिया डेवलपमेंट गेटवे
दक्षिण-पूर्व राजस्थान में जल संरक्षण
Posted on 14 Dec, 2010 10:46 AM

निम्न तथा अत्यंत अनिश्चित फसल उत्पादन और भू-जल के तेजी से गिरते स्तर अर्ध-शुष्क वर्षा-पोषित क्षेत्रों के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं जिन्हें हल किया जाना जरूरी है। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में अधिक और अनियमित वर्षा तथा मिट्टी की अल्प पारगम्यता के कारण भारी मात्रा में वर्षा जल धरातल पर बह जाता है और गंभीर अपरदन के खतरे उत्पन्न होते हैं। इस क्षेत्र में जल का संरक्षण, बेंच टैरेस के जरिए खेतों में वर्षा ज

खाद्य सुरक्षा मानक और कोडेक्स
Posted on 11 Dec, 2010 02:11 PM
भारत ने खाद्य उत्पादन और निर्यात तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले कई दशकों में उल्लेखनीय प्रगति की है। दूध, गन्ना, काजू और मसालों के उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है, जबकि चावल, गेहूं, दलहन, फल (ब्राजील के बाद) और सब्जियों (चीन के बाद) का यह दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन विश्वव्यापी निर्यात में इसका हिस्सा तीन प्रतिशत से कम है। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इ
ताजा पानी के मोती का उत्‍पादन
Posted on 11 Dec, 2010 02:00 PM

मोती उत्‍पादन क्‍या है?

हिमाचल प्रदेश में मछली की बहुफसली खेती - खेती के तरीकों का पैकेज
Posted on 11 Dec, 2010 12:07 PM
कांगड़ा जिले में पालमपुर घाटी की तरह कृषि-जलवायु वातावरण के लिए एक मछली की खेती के लिए पॉलीकल्चर मॉडल विकसित किया गया है। इस मॉडल में, विदेशी क्रॉप की 3 प्रजातियां (ग्रास क्रॉप, सिल्वर क्रॉप, मिरर क्रॉप) की किसानों को सिफारिश की गई है, जो गहन छानबीन के बाद उनके विकास के प्रदर्शन अनुकूलन और अन्य पारिस्थितिकीय- जैविक मापदंडों पर आधारित है।
हिमाचल प्रदेश में ट्राउट का उत्पादन
Posted on 11 Dec, 2010 11:41 AM
हिमाचल प्रदेश के ज़ोन दो और तीन में अत्यधिक बहुमूल्य मछली 'रेनबो ट्राउट' की पैदावार के लिए विशाल क्षमता है। इन दो क्षेत्रों के तहत कृषि के लिए मौसमी परिस्थितियां शीतजलीय कृषि के लिए बेहद अनुकूल हैं। हाल ही में मिले संकेत इंगित करते हैं कि ट्राउट कम ऊंचाई पर 1000 m एमएसएल तक पैदा की जा सकती है, बशर्ते जल की अधिकतम गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित की जाए।

साइट का चयन

शुष्क भूमि कृषि तकनीक
Posted on 11 Dec, 2010 11:32 AM
झारखंड में ज्यादातर वर्षा जून से सितम्बर के मध्य होती है। इसलिए किसान सिंचाई के अभाव में प्राय: खरीफ फसल की ही बुआई करते और रबी की कम खेती करते हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय स्थित अखिल भारतीय सूखा खेती अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत ऐसी तकनीक का विकास किया गया है, जिसके अनुसार मिट्टी, जल एवं फसलों का उचित प्रबंधन कर असिंचित अवस्था में भी ऊँची जमीन में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
छिड़काव सिंचाई प्रणाली
Posted on 11 Dec, 2010 11:05 AM
छिड़काव सिंचाई, पानी सिंचाई की एक विधि है, जो वर्षा के समान है। पानी पाइप तंत्र के माध्यम से आमतौर पर पम्पिंग द्वारा वितरित किया जाता है। वह फिर स्प्रे हेड के माध्यम से हवा और पूरी मिट्टी की सतह पर छिड़का जाता है जिससे पानी भूमि पर गिरने वाला पानी छोटी बूँदों में बंट जाता है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली
Posted on 11 Dec, 2010 10:44 AM
ड्रिप सिंचाई प्रणाली फसल को मुख्यश पंक्ति, उप पंक्ति तथा पार्श्व पंक्ति के तंत्र के उनकी लंबाईयों के अंतराल के साथ उत्सर्जन बिन्दु का उपयोग करके पानी वितरित करती है। प्रत्येक ड्रिपर/उत्सार्जक, मुहाना संयत, पानी व पोषक तत्वों तथा अन्यक वृद्धि के लिये आवश्यहक पद्धार्थों की विधिपूर्वक नियंत्रित कर एक समान निर्धारित मात्रा, सीधे पौधे की जड़ों में आपूर्ति करता है।
मिट्टी जाँच: महत्व एवं तकनीक
Posted on 11 Dec, 2010 10:27 AM
मिट्टी के रासायनिक परीक्षण के लिए पहली आवश्यक बात है - खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेना। न केवल अलग-अलग खेतों की मृदा की आपस में भिन्नता हो सकती है, बल्कि एक खेत में अलग-अलग स्थानों की मृदा में भी भिन्नता हो सकती है। परीक्षण के लिये खेत में मृदा का नमूना सही होना चाहिए।
भू-जल स्तर की वृद्धि हेतु वर्षा जल संचयन तकनीक
Posted on 09 Dec, 2010 09:28 AM

स्वच्छ जल अपर्याप्त है


• पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल में स्वच्छ जल का हिस्सा केवल तीन प्रतिशत है। शेष समुद्र में उपलब्ध नमकीन या क्षारीय जल है।

• धरती पर उपलब्ध कुल स्वच्छ जल का 11 प्रतिशत भूजल के रूप में 800 मीटर की गहराई तक उपलब्ध है जिसे उपयोग के लिए निकाला जा सकता है।
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