चौथी दुनिया ब्यूरो

चौथी दुनिया ब्यूरो
बदल रहा है लद्दाख का पर्यावरण
Posted on 01 Jun, 2012 11:38 AM
देश के चुनिंदा पर्यटन स्थलों में लद्दाख का एक अलग ही स्थान है। दूसरे पर्यटन स्थलों पर लोग जहां केवल प्रकृति की अनुपम सुंदरता के दर्शन करते हैं वहीं लद्दाख में उन्हें प्रकृति के साथ-साथ इंसानी जीवनशैली भी आकर्षित करती है। लद्दाख अपनी अद्भुत संस्कृति, स्वर्णिम इतिहास और शांति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। दुनिया भर से लाखों की संख्या में पर्यटक खूबसूरत मठों, स्तूपों और एतिहासिक धरोहरों को देखन
जैविक खेती समय की जरूरत
Posted on 18 Nov, 2011 08:58 AM

राजस्थान के शेखावाटी इलाके के किसान कुछ साल पहले पानी की समस्या से परेशान थे। खेती में खर्च इतना ज्यादा बढ़ गया था कि फसल उपजाने में उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती चली गई, लेकिन कृषि के क्षेत्र में यहां एक ऐसी क्रांति आई, जिससे यह इलाका आज भारत के दूसरे इलाकों से कहीं पीछे नहीं है। शेखावाटी में आए इस बदलाव के पीछे मोरारका फाउंडेशन की वर्षों की मेहनत है। फाउंडेशन के इस सपने को पूरा करने का भाग

जैविक खेती देश भर में फैलता आंदोलन
Posted on 04 Oct, 2011 11:19 AM

केंचुओं का इस्तेमाल कर कचरे को वर्मीकंपोस्ट में बदल कर जैविक खाद बनाई जाती है। वर्मीकंपोस्ट की

ककोलत जलप्रपात अस्तित्व पर खतरा
Posted on 16 Aug, 2011 11:54 AM

नवादा जिले से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एक ऐसा जलप्रपात जो सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से देश के किसी भी जलप्रपात से कम नहीं है लेकिन सरकारी महकमा इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने के बजाय उसके अस्तित्व को मिटाने के लिए तत्पर हैं। बिहार में कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध नवादा जिले के गोविंदपुर प्रखंड के अंतर्गत पड़ने वाले प्राकृतिक पर्यटन स्थल ककोलत जलप्रपात पर अस्तित्व मिटने का खतरा

ककोलत जलप्रपात
हिमालय को बचाने की अंतर्राष्ट्रीय पहल
Posted on 16 Aug, 2011 11:03 AM

जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के साथ बढ़ती छेड़छाड़ का जैव विविधता पर नकारात्मक असर पड़ा है। इंसान अपने फायदे के लिए एक तरफ जहां जंगलों का सफाया कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उसने प्राकृतिक संपदा की लूटखसोट मचा रखी है, बगैर इस बात का ख्याल किए हुए कि इस पर अन्य जीवों का भी समान अधिकार है। बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप ने पर्वतीय क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को भी गड़बड़ कर दिया है, जिससे यहां पाए जाने वाले

हिमालय अब संकट में
पर्यावरण सुरक्षा और भारत
Posted on 30 Jul, 2011 04:56 PM

क्योटो प्रोटोकॉल के प्रति भारत का दृष्टिकोण

जोहानेसबर्ग पृथ्‍वी सम्‍मेलन था दीर्घकालिक विकास के लिए
Posted on 30 Jul, 2011 01:01 PM

दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में जो वैश्विक सम्मेलन (डब्ल्यूएसएसडी), 2002 में हुआ था, वह मूल रूप से दीर्घकालिक विकास पर केंद्रित था, हालांकि तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने उसका बहिष्कार किया था। इसीलिए उसके एजेंडे में ग्लोबल वार्मिंग का मुद्‌दा उतना अहम नहीं था। इससे भी बड़ी बात यह थी कि अनेक महत्वपूर्ण फैसले कहीं दूर लिए जा रहे थे। चीन और रूस, जो कि दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े

पर्यावरण बचाएं
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा
Posted on 30 Jul, 2011 11:15 AM

यदि मानवजनित गतिविधियां अपनी मौजूदा गति से जारी रहीं तो औद्योगिक युग से पहले के मुकाबले औसत वैश्विक तापमान में सात डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो जाएगी। तापमान में यह वृद्धि 15000 साल पहले, आखिरी हिमयुग (आइस एज) के बाद पृथ्वी के तापमान में आई वृद्धि से भी ज्यादा है। उस दौरान पृथ्वी के तापमान में पांच डिग्री का इजाफा हुआ था और वह भी 5000 साल के दरम्यान फिर यह भी कि हिमयुग में तापमान में हुई वृद

पर्यावरण अब संकट में
मैली हो गई पतित पावनी सरयू नदी
Posted on 29 Jul, 2011 10:52 AM

अयोध्या-फैजाबाद शहरों को अपने आंचल में समेट, युगों-युगों से लोगों को पुण्य अर्जन कराती सरयू नदी की कोख भी अब मैली हो चली है। सरयू का पवित्र जल तो दूषित हुआ ही, भूजल में भी हानिकारक रसायनों की मात्रा बढ़ती जा रही है। दोनों शहरों के करीब दो दर्जन इंडिया मार्का हैंडपंपों में नाइट्रेट, आयरन आदि तत्वों की अधिकता पाई गई है। पानी में कठोरता और खारापन भी जरूरत से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा

सरयू नदी अब संकट में
बीहड़ों में तब्‍दील होती उपजाऊ भूमि
Posted on 28 Jul, 2011 01:20 PM

कहने को तो भारत कृषि प्रधान देशों की श्रेणी में आता है, इसके बावजूद हम गेहूं से लेकर अन्य खाद्य पदार्थों का आयात करने पर मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे पास अन्न पैदा करने के लिए उपजाऊ भूमि और अन्य साधनों की कमी है। यहां तो 800 एकड़ कृषि योग्य भूमि ही बीहड़ों में तब्दील होकर बर्बाद हो रही है। मनुष्य धरती की संतान है, इसलिए मनुष्य सब कुछ पैदा कर सकता है, लेकिन धरती पैदा नहीं कर सकता है। दुनिया म

चंबल का उपजाऊ भूमि अब बंजर हो रहा है
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