डेयरी फार्म पर ग्रामीण किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम (एपीडीएफ)

न्यूनतम अवधि: 2 माह
अधिकतम अवधि: 2 वर्ष
पाठ्यक्रम शुल्क: 1,000 रुपये
न्यूनतम उम्र: कोई सीमा नहीं
अधिकतम उम्र: कोई सीमा नहीं

योग्यता:


कोई औपचारिक शिक्षा नहीं

कार्यक्रम सिंहावलोकन


यह कार्यक्रम भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया गया है। यह कार्यक्रम डेयरी फार्म प्रबंधन, पशु स्वास्थ्य देखभाल, चारा उत्पादन और स्वच्छ दुग्घ उत्पादन इत्यादि से संबंधित ज्ञान और तकनीकी योग्यता प्रदान करता है। यह युवाओं में स्वरोजगार के लिए उद्यमशीलता को भी प्रोत्साहित करता है। दो राज्यों-राजस्थान और बिहार में इस कार्यक्रम का पहला चरण पूरा हो चुका है। बीस प्रशिक्षण केन्द्रों के जरिए चार और दूसरे राज्यों-उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में इस कार्यक्रम का एक चरण ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालन हेतु प्रस्तावित है।

इस कार्यक्रम के मुख्य लक्ष्य हैं-:
• डेयरी फार्म प्रबंधन, पशु स्वास्थ्य देखभाल, चारा उत्पादन और स्वच्छ डेयरी फार्म में तकनीकी योग्यता और ज्ञान को बतलाना
• वैज्ञानिक रीति से डेयरी फार्म व्यवस्था के लिए जरूरी मानव संसाधन का विकास और डेयरी फार्म के जरिए स्व-रोजगार हेतु युवाओं में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन

संबंधित सूचना


(16 दिन का परामर्श सत्र)

अध्ययन सामग्री हिंदी भाषा में 14 मोड्यूल्स में शामिल है। इसके व्यापक विषय हैं-

परिचय
पशु प्रजनन
पुनर्उत्पादन
ब्याना और बछड़े को पालना-पोसना
पशु-पोषण/पशु खाद्य और चारा प्रबंधन
दुग्ध उत्पादन
दूध की जांच, दुग्ध प्रबंधन और भंडारण
पशु आवास एवं आश्रय
स्वास्थ्य प्रबंधन
पशुओं की बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण
गोबर का निपटारा और डेयरी कचरा सामग्री
दुग्धशाला के उपकरण
दुग्धशाला का अर्थशास्त्र और लेखा और
डेयरी के विकास में विभिन्न एजेंसियों की भूमिका

विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें-

डॉ. पी. विजय कुमार, सहायक प्रोफेसर और कार्यक्रम संयोजक कृषि विद्यापीठ, जी ब्लॉक, जाकिर हुसैन भवन. न्यू एकेडमिक कॉम्पलेक्स, इग्नू , मैदान गढ़ी, नई दिल्ली-110068फोन-+91-11-29533167/ 66, ईमेल-pvkumar@ignou.ac.in

टेलीकांफ्रेंसिंग


टेलीकांफ्रेंसिंग में एक-मार्गी दृश्य एवं द्वि-मार्गी श्रव्य की सुविधा होती है। यहां प्रत्येक माह टेलीकांफ्रेंसिंग होगी। टेलीकांफ्रेंसिंग सत्र के दौरान आप के उत्तीर्ण फोन के माध्यम से संकाय से बातचीत का मौका होता है। इसके अलावा संबंधित व्यक्ति/विशेषज्ञ के साथ फैक्स के जरिए सूचना का आदान-प्रदान करके अपनी शंका का तुरंत समाधान कर सकते हैं। टेलीकांफ्रेंसिंग की सुविधा क्षेत्रीय केंद्रों एवं कुछ चिह्रित अध्ययन केंद्रों पर उपलब्ध होगी। टेलीकांफ्रेंसिंग का कार्यक्रम की सूचना कार्यक्रम प्रभारी एवं क्षेत्रीय निदेशक को भेजी जाएगी जो विद्यार्थियों को सूचित करेगा। ज्ञान दर्शन चैनल के माध्यम से टेलीकांफ्रेंसिंग की जाती है। विद्यार्थियों को नियमित रूप से इन सत्रों में अवश्य शामिल होना चाहिए। इसके माध्यम से न सिर्फ विद्यार्थियों की शंकाएं दूर होती हैं बल्कि उन्हें देश भर के सभी शिक्षार्थियों के साथ बातचीत का मौका मिलता है।

रेडियो परामर्श


रेडियो परामर्श एफ.एम. के माध्यम से होगा और इसमें विद्यार्थी घर बैठे फोन के जरिए बिना कोई शुल्क दिए सवाल पूछ सकते हैं। टोल फ्री टेलीफोन नंबर 110012345 है जो इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध कराया गया है।

प्रसारण


यह कार्यक्रम डीडी मेट्रो चैनल के जरिए भी प्रसारित किया जाएगा। निर्धारित कार्यक्रम की सूचना विद्यार्थियों को पहले ही दे दी जाएगी।

दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम


विद्यार्थियों की शिक्षा में मदद हेतु प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम बनाए गए हैं। ये दूर शिक्षा कार्यक्रम कैसेट में उपलब्ध हैं । सभी कार्यक्रम अध्ययन केंद्रों में उपलब्ध हैं। ये दृश्य-श्रव्य कैसेट विद्यार्थियों को देखने की और सुनने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। विद्यार्थी इन कैसेटों को किराए पर भी ले सकते हैं।

उपस्थिति


सत्रांत परीक्षा में शामिल होने के योग्य होने के लिए विद्यार्थियों को सिद्धांत परामर्श में 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इसी तरह, प्रयोगात्मक परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रयोग संपर्क सत्र में 90 फीसदी उपस्थिति जरूरी है।

एसाइनमेंट


एसाइनमेंट का मतलब सिद्धांत एवं प्रयोग का निरंतर मूल्यांकन है। एसाइनमेंट से सिद्धांत के पुनरावृत्ति में मदद मिलती है और यदि किसी प्रश्न का जवाब नहीं मालूम है तो दोबारा अध्ययन सामग्री की मदद ले सकते हैं। इस तरह दूर शिक्षा प्रणाली में शिक्षण को सुदृढ़ करने में एसाइनमेंट मददगार है। इन एसाइनमेंट में कुछ प्रश्नों का समूह और गतिविधियां शामिल होती हैं। एसाइनमेंट में सभी प्रकार के प्रश्न (लंबे उत्तर वाले प्रश्न, छोटे उत्तर वाले प्रश्न, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, कई चुनाव वाले प्रश्न और मामलों के अध्ययन) शामिल होंगे। एसाइनमेंट का वेटेज 30 फीसदी होगा।

सत्रांत परीक्षा


जैसा कि पहले कहा गया है कि सत्रांत परीक्षा मूल्यांकन प्रणाली का एक प्रमुख घटक है। अंतिम परिणाम में इसका वेटेज 70 फीसदी है। विश्वविद्यालय वर्ष में दो बार सत्रांत परीक्षा कराती है। पहली जून में और दूसरी दिसंबर में। पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद ही विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। ऐसा न होने पर विद्यार्थी को आगामी जून या दिसंबर की सत्रांत परीक्षा में दोबारा बैठना होगा। यदि विद्यार्थी सत्रांत परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो भी वह कार्यक्रम की कुल अवधि के भीतर अगली सत्रांत परीक्षा में शामिल होने योग्य है।

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