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मनरेगा में क्या काम के लिए व्यक्तिगत आवेदन जमा किया जा सकता है ?
Posted on 04 Dec, 2010 09:07 AM हाँ, मनरेगा में रोजगार प्राप्तकर्त्ता का पंजीकरण परिवार-वार किया जाएगा। परन्तु पंजीकृत परिवार वर्ष में 100 दिन काम पाने के हकदार होंगे। साथ ही, परिवार के व्यक्तिगत सदस्य भी काम पाने के लिए आवेदन कर सकता है।

मनरेगा अधिनियम के अधीन रोज़गार के लिए कौन आवेदन कर सकता है
Posted on 04 Dec, 2010 09:04 AM मनरेगा में ग्रामीण परिवारों के वे सभी व्यस्क सदस्य जिनके पास जॉब कार्ड है, वे आवेदन कर सकते हैं। यद्यपि वह व्यक्ति जो पहले से ही कहीं कार्य कर रहा है, वह भी इस अधिनियम के अंतर्गत अकुशल मज़दूर के रूप में रोजगार की माँग कर सकता है। इस कार्यक्रम में महिलाओं को वरीयता दी जाएगी और कार्यक्रम में एक-तिहाई लाभभोगी महिलाएँ होंगी।

मनरेगा की क्रियान्वययन की स्थिति क्या है
Posted on 04 Dec, 2010 08:59 AM * वित्‍तीय वर्ष 2006-2007 के दौरान 200 जिलों और 2007-2008 के दौरान 130 जिलों में योजना की शुरुआत‍ हुई।

* अप्रैल, 2008 में नरेगा का 34 राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सभी 614 जिलों, 6096 ब्‍लॉकों और 2.65 लाख ग्राम पंचायतों में विस्‍तार किया गया।

नरेगा क्या है
Posted on 04 Dec, 2010 08:54 AM * राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 25 अगस्‍त, 2005 को पारित हुआ। यह कानून हर वित्‍तीय वर्ष में इच्‍छुक ग्रामीण परिवार के किसी भी अकुशल वयस्‍क को अकुशल सार्वजनिक कार्य वैधानिक न्‍यूनतम भत्‍ते पर करने के लिए 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना को क्रियान्‍वित कर रहा है।
प्रधान की रहमत नहीं! ये नरेगा कानून है मेरे मजदूर साथियों!
Posted on 14 Nov, 2010 09:41 AM नरेगा कानून को लागू हुए इतना समय हो गया है कि कई गरीब मजदूरों की मौत भूख से हो गई तो कई ने इसे पाने के लिए अपनी जिन्दगी ही गवां दी बाकी बचे भी तो, इसे प्रधान की रहमत ही समझते हैं । क्योंकि मजदूर/ग्रामीण लोग आज भी इस कानून से अनजान हैं और इसे अन्य योजनाओं की तरह ही समझते हैं जो सिर्फ ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव की झोली तक ही सिमट कर रह जाती है। इनकी झोली तक जिसका हाथ पहुंच गया वही पा सकता है ग्राम व
सूचना या समय बद्ध सही सूचना का अधिकार
Posted on 14 Nov, 2010 09:34 AM सूचना के अधिकार को लागू हुये लगभग 5 वर्ष हो गए, किन्तु विदित है कि अभी तक उच्च पदों पर आसीन जिम्मेदार लोग यहाँ तक की कुछ अधिवक्ता यह समझते है, कि यह अधिकार केवल सरकारी विभागों में उपलब्ध दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने या उनका मुआइना करने या किसी वस्तु का नमूना प्राप्त करने तक ही सीमित है। यदि सूचना अधिनियम 8, 9 और 10 (१), २४ बाधित न हो।
प्रधान की रहमत नहीं! ये नरेगा कानून है मेरे मजदूर साथियों!
Posted on 13 Nov, 2010 04:13 PM नरेगा कानून को लागू हुए इतना समय हो गया है कि कई गरीब मजदूरों की मौत भूख से हो गई तो कई ने इसे पाने के लिए अपनी जिन्दगी ही गवां दी बाकी बचे भी तो, इसे प्रधान की रहमत ही समझते हैं । क्योंकि मजदूर/ग्रामीण लोग आज भी इस कानून से अनजान हैं और इसे अन्य योजनाओं की तरह ही समझते हैं जो सिर्फ ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव की झोली तक ही सिमट कर रह जाती है। इनकी झोली तक जिसका हाथ पहुंच गया वही पा सकता है ग्राम व
पर्यावरण संकट के हल के लिए बने वैश्विक नीति
Posted on 12 Nov, 2010 02:19 PM

आज जलवायु जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी गंभीरता से नहीं सोच रहा है जबकि तमाम मुद्दों से कहीं ज्यादा जरूरी हमारे लिए जलवायु परिवर्तन का विषय है।

साज-सज्जा ऐसी कि घर दे ठंडक का एहसास
Posted on 11 Nov, 2010 10:10 AM
पिछले कुछ दशकों से हमारे देश के छोटे-बड़े शहरों में विशालाकार, बहुमंजिली इमारतें खड़ी हो रही हैं। हम प्राय: उन इमारतों को सर्दी के मौसम के लिहाज से फर्निश करते हैं। हममें से कई लोग आजकल जगह की कमी के कारण फ्लैटों में रहते हैं। फ्लैटों में हर बार मौसम के अनुकूल फर्निश करना और घर की बनावट में बदलाव करना सम्भव नहीं होता। इसके बावजूद गर्मी के इन दिनों में हम अपने घरों के इंटीरियर में कई तरह के ब
घर की उबटन के क्या कहने?
Posted on 11 Nov, 2010 10:05 AM
महिलाएं सुंदर दिखाई पडऩे के लिये नये-नये सौन्दर्य प्रसाधनों और तरह-तरह के लेप व लोशनों का जी भर कर प्रयोग करती हैं जिससे त्वचा में आने वाले ढलाव को छिपा लिया जाये परन्तु प्रयोग स्थायी नहीं है। मेकअप के उतरते ही असलियत सामने आ जाती है और क्रूर उपहास-सा करती हुई प्रतीत होती है।
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