भारत

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हिंसक खेती से अशान्त होती धरती
Posted on 25 Dec, 2010 01:02 PM दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात युद्धक सामग्रियों का प्रयोग कृषि कार्य में लेने से कृषि का स्वरूप भी हिंसक हो गया है। हमारे यहां तो अनादिकाल से माना जाता रहा है कि जैसा अन्न खाएंगे वैसा ही मन बनेगा। प्रस्तुत आलेख इसी मान्यता का विस्तार है और यह मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि ‘कृषि’ की वर्तमान स्थिति पर तीखी टिप्पणी करते हुए यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि किस प्रकार हम पुनः जैविक खेती की ओर लौटे और
भारतीय गायों के अस्तित्व का प्रश्न
Posted on 25 Dec, 2010 12:55 PM अधिक दूध की मांग के आगे नतमस्तक होते हुए भारतीय पशु वैज्ञानिकों ने बजाए भारतीय गायों के संवर्धन के विदेशी गायों व नस्लों को आयात कर एक आसान रास्ता अपना लिया। परंतु इसके दीर्धकालिक प्रभाव बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं। आज ब्राजील भारतीय नस्ल की गायों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। क्या यह हमारे लिए शर्म का विषय नहीं है? का. सं.
सूचना का अधिकार कानूनः धुंधली होती पारदर्शिता
Posted on 25 Dec, 2010 12:45 PM सूचना का अधिकार अधिनियम को कमजोर करने के सरकारी प्रयास पूरे जोर-शोर से जारी हैं। आजादी के बाद पहली बार एक ऐसा कानून प्रचलन में आया है, जिसमें आम जनता को सवाल पूछने का अधिकार मिला था। परंतु सरकारों और अधिकारियों को आम जनता को जवाब देना नागवार गुजर रहा है इसलिए वे इस कानून में परिवर्तन कर इसकी आत्मा को ही नष्ट कर देना चाहते हैं। का. सं.
बढ़ता जल प्रदूषण और ग्राम्य जीवन
Posted on 20 Dec, 2010 10:21 AM

जल जीवन की आधारभूत आवश्यकता है । भोजन के अभाव में मानव कुछ सप्ताह जीवित रह सकता है लेकिन जल के अभाव में शायद एक सप्ताह भी जिंदा नहीं रह सकता । मानव शरीर में जल के अस्तित्व का महत्त्वपूर्ण स्थान है, हमारे सौर मण्डल में पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिसमें जीवन हर रंग और रूप में मौजूद हैं । पेयजल पर जीवन की निर्भरता के लिए यदि कहा जाए कि जल ही जीवन है तो असंगत नहीं होगा । जल की आवश्यकता केवल मन

बिहार में बहार
Posted on 20 Dec, 2010 10:06 AM
बिहार में नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में वापसी करने में सफल रहे। इससे आम लोगों को अपनी बेहतरी के लिए उम्मीद की किरण दिख रही है।
प्लास्टिक कचरे से गहराता संकट
Posted on 17 Dec, 2010 04:57 PM

पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कचरा एक गंभीर संकट बना हुआ है

बागवानी प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पीजीडीपीएम)
Posted on 14 Dec, 2010 04:11 PM न्यूनतम अवधि: 1 वर्ष
अधिकतम अवधि: 4 वर्ष
पाठ्यक्रम शुल्क: 4,800 रुपये
न्यूनतम उम्र: कोई सीमा नहीं
अधिकतम उम्र: कोई सीमा नहीं

योग्यता:


• किसी भी विषय में स्नातक

कार्यक्रम सिंहावलोकन

डेयरी फार्म पर ग्रामीण किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम (एपीडीएफ)
Posted on 14 Dec, 2010 04:07 PM न्यूनतम अवधि: 2 माह
अधिकतम अवधि: 2 वर्ष
पाठ्यक्रम शुल्क: 1,000 रुपये
न्यूनतम उम्र: कोई सीमा नहीं
अधिकतम उम्र: कोई सीमा नहीं

योग्यता:


कोई औपचारिक शिक्षा नहीं

कार्यक्रम सिंहावलोकन

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