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भूगर्भ में छुपा कैरियर
Posted on 14 Oct, 2011 09:51 AM

वाकई में धरती अपने अंदर रहस्यों का पुलिंदा छुपाए हुए है। ऐसे तमाम अनगिनत रहस्य हैं, जिन्हें आसानी से नहीं जाना जा सकता है। पृथ्वी के भीतर छुपे कुछ प्रतिशत प्राकृतिक संशाधनों से ही आम लोग परिचित हैं। यदि आप पृथ्वी के छुपे रहस्य एवं उनसे होने वाले फायदों को जानना चाहते हैं, तो जियोलॉजी का गहन अध्ययन करना पड़ेगा।

 

 

जल, ज़मीन और हवा का हक
Posted on 13 Oct, 2011 05:30 PM

भूमि, हवा आदि आदिवासियों की है, इसलिए वहां जो कोई परियोजना लगती है, उसमें पचास फीसद हिस्सा आदिव

खेत को खाती खाद
Posted on 13 Oct, 2011 04:57 PM

दो दशक पहले तक देश की कृषि पर्यावरण अंसतुलन की मार से बची हुई थी, लेकिन अब जंगलों की अंधाधुंध क

fertilizer mill
शेखावटीः जैविक खेती और बाजार प्रणाली
Posted on 13 Oct, 2011 03:14 PM

प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से किसानों को जैविक खेती की पद्धति का बारीक प्रशिक्षण दिया गया। नती

उड़ना
Posted on 13 Oct, 2011 03:07 PM लोग चलकर, दौड़कर, उछल-कूदकर, रेंगकर, तैरकर या पहियों को घुमाकर आगे जाते हैं। वे चाहे जो भी करें, उनका शरीर लगभग हमेशा जमीन को छूता रहता है। कोई आदमी कूदकर हवा में उड़ता है, यह केवल कुछ क्षणों के लिए होता है और फिर वह दोबारा जमीन पर आ जाता है।
आकाश एक ताल है
Posted on 01 Aug, 2011 09:01 AM आकाश एक ताल है
हम जहाँ भी हैं उसके
घाट पर हैं। अपने संकल्प-विकल्प को
तिलक देते हुए

आकाश एक ताल है
महाताल-
जिसकी गगन-गुफा से अजर रस झरता है
कबीर का
(योगी जिसे पीता है)

आकाश एक ताल है
सुबह-सुबह जिसके एक फूल से
उजाला फैलता है। और रात में
जिसमें असंख्य कुमुदिनी के फूल
खिलते हैं जो हमारी आँखों के तारे हैं।
विडम्बना
Posted on 30 Jul, 2011 09:02 AM बदलियों में पानी घट रहा
नदियों में प्रवाह
बातें भी अब कहाँ रहीं
अथाह
(उथलापन बार-बार दिखता
चरित्र है!)

घाटों पर निरापद न रही
प्यास
उतार पर है आँख का पानी

बेआब झील
एक पूरा शहर उदास करती है!

मिटा दिए गए ताल-पोखर के लिए
Posted on 29 Jul, 2011 09:14 AM पानी के बैरी या
प्यास का दुश्मन ही कहा जाएगा उन्हें
मिटा दिया जिन्होंने पोखर-तालाब

कितनी पुलक से-पुण्याकांक्षा से भी
खुदबाए गए होंगे ये पोखर-ताल
औचक लील गए जिन्हें
मूढ़ता, कटुता और स्वार्थ

पूर्वजों की थाती
बेरहमी-बेअक्ली से
कर दी गयी मटियामेट
तालाब नष्ट करना
पानी के साथ पसीने का अपमान है
और कुल की साधुता की हत्या
हो सकता है
Posted on 27 Jul, 2011 09:21 AM हो सकता है! कल को तुम्हारे हरे-भरे किनारों को
बेदखल कर बनवा दिए जाएँ बड़े-बड़े शापिंगमाल
और कोई वणिज-वक्रता रोक दे तुम्हारी हवा
खड़े कर तुम्हारे आसपास ईमारतों के ढेर
यह भी हो सकता है-कल को कोई धन्नासेठ!
जोत ले तुम्हारी ज़मीन और रातोंरात वहाँ
चमचमाने लगें कई सितारों के होटल

बड़ी झील!
पूँजी की माया!! कल को हो सकता है
झील धरती का सुख है
Posted on 27 Jul, 2011 09:16 AM झील धरती का सुख है
जिस में आकाश लहराता रहता है
अपने बचपन के दोस्त आबो-हवा के साथ

अपनी चाँदनी के लिए
पानी मालकौंस गाता है

चिडि़यों के कोरस में
प्रेम-पत्र की एक पंक्ति अरझ जाती है
किनारे पर बैठे हुए प्रेमी युगल
जिसे सुलझाते आपस में डूबे हुए हैं

हवा एक अलंकार है
लहरें जिससे अपना शृंगार करती हैं

धूप एक छन्द है
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