Posted on 18 Jul, 2011 10:24 AMजलविज्ञान (Hydrology) विज्ञान की वह शाखा है जो जल के उत्पादन, आदान-प्रदान, स्त्रोत, सरिता, विलीनता, वाष्पता, हिमपात, उतारचढ़ाव, प्रपात, बाँध, संभरण तथा मापन आदि से संबंधित है। जो जल वृष्टि द्वारा पृथ्वी पर गिरता है, वह प्रथम तो भूमि के प्राकृतिक गुरुत्व के कारण या तो भूमि के अंतस्तल में प्रविष्ट हो जाता है, या नाली और नालिकाओं द्वारा नदियों में जा गिरता है और वहाँ से पुन: सागरों में प्रवेश करता है
Posted on 18 Jul, 2011 10:13 AMधरती पर पाए जाने वाले पदार्थों में पानी सबसे साधारण है, लेकिन गुणों में असाधारण एवं विशिष्ट है। इसके इन्हीं गुणों के कारण जीवन न केवल इस धरती पर अस्तित्व में आया और विकसित हुआ। हम पानी के आश्चर्यजनक गुणों को प्राय: गंभीरता से नहीं लेते। वास्तव में यह एक उत्कृष्ट विलायक है और काफी अधिक तापमान तक द्रव्य अवस्था में बना रहता है। इसे गर्म करने तथा उबालने के लिए काफी ऊष्मा की जरूरत होती है।
Posted on 18 Jul, 2011 09:46 AMउत्तर खाली खेत से 5-6 जगहों से नमूना लेकर, उसको अच्छी तरह से मिलाकर आधा किग्रा मिट्टी का नमूना आप अपने जनपद के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।
Posted on 18 Jul, 2011 09:45 AMउत्तर क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, आलमबाग, निकटतम सहकारी समिति और किसी अच्छे बीज विक्रेता के पास मिल जायेगी। साथ ही इफको किसान सेवा केन्द्रों से सम्पर्क कर सकते हैं।
Posted on 18 Jul, 2011 09:44 AMउत्तर पहली सिंचाई बोने के 20 से 25 दिन बाद आवश्यक है। फूल निकलते समय तथा दाना भरते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
Posted on 18 Jul, 2011 09:42 AMउत्तर हरी खाद हेतु बीज की मात्रा 45-50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। इसी प्रकार ढैंचा बीज उत्पादन हेतु 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्र्याप्त होता है। ऊसर भूमि में बीज की मात्रा बढ़ाकर सवा गुना कर लें।
Posted on 18 Jul, 2011 09:08 AMमहात्मा शीतलदास की बगिया का एक सफेद फूल तुम्हारे पानी में निडर तैर रहा है बड़ी झील! जैसे यह घाट उसका ननिहाल हो उधर घाट पर केचुए मिट्टी को स्वच्छ कर रहे हैं कछुए पानी को
फूल पानी की गोद में हँस रहा है फूल-हँसी
फूल हँसी को उतनी ही वत्सल कोमलता से अपने सीने पर सजाए पानी बह रहा है मंद-मंद