Posted on 26 Apr, 2012 03:42 PMनदी जोड़ परियोजना की वजह से ना तो मुजफ्फरपुर के लीची में कोई मिठास आ जाएगी और ना ही मधुबनी के आमों में वो रस जिसके लिए ये दोनों जाने जाते हैं। इनका रस और मिठास इनके अपने ही नदियों के पानी से आएगा जिसके किनारे ये अपना फल देते हैं। इस नदी जोड़ परियोजना से राजस्थान में धान की फसलें लहलहाने नहीं लगेंगी। इसी नदी जोड़ परियोजना के बारे में बताते संजय मिश्र।
Posted on 08 Mar, 2012 02:14 AMनदी जोड़ परियोजना एक खतरनाक संकेतनदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजनाओं को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। 27 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश एचएस कापडिया की खंडपीठ ने इस परियोजना को यह कहते हुए वैध करार दे दिया कि इससे आम आदमी को फायदा होगा। इसके साथ ही बहस का नया पिटारा खुल गया है। विरोध के स्वर को देखते हुए अब तक ये माना जा रहा था कि ये योजना देश-व्यापी नहीं रह जाएगी और ख़ास-ख़ास जगहों पर ही इसे आजमाना ज्यादा मुफीद रहेगा। ये उम्मीद की जा रही थी कि इस दौरान किसी विवाद में योजना विरोधियों की ओर से कोर्ट का दखल लिया जाएगा। ये विकल्प अब भी खुला है लेकिन कोर्ट के रूख ने साफ़ कर दिया है कि सरकारें अब तेजी दिखाएं। सरकारी कार्यप्रणाली समझने वाले मान रहे हैं कि ऐसे मेगा प्रोजेक्ल्ट्स के लिए फंड का रोना देखने को नहीं मिलेगा । खर्च जुटा ही लिया जाएगा। योजना के अमल में कमीशन की माया की पूजा होगी और अगले कई सालों तक राजनीतिक दलों को पार्टी चलाने के लिए पैसा आड़े नहीं आएगा।