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सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर
Posted on 07 Oct, 2010 09:03 AM सुरजना, सैजन, सहजन की फली (ड्रमस्टिक)देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं। यहां आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताई जा रही हैं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी। यह पानी जो जीवन देता है यही जब प्रदूषित हो जाता है तो जीवन ले भी लेता है। बरसात के मौसम में उफनती हुई नदियां, तालाब, पोखरे न जाने कहां-कहां की और कैसी-कैसी गंदगियां बहाए लिए आ रहे हैं, हम नहीं जान पाते। नल और बोरिंग से आने वाला पानी कितना शुद्ध है, यह भी आम आदमी को ज्ञात नहीं। वाटर प्यूरीफायर तो शायद देश की पूरी आबादी का एक प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता है। एक स्लोगन है कि दुर्घटना से सावधानी भली, तो हमें इसी रास्ते पर चलना चाहिए और अपने पानी की चिंता खुद करनी चाहिए।

सुरजना, सैजन, सहजन की फली (ड्रमस्टिक)
आया मौसम झूम के
Posted on 01 Oct, 2010 08:35 AM हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मानसून की भविष्यवाणी जोर-शोर से की जाती रही और मानसून था कि इंतजार करवाते हुए साइंसदानों को उनकी लघुता का बोध कराते हुए ऐसा डेरा जमाया कि सालों-साल तक ऐसी अनुकंपा नहीं की थी। इसने एक-साथ दो निशाने साधे और सरकारी कारिंदों को कबीर की वाणी की ओर इशारा करते हुए एहसास दिला दिया कि काल करे सो आज कर और आज करे सो अब, पल में प्रलय होगी, बहुरि करेगा कब। संकेत कामनवेल्थ खेलों की त
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तबाही के बांध
Posted on 29 Sep, 2010 09:26 AM ऐसा लगता है कि देश के प्रसिद्ध बांध भाखड़ा का, जिसे गोविंद सागर भी कहते हैं, संचालन तदर्थ और कामचलाऊ ढंग से किया जा रहा है, जो असंख्य लोगों और उनकी जीविका के लिए तो खतरनाक है ही, इस बांध से जिन क्षेत्रों में जलापूर्ति हो रही है, वहां भी भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। इसका ताजा उदाहरण इसी महीने तब दिखा, जब बांध की दीवार पर झुकाव देखा गया। यह 1988 की विनाशकारी घटना का दोहराव लगता है, जब भीषण बाढ़ के
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पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल
Posted on 24 Sep, 2010 01:23 PM
दिन-ब-दिन बिगड़ते पर्यावरण की समस्या केवल सम्मेलनों से हल नहीं हो सकती, इसके लिए सबसे जरूरी है जन जागरूकता।
पर्यावरण शिक्षा और संचार माध्यम
Posted on 24 Sep, 2010 09:00 AM
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उपभोग ढांचा भी काफी हद तक जिम्मेदार है।
शताब्दी विकास लक्ष्य: महान विचार की वस्तुस्थिति
Posted on 19 Sep, 2010 11:27 AM शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) के महत्व को ध्यान में रखते हुए इनके क्रियान्वयन की समीक्षा करना आवश्यक है। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के दोहरे व्यक्तित्व पर भी विचार करते हुए इसमें सुधार के लिए उठने वाली आवाजों को मजबूती प्रदान की जाना चाहिए। विश्व में विद्यमान विरोधाभासी परिस्थितियों को रेखांकित करता आलेख।संयुक्त राष्ट्र शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) को जिस उम्मीदों के साथ घोषित किया गया था, उसके एक दशक पश्चात सभी सरकारी दावों के बावजूद नजर आता है कि विकास की प्रवृत्ति प्रारंभ से ही त्रुटिपूर्ण थी। पिछले दस वर्षों में असंख्य समितियों, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय संगठनों एवं स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने दिन रात एक कर के चरम गरीबी और भूख, सभी को उपलब्ध प्राथमिक शिक्षा, लैंगिक समानता, शिशु मृत्यु आदि से संबंधित सभी प्रकार के सूचकांक, संख्या, तालिका और आंकड़े इकठ्ठा किए हैं।

आवश्यक नहीं है कि इन आंकड़ों से निकाले गए सभी निष्कर्ष भयंकर ही निकले हों। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी 192
बाह्यग्रह में जल
Posted on 17 Sep, 2010 09:45 AM अमेरिकी खगोलवैज्ञानिकों के एक दल ने केवल 40 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक लाल-वामन तारे की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज की है जिस पर जल के महासागरों की संभावना है। यह ग्रह, जिसे ‘जीजे1214बी’ (GJ1214b) नाम दिया गया है, पृथ्वी से मात्र लगभग 2.7 गुना बड़ा और लगभग 6.5 गुना भारी है।अमेरिकी खगोलवैज्ञानिकों के एक दल ने केवल 40 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक लाल-वामन तारे की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज की है जिस पर जल के महासागरों की संभावना है। यह ग्रह, जिसे ‘जीजे1214बी’ (GJ1214b) नाम दिया गया है, पृथ्वी से मात्र लगभग 2.7 गुना बड़ा और लगभग 6.5 गुना भारी है। इसके घनत्व के आधार पर वैज्ञानिकों का विचार है कि ‘जीजे1214बी’ का लगभग तीन चैथाई भाग जल से बना है। उसमें ठोस आयरन (लोहे) और निकिल का क्रोड तथा हाइड्रोजन एवं हीलियम का वायुमंडल है। इसके खोजकर्ताओं के अनुसार ‘जीजे1214बी’ पृथ्वी की अपेक्षा अधिक गर्म है और उसका वायुमंडल हमारे वायुमंडल की अपेक्षा 10 गुना अधिक सघन है (नेचर, 17 दिसंबर 2009)।

सहजन के बीजों का जल परिशोधन हेतु उपयोग
Posted on 16 Sep, 2010 04:23 PM
मोरिंगा ओलीफ़ेरा जिसे सामान्य भाषा में सहजन कहा जाता है, एक वृक्ष है जो अफ्रीका, केंद्रीय तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है। सहजन के बीजों में 30 से 50 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जो बढ़िया खाद्य तेल भी है और उसका उपयोग बायोडीज़ल बनाने के लिए भी किया जाता है जिसमें NOX उत्सर्जन कम होते हैं और ईंधन में भी स्थायित्व होता है।
रक्षा कवच की रक्षा का सवाल
Posted on 16 Sep, 2010 10:57 AM
आज हमारी राजनीति से लेकर समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण तक सब कुछ छलनी हो चला है। और तो और हमने ओजोन की उस छतरी में भी छेद कर डाला है, जो सूर्य की घातक किरणों से हमें बचाती है।
नदियों पर अत्याचार का बदला है बाढ़
Posted on 15 Sep, 2010 10:31 AM
कोसी नदी की प्रलयंकारी बाढ़ के बाद भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा था, बाढ़ सुरक्षा के लिए नदी प्रबंधन के काम को प्राथमिकता देने के सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं है। दो साल पहले कोसी ने तटबंध तोड़कर अपनी धारा बदल ली थी और बिहार के करीब डेढ़ करोड़ लोगों के घर-बार और खेत-खलिहान छीन लिये थे। हाल ही में चीन और पाकिस्तान की भयंकर बाढ़ ने भी विशाल भूभागों को जलमग्न और ल
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