भारत

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ज्योग्राफिकल इंर्फोमेशन सिस्टम में ब्राइट फ्यूचर
Posted on 27 Oct, 2013 01:45 PM क्या आपकी भूगोल में दिलचस्पी है और क्या आप मानचित्र वगैरह में खुद को एक्सपर्ट मानते हैं। तो फिर आप ज्योग्राफर्स, ज्योलॉजिस्ट, हाईड्रोग्राफर एवं इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल कर एक अच्छा करिअर विकल्प पा सकते हैं। जी.आई.एस.
आपदा और प्रबंधन
Posted on 26 Oct, 2013 04:11 PM भारतीय मौसम विभाग के अनुमान अकसर सही साबित नहीं होते, इसलिए उसकी व
Disaster management
हे सलिले
Posted on 25 Oct, 2013 03:26 PM हे सलिले !
कहाँ सवेग
बही जाती हो
रुको तनिक
क्षण भर तो सोचो
और कहाँ तक
प्रवाहित होंगी

हे तरंगिणी !
नव जीवन
सांसों में
स्पन्दन
पुण्य अमर
अक्षय फल
तुम से ही है

हे सद्नीरे !
क्यों हो विवश
विष वाहक बन
स्वयं घुटन ढो
पग पग पर
मौन उदास
छली जाती हो

हे सरिते !
मूर्ति विसर्जन के बाद केन में की सफाई
Posted on 19 Oct, 2013 04:17 PM जब मूर्ति नौवें दिन अपने अंतिम दिवस हवन के बाद स्थान से हटाई जाती है तो स्वतः ही देवी का परायण हो जाता है। इसके पश्चात वह मिट्टी है और यदि मिट्टी की वस्तु का मिट्टी में विसर्जन कर दिया जाए तो गलत क्या है? हिंदु धर्म में जल विसर्जन उनका किया जाता है जो अकाल मृत्यु मरे हों, जहरीले कीड़े ने काटा हो, जल कर मरा हो, अविवाहित हो, पाचक में मरा हो। मां दुर्गा और श्री गणेश महोत्सव में किया जाने वाला जल विसर्जन नदी की आस्था को प्रदूषित करने से अधिक कुछ भी नहीं है। बांदा। उच्च न्यायालय इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के गंगा प्रदूषण बोर्ड की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका संख्या 4003/2006 गंगा-यमुना में मूर्ति विसर्जन पर रोक से सकते में आई उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद जिला प्रशासन के लिए नदी में मूर्ति विसर्जन गले की फांस बन गया। एक वर्ष पूर्व उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने इसी याचिका पर आदेश पारित करते हुए इलाहाबाद जिला प्रशासन को जल विसर्जन के विकल्प तलाश करने की हिदायत दी थी। बावजूद इसके एक वर्ष तक ब्यूरोक्रेसी नींद में सोती रही और वर्ष 2013 के मां दुर्गा महोत्सव के बाद मूर्तियों के जल विसर्जन को लेकर न्यायालय में उसकी जवाबदेही को याचिका कर्ताओं ने कटघरे में खड़ा कर दिया।

उच्च न्यायालय ने सख्त लहजे में इलाहाबाद जिला प्रशासन से कहा कि आप एक वर्ष तक सोते रहे तो अब सजा भी भुगतिए। कोर्ट के ये शब्द सुनकर प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक के प्रमुख सचिव के लिए मूर्तियों का विसर्जन मुद्दा बन गया।
व्यक्तित्व विकास के लिए स्वच्छता एवं सफाई
Posted on 19 Oct, 2013 04:01 PM

स्वच्छता अभियान में एक तथ्य की ओर बहुत ही कम ध्यान दिया जाता है, जबकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

नदियाँ, भाग-2
Posted on 18 Oct, 2013 03:49 PM किसी भी दिशा में जाऊँ
कोई न कोई नदी और कभी-कभी तो कई नदियाँ
रास्ते में मिलती थीं

कितनी ही नदियां थीं जिन्हें मैं उनके पानी के रंग से
घाट के पत्थरों से, अगल-बगल के पेड़ों से
और उनके नाम से जानता था
उनके जन्म लेने की और बाद में जीवन की हजारों कहानियाँ थीं

उनके जीवन में भी हमारी ही तरह दुःख थे
पहाड़ों की ओट होकर वे भी कई बार रोती थीं
पानी की रात
Posted on 18 Oct, 2013 03:46 PM लोग जो अपनी चिंताओं से छूटने आए थे वहां
एक शाम उन सबने कहा
पानी बढ़ रहा है
नदी अपनी बगल में फैले जंगल जैसी
प्रलापों से भरी नींद जैसी नदी में
पेड़ों से गिरता अँधेरा बहता था
किनारे पर औरतें शोकगीत गाती खड़ी रहीं
बूढ़े खाँसते रहे तेज हवा में
नौजवानों के चेहरों पर कितनी धूल
कितने पैवंद लहूलुहान देहों पर
स्याह पानी भरता हुआ उनकी आत्मा के खोखल में
यहाँ थी वह नदी
Posted on 18 Oct, 2013 03:44 PM जल्दी से वह पहुँचता चाहती थी
उस जगह जहाँ एक आदमी
उसके पानी में नहाने जा रहा था
एक नाव
लोगों का इंतजार कर रही थी
और पक्षियों की कतार
आ रही थी पानी की खोज में

बचपन की उस नदी में
हम अपने चेहरे देखते थे हिलते हुए
उसके किनारे थे हमारे घर
हमेशा उफनती
अपने तटों और पत्थरों को प्यार करती
उस नदी से शुरू होते थे दिन
उसकी आवाज
आयोवा
Posted on 18 Oct, 2013 03:43 PM (रे-ह्योन हाम के लिए)
1

इस शहर का नाम
एक नदी का नाम है
शहर का सन्नाटा नदी की आवाज है
दिन में शहर के चौराहे, पुल और पार्क
चुपचाप पानी में उतरते हैं
किताबें, कपड़े, गृहस्थी का सामान और
हैमबरगर बेचती दूकानें
पानी में स्थिर पड़ी रहती हैं
खिलौनों की एक दूकान
कुछ देर नदी के तल में सो जाती है

शाम को जब रोशनियाँ जलती हैं
नदी नहीं रही
Posted on 18 Oct, 2013 03:42 PM नदी का जाना
पता नहीं चला।
किनारे के मंदिर में भगवान
बस्ती में लोग
आकाश में तारे
घोंसलें में पक्षी रहे आए
जब नदी में नदी नहीं रही
रात में रात
सन्नाटे में सन्नाटा रहा।
सुबह सूरज ने देखा
लोगों ने
दोनों किनारे
एक-दूसरे में जाकर उसे
ढूँढ़ते रहे खामोश।

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