भारत

Term Path Alias

/regions/india

मानसून की देन - बाढ़ और सूखा
Posted on 07 Oct, 2013 10:34 AM सामान्यतः बाढ़ तब आती है जब नदी, झील अथवा तालाब का जल तट से ऊपर होक
बादल - तेरे रूप अनेक
Posted on 06 Oct, 2013 11:01 AM बादल मौसम और होने वाली वर्षा की जानकारी देते हैं। आसमान में काफी ऊंचाई पर हिमकण वाले बादल तो बालों की
मानसून : आए कहां से - जाए कहां रे…
Posted on 06 Oct, 2013 10:50 AM जब मानसून का आगमन देर से होता है तब वर्षा की मात्रा अपेक्षाकृत रुक
सिर्फ बहता चलता है जल
Posted on 05 Oct, 2013 03:09 PM नदी बिलकुल शांत कभी नहीं हो पाती चाहकर भी
कोई न कोई आवाज या सन्नाटा गूँजता हुआ-सा
उसके तट पर उसके मझधार में किसी चट्टान से नीरव टकराते उसके जल में।

नदी बहती है धरातल पर सूखकर रेत के नीचे थमकर
प्रतिपल जाती हुई अपने विलय की ओर
फिर थी उच्छल
धूप अँधेरे लू-लपट
सुख की झूलती हुई डालों
दुःख के खिसकते-ढहते ढूहों से
हर सर्वनाम को लीलता हुआ
शाम देर गए
Posted on 05 Oct, 2013 03:07 PM शाम देर गए घर लौटना है
काम से
उसे, जंगल में पछिया गई चिड़िया को
और सुनसान के गले में पड़ी हँसुली-सी
ईब को।
कौन लौटता है : वह या ईब
या सिर्फ उसका घर
सरककर पास आ जाता है।

‘एक पतंग अनंत में’ में संकलित, 1983

वहीं से
Posted on 05 Oct, 2013 03:05 PM वहीं से लौटना होगा घर
वहीं से फूटेगी ईब
वहीं से होगा एक शुभारंभ।
वहीं से
कारीगर गारे से भरेगा दरारें
वहीं से जलघास टटोलेगी अतल
वहीं से वह करेगी स्वीकार।

‘एक पतंग अनंत में’ में संकलित, 1983

ईब के किनारे
Posted on 05 Oct, 2013 03:04 PM ईब के किनारे
वह थी।
उसका अप्रतिहत लावण्य था।

ईब का पानी न उसे जानता था
और न उस लालची आकाश को जो
उस पर झुका था।

ईब के किनारे लोग थे
अनजान लेकिन व्यस्त।

रेत पर चट्टानों के नीचे
रेंगते कीड़ी-मकोड़ों का मनोरम संसार था

मैंने पहली बार नाम सुना ईब का
मैंने नहीं देखा ईब को
फिर भी पाया
ईब के किनारे वह ईब थी
नदी में
Posted on 05 Oct, 2013 03:02 PM नदी में डूबता है महल
मेहराब से हिलगा है एक पुराना गीत
स्वर में उभरता है एक खँडहर
दहलीज पर ठिठकती है कथा
उसके बीच में उड़कर आ बैठता है एक पक्षी
पंख में लिपटा हुआ बचपन
सुबह देर से उठने पर छूट गई स्कूल-बस
पहिए में लिपटा कीचड़
पानी में मिलते हुए न जाने कितने पानी
जानते हुए भी नदी का
बीच प्रलय में झपकी लेना
आँख में सूख गया आँसू
शुभस्त्रवा
Posted on 05 Oct, 2013 03:00 PM एक ठो नदी का नाम : शुभस्त्रवा। उल्लेख पुराण में। प्राचीन नदी : पता नहीं किस वन-प्रांतर में बहती है। कैसी वनराजि है, उसके तट पर : कौन-सी निर्झरणियाँ उसमें आकर लीन होती हैं। कहाँ है उसका उद्गम : कितना सूक्ष्म और लगभग अलक्षित। आरंभ में क्षीणतोया। धीरे-धीरे नदी का आकार लेती हुई। जल-भरी, जल वनस्पतियों-भरी, मछलियों-भरी। स्वरपूरित और रूपतरंग से उच्छल। बचपन की नदी : प्राचीनों के यहां युवा नदी। देवताओं से
×