नदी नहीं रही

नदी का जाना
पता नहीं चला।
किनारे के मंदिर में भगवान
बस्ती में लोग
आकाश में तारे
घोंसलें में पक्षी रहे आए
जब नदी में नदी नहीं रही
रात में रात
सन्नाटे में सन्नाटा रहा।
सुबह सूरज ने देखा
लोगों ने
दोनों किनारे
एक-दूसरे में जाकर उसे
ढूँढ़ते रहे खामोश।

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