भारत

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सकारात्मक सोचना शुरू करें और देखें कि सबकुछ कैसे ठीक होता है
Posted on 06 Dec, 2015 01:55 PM

अगले दिन यह जानकर कि वे आखिर वर्षा वन खरीद सकते हैं, बच्चे दौड़ते हुए कक्षा में आए। 10 हेक

अबुझ प्यास
Posted on 06 Dec, 2015 11:54 AM

कोयले से किस तरह हमारे जल की बर्बादी और प्रदूषण होता है

नदी संसद से सीखें पंचायती राज
Posted on 05 Dec, 2015 01:18 PM

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कह रहे हैं कि काम पानी का हो, खेती या ग्राम स्वावलम्बन का; साझे की माँग जल्द ही आवश्यक हो जाने वाली है। सहकारी खेती, सहकारी उद्यम, सहकारी ग्रामोद्योग, सहकारी जलोपयोग प्रणाली के बगैर, गाँवों का अस्तित्व व विकास, एक अत्यन्त कठिन चढ़ाई होगी।

काला झंडा, काला धुआँ और अपनी पृथ्वी
Posted on 05 Dec, 2015 10:43 AM

असल दुनिया लगातार यही मंत्र जाप कर रही है कि ‘ड्रील बेबी ड्रील’। मतलब निकालों कोयला-तेल औ

गंडक क्षेत्र और जल-जमाव का घाव
Posted on 04 Dec, 2015 04:29 PM .गंडक उत्तर प्रदेश तथा बिहार की एक महत्त्वपूर्ण नदी है जो कि हिमालय पर्वतमाला से नेपाल के भैरवा जिले में त्रिवेणी नाम के कस्बे के पास मैदानों में उतरती है। इसका उद्गम स्थान 7,620 मीटर की ऊँचाई पर धौलागिरि पर्वत पर है। यह नदी पश्चिमी चम्पारण में वाल्मीकि नगर के पास नेपाल से बिहार (भारत) में प्रवेश करती है और 265 किलोमीटर दक्षिण पूर्व दिशा में बहती हुई हाजीपुर के पास गंगा में मिल जाती है।

वाल्मीकि नगर के नीचे लगभग 18.5 किलोमीटर लम्बाई में यह नदी नेपाल बिहार की सीमा के रूप में तथा उसके नीचे प्रायः 80 किलोमीटर लम्बाई में उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा बनाते हुए बहती है। यदि केवल घाटी या जल ग्रहण क्षेत्र की बात की जाय तो इस नदी का विस्तार भारत में बहुत ज्यादा नहीं है।
कचरा-समुद्र-जलवायु अन्तर्सम्बन्ध और सबक
Posted on 04 Dec, 2015 03:00 PM तापमान बढे़गा, तो जैविक कचरे में सड़न की प्रक्रिया और तीव्र होगी। ज
कॉप-21 : पृथ्वी को बचाने की जद्दोजहद
Posted on 04 Dec, 2015 12:30 PM पर्यावरण संरक्षण के विषय पर पेरिस में वैश्विक स्तर का सम्मेलन कॉप-21 शुरू हो चुका है। सर्वप्रथम सन् 1992 में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे तथा उस संधि में सम्मिलित सदस्य देशों के समूह को ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टिज़ (कॉप)’ का नाम देकर सन् 1995 में प्रथम सम्मेलन आयोजित हुआ।
इधर सूखा, उधर डूब
Posted on 04 Dec, 2015 09:32 AM

प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति अपने देश में इस हद तक बढ़ गई है कि देश का कोई न कोई हिस्सा उन

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