बिहार

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तालाब, आहर, हरियाली लाकर एक नया इतिहास रचते दलित
Posted on 27 Feb, 2010 02:13 PM
गया जिले के अतरी प्रखंड के नरावट पंचायत के 120 दलित परिवार अपने श्रम के दान से जगह-जगह तालाब, आहर, हरियाली लाकर एक नया इतिहास लिख रहे हैं। 2006 में जब गया शहर में पेयजल का संकट आया तब वे ‘मगध जल जमात’ के अपील पर शहर के प्राचीन तालाबों के खुदाई-सफाई के लिए गाँव के 108 दलित करीब 50 किलोमीटर पैदल चलकर गया पहुँचे। 8-10 दिन की कड़ी मेहनत से शहर के पौराणिक सरयू तालाब की खुदाई की। इस दौरान उन्होंने
मेघ पाईन अभियान की कुछ झलकियां
Posted on 13 Feb, 2010 05:17 PM

बिहार के कोशी क्षेत्र के प्राय: हैण्डपम्पों के पानी में आयरन की अधिकता होती है। इससे लोगों को कई बीमारियाँ झेलनी पड़ती है। कभी परम्परागत ज्ञान के बदौलत कई ढंग से आयरन शुद्ध करने के प्रयास किये जाते थे।

मीडिया फेलोशिप आमंत्रित
Posted on 20 Nov, 2009 08:57 AM नयी दिल्ली -'अंगिका डेवलपमेंट सोसाइटी' भागलपुर ने मुस्लिम महिलाओं में साक्षरता और देश के अलग अलग राज्यों में नक्सलवाद की मौजूदा स्थिति पर मीडिया फेलोशिप आमंत्रित की है।
भागलपुर के भगीरथ
Posted on 19 Nov, 2009 07:55 AM अब भागलपुर प्यासा नहीं है, उसको अपने भगीरथ मिल गए हैं, बूढ़ी महिलाओं को पानी के लिए लम्बी दूरी तय नहीं करनी पड़ती, और न ही गरीब दिहाड़ी मजदूरों को काम पर जाने के बजाय दिन भर पानी ढोना पड़ता है। एक ऐसे प्रदेश में जहां लोग बाढ़ से मरते हैं या फिर प्यास से, राजेश श्रीवास्तव के एकल प्रयास ने एक पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल कर रख दी है, आज उनकी संस्था 'सांई सेवा संस्थान' का मिनरल वाटर संयंत्र से शोधित
भारत के कुछ राज्यों के भूजल में उच्च आर्सेनिक की मौजूदगी
Posted on 21 Oct, 2009 08:53 AM

असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में आर्सेनिक प्रदूषण काफी बड़े स्तर तक प्रभावित कर रहा है।
अटैचमेंट में देखें कि किस राज्य के किस ब्लॉक में यह प्रदूषण कहां तक फैला है।
उत्तर प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों के मामले में आर्सेनिकप्रदूषण की पहचान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भूमि जल विभागों के निष्कर्ष के आधार पर की गई है ।

Arsenic
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

उत्तर बिहार की नदियों को बचाना होगा
Posted on 21 Aug, 2009 02:48 PM

उत्तर बिहार होकर बहने वाली पतित पावनी गंगा हो या वरदायिनी बूढ़ी गंडक, मैया कमला हो या माता सीता की नगरी होकर बहने वाली बागमती-लखनदेई, किसी का पानी पीने लायक नहीं रहा।

पहाड़ों के सिल्ट से भरी उत्तर बिहार की ये नदियां कचरा निष्पादन का आसान माध्यम बनी हुई हैं। प्रदूषण से इनकी कलकल करती धाराओं का रंग तक बदरंग हो चुका है, पर नियंत्रण के कहीं कोई उपाय नहीं किये जा रहे हैं।

कोसी : जल प्रबंधन के विफलतम प्रयास की कहानी
Posted on 21 Aug, 2009 07:23 AM
6 अप्रैल 1947 को निर्मली (सुपौल) में साठ हजार कोसी पीडि़तों का सम्मेलन हुआ। इसमें वाराह परियोजना पर चर्चा और सहमति हुई। पर, सम्मेलन में शामिल तीन अमेरिकी विशेषज्ञों ने साफ-साफ
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