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बिहार
‘मगध जल जमात संस्था’ द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
Posted on 20 Aug, 2009 12:53 PMगया में ‘मगध जल जमात संस्था’ की ओर से पानी की समस्या पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन 7 जुलाई 2009 को वजीरगंज के किसान भवन में हुआ।
पानी के तिलस्म में डूबता-तैरता उत्तर बिहार
Posted on 18 Aug, 2009 06:33 AMसिर्फ जानें ही नहीं लेता, उत्तर बिहार में बहुत कुछ करता है पानी। यह गांवों को घेर लेता है और वहां पहुंचना और वहां से निकलना रोक देता है। सड़क-रेलमार्गों से उर्र-फुर्र करने वाले आदमी को पैदल और नाव की सवारी कराने लगता है। जमींदार को पानीदार बना देता है तो जमीनों से धान-गेहूं के बदले घोंघे, केंकड़े, मेंढ़क व मछलियां निकालने लगता है। पानी किसान को मजदूर और मजदूर को भिखमंगा बना देता है। औरतों को
बिहार की जमनिया नदी की सतह पर भी आर्सेनिक
Posted on 16 Aug, 2009 05:55 PMगंगा किनारे बसे राज्य के बारह जिलों भागलपुर, कटिहार, खगडिय़ा, मुंगेर, लखीसराय, बेगूसराय, समस्तीपुर, पटना, भोजपुर, बक्सर, वैशाली और सारण के लगभग 80 प्रखंडों में आर्सेनिक का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी यह बता पाने में अक्षम हैं कि जल में जहर के रूप में आर्सेनिक कहां से और कैसे फैलता जा रहा है, पर यह भी सच है कि इस खतरे से बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल तथा नेपाल के भीतर का बड़ा हिस्सा भी
कोसी का कहर !
Posted on 20 Jan, 2009 02:37 PMयही रहा तो इस बार भी होगा कोसी का कहर !
मदन जैड़ा / हिन्दुस्तान। नई दिल्ली, 18 जनवरी
गंगाजल अमृत नहीं अब आर्सेनिक
Posted on 17 Jan, 2009 12:30 AMमदन जैड़ा/ हिन्दुस्तान
नई दिल्ली, 15 जनवरी।
गंगा का पानी कभी सबसे स्वच्छ होता था इसलिए वेदों-पुराणों तक में कहा गया है-गंगा तेरा पानी अमृत। मान्यता थी कि इसे पीकर या इसमें डुबकी लगाकर बीमारियां दूर हो जाती हैं। लेकिन अब स्थिति उलट है। गंगा के इर्द-गिर्द बढ़ते शहरीकरण, उद्योग धंधों से निकलने वाले कचरे, प्रदूषणकारी तत्वों के बढ़ने के कारण गंगाजल में आर्सेनिक का जहर घुल गया है।
कोसी की तकदीर लिखने से पहले
Posted on 18 Dec, 2008 09:32 AMकोसीवासी फिर उसी तिराहे पर खडे हैं, जहां तकरीबन पचपन साल पहले थे। उन दिनों जोर-शोर से बहस हुआ करती थी कि आखिर इस चंचल नदी का क्या उपाय किया जाय? क्या बराज और तटबंध के जरिए कोसी को काबू में किया जा सकता है?
बाढ़ के समय पेयजल
Posted on 11 Dec, 2008 07:21 AMबाढ़ के समय पेयजल की उपलब्धता यानी साफ पीने का पानी का उपलब्धता काफी कम हो जाती है। ऐसे में साफ पानी पाने के लिए वर्षाजल संग्रहण ही एक मात्र उपाय है। बाढ़ के समय पेयजल को पाना एक कौशल का काम हो जाता है – आइए समझें उनसे जुड़े सवाल और उनके उत्तर -
उत्तर बिहार: बाढ़ का परिदृश्य
Posted on 09 Dec, 2008 09:11 AMबाढ़, जो पहले समाज का एक मुख्य पहलु था, आज इन्ही तटबंधों के कारण यह बाढ़ लोगों को संसाधनों से वन्चित, भय और अनिश्चितता से रुबरु कर दिया है