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बिहार
जैविक खेती कर अलग पहचान बनाई दिलीप ने
Posted on 21 Feb, 2016 01:49 PM
कृषि कार्य में पहले की अपेक्षा अब बदलाव दिखने लगा है। घाटे का कार्य होने के बाद भी राज्य में कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो जैविक खेती का नए प्रयोग कर मिट्टी से सोना उपजा रहे हैं। साथ ही अभावों के बीच सफलता की नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।
बिशुनपुर : जैसा मैंने देखा
Posted on 12 Feb, 2016 12:19 PMबिशुनपुर : झारखण्ड का यह क्षेत्र पहाड़ी है। सिंचाई के कोई साधन नहीं हैं। इसलिये वर्षा पर आ
काँवर झील : प्राकृतिक विरासत को गँवा रहा है बिहार
Posted on 11 Feb, 2016 10:36 AM
काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।
नालंदा जिले का आदर्श गाँव कतरीडीह
Posted on 09 Feb, 2016 12:09 PMकतरीडीह गाँव समाज परिवर्तन का एक अनूठा उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि मंदिर का भव्य मंडप ग्रा
जैविक खेती कर किसानों की तकदीर बदल रहे संजीव
Posted on 08 Feb, 2016 11:58 AM
वैशाली जिले का एक छोटा- सा गाँव है चकवारा, जो गंडक नदी के तट पर बसा है। इस गाँव में लगभग 125 परिवार निवास करते हैं। इनमें मात्र दो लोग ही नौकरी करते हैं। बाकी लोगों की जीविका सब्जियों की खेती पर निर्भर है। खेती की बदौलत ही इस गाँव के 99 प्रतिशत मकान पक्के हैं।
क्या सचमुच बढ़ी डॉल्फिनें, पर राष्ट्रीय शोध संस्थान नहीं बना
Posted on 21 Jan, 2016 12:28 PMबिहार की गंगा में सर्वाधिक डॉल्फिन हैं और यहाँ उनका प्रजनन भी होतागाँवों में मोबाइल वैन से पेयजल मुहैया कराएगी सरकार
Posted on 11 Jan, 2016 04:06 PM
दूषित भूजल वाले इलाके में लोगों को उनके दरवाजे पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मोबाइल योजना बिहार सरकार प्रस्तुत करने वाली है। इसके लिये वह बीस मोबाइल वैन खरीदने जा रही है जो गाँवों में जाकर नदी, कुआँ या तालाब का पानी को साफ करके पीने योग्य बनाएगी और मामूली मूल्य लेकर ग्रामीणों को उपलब्ध कराएगी।
परिशोधित जल कई दिनों तक पीने योग्य बना रहेगा। इसमें एक मालवाहक वैन पर वाटर प्यूरीफायर मशीन लगी होगी जिसके संचालन के लिये बिजली की जरूरत नहीं होगी। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग सचिव अंशुली आर्या ने मोबाइल प्यूरीफायरों को खरीदने के लिये टेंडर निकालने आदि प्रक्रियाएँ शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।