Posted on 16 Nov, 2015 10:10 AMबीसवीं शताब्दी का अन्तिम वर्ष, 14-15 नवम्बर की मध्यरात्रि, जब बिहार विभाजित हो गया। बिहारवासी निराश और हताश हैं। विभाजन के फलस्वरूप लगभग 67 प्रतिशत राजस्व स्रोत झारखंड में चले गए हैं। केवल 33 प्रतिशत बिहार में रह गए हैं जबकि आबादी का 65 प्रतिशत बिहार में और मात्र 35 प्रतिशत झारखंड में गया है। अर्थात आय के स्रोत उधर और विशाल उपभोक्ता समूह इधर। चिन्ता जरूरी है। इस चिन्ता से उबरने के कुछ सुझाव लेख
Posted on 13 Nov, 2015 12:23 PM पंचायत समिति, सायला (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:20 PM पंचायत समिति, सांचोर (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:18 PM पंचायत समिति, रानीवाड़ा (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:15 PM पंचायत समिति, जसवंतपुरा (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:12 PM पंचायत समिति, जालोर (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:09 PM पंचायत समिति, भीनमाल (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 13 Nov, 2015 12:06 PM पंचायत समिति, आहोर (जिला जालोर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जालोर जिले में 8063 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 7553 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
Posted on 10 Nov, 2015 03:29 PM उत्तर बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सूखा बड़ी मारक होती है। वहाँ की महीन बालूई मिट्टी को पानी की अधिक जरूरत होती है क्योंकि ऐसी मिट्टी में पानी को रोककर रखने की क्षमता कम होती है। इसलिये सिंचाई अधिक बार करनी होती है। बाढ़ के साथ आई मिट्टी से खेतों का भूगोल बदल जाये, तब कुछ अधिक इन्तजाम करना होता है।
परन्तु जब वर्षा अधिक होती थी तो बाढ़ की चर्चा ही अधिक होती थी, तब उसके बाद के सूखा की चिन्ता नहीं होती थी। बाद में नलकूपों का समाधान उपलब्ध हो गया। लेकिन सिंचाई की आवश्यकता लगातार बढ़ती गई है। वर्षा कम होने लगी है। डीजल महंगा होते जाने से उत्तर बिहार में सूखा का संकट अधिक विकराल हो गया है।
जबकि बाढ़ में अधिक पानी को सम्भालने और उसके बाद पानी की बढ़ी हुई आवश्यकता को पूरा करने के लिये प्राचीन काल में पोखरों की बेहतरीन व्यवस्था विकसित हुई थी।