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नेपाल में भी विस्थापित हुये 34 गाँव
Posted on 06 Sep, 2012 11:49 AM

सरकार का एक नीति वाक्य

कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार
Posted on 06 Sep, 2012 11:44 AM दरअसल यह तो करीब-करीब शुरू से ही तय था कि सरकार घर के बदले घर तो द
क्या कहते हैं भुक्त-भोगी
Posted on 06 Sep, 2012 11:16 AM 2004 में तो इस गाँव में कमला माई की कृपा से चारों ओर मिट्टी पड़ गई है पर कल क्या होगा
कितने पुनर्वासित-कैसे पुनर्वासित
Posted on 06 Sep, 2012 11:11 AM तालिका 8.1 में कोसी तटबन्धों के बीच फँसी मौजूदा आबादी का एक संक्षिप्त विवरण दिया हुआ है। इस तालिका के बारे में हम इतना जरूर कहना चाहेंगे कि,
पुनर्वास- नौ दिन चले अढ़ाई कोस
Posted on 05 Sep, 2012 03:21 PM

अधिकांश विस्थापितों ने अपने पुराने गाँवों को लौट आने में ही अपनी भलाई देखी। उनके वापस आने का प

भुगतान का निर्धारण
Posted on 05 Sep, 2012 03:15 PM यह बात तो तय ही थी सरकार कभी भी जमीन के बदले जमीन नहीं दे पायेगी क्योंकि घनी आबादी वाले गांगेय क्षेत्र में 304 गाँव बसाने के लिए जमीन खोजना एक टेढ़ी खीर थी। देबेश मुखर्जी, चीफ इंजीनियर-कोसी प्रोजेक्ट (1963), ने लिखा कि स्थायी पुनर्वास में निम्न बातें शामिल होंगी। “...नदी और तटबन्ध के बीच में बने घरों की कीमत के बराबर घर बनाने के लिए अनुदान दिया जायेगा और पुनर्वासित होने वाले लोगों से उनके पुराने घ
अपनी सुविधा के अनुसार सरकार ने पुनर्वास की मांग स्वीकार की
Posted on 05 Sep, 2012 03:13 PM तटबन्ध पीड़ितों ने सरकार पर दबाव बनाया कि उन्हें दूसरी जगह ले जाकर
लहटन चौधरी ने भी पुनर्वास की बात उठाई
Posted on 05 Sep, 2012 10:39 AM 1957 के आम चुनाव का गुबार जब ठंडा पड़ा तब नेताओं में कोसी तटबन्ध के पीड़ितों के बीच थोड़ी सहानुभूति जगी। इन लोगों की पीड़ा को देखते हुये लहटन चौधरी (1957) ने बहुत सी अन्य बातों के साथ इस बात का सुझाव दिया कि,

(1) अविलम्ब सरकार को घोषणा द्वारा इस बात को स्पष्ट कर देना चाहिये कि सारी जवाबदेही उसकी होगी और वह समुचित प्रबन्ध करेगी।
पुनर्वास के लिए आन्दोलन
Posted on 05 Sep, 2012 10:37 AM अपने समय के इन स्वनामधन्य नेताओं को तटबन्धों के प्रभाव की जानकारी
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